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Rice Price Hiked: मंडी में महंगा हुआ चावल, 18 जुलाई से और चढ़ेंगे दाम
Rice Price Hiked: चावल के दाम लगातार चढ़ रहे हैं और मोटे तौर पर देखें तो चावल की कीमतों में हाल के दिनों में साढ़े चार सौ से पांच सौ रुपये प्रति कुंतल का अंतर आ गया है।
Lucknow: चावल सस्ता नहीं, महंगा होने जा रहा है। जल्दी कर लें खरीदारी। थोक गल्ला मंडी (Wholesale Galla Market) में चावल के दाम लगातार चढ़ रहे हैं और मोटे तौर पर देखें तो चावल की कीमतों में हाल के दिनों में साढ़े चार सौ से पांच सौ रुपये प्रति कुंतल का अंतर आ गया है। फिलहाल इस तेजी के थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं। मार्केट के जानकारों का अनुमान है कि 18 जुलाई से पांच फीसद जीएसटी लगने के आदेश के लागू होते ही बाजार में लगभग पौने दौ सौ रुपये प्रति कुंतल की तेजी आना तय है।
लखनऊ की पाड़ेगंज गल्ला मंडी (Padeganj Galla Mandi) में जब चावल की कीमतों में तेजी के बाबत जानकारी की गई तो लखनऊ युवा उद्योग व्यापार मंडल वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने कहा कि हां, ये बात सही है कि चावल की कीमतों में उछाल है। उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर इसके तीन कारण है। पहला चावल एक्सपोर्ट किया जाना, दूसरा मौसम का असर और तीसरा जीएसटी, हालांकि जीएसटी का असर 18 जुलाई के बाद पड़ेगा यदि तब तक कोई नया संशोधन नहीं आ गया तो।
बांग्लादेश और अन्य देशों को एक्सपोर्ट हुआ गेहूं
कारोबारियों का कहना है कि इस बार काफी मात्रा में गेहूं का बांग्लादेश और अन्य देशों को एक्सपोर्ट हुआ था जिसका बाजार पर असर पड़ा और बाद में सरकार ने उसको कुछ शर्तों के अधीन जारी रखने की इजाजत दी। उसी तरह से चावल का भी एक्सपोर्ट किया गया है। जिसका असर चावल की कीमतों पर दिख रहा है। सांवा मंसूरी जो पहले 28सौ –29सौ प्रति कुंतल थी, अब 35सौ –36सौ रुपये प्रति कुंतल हो गई है।
हालांकि गल्ला मंडी के कुछ आढ़ती बहुत अधिक महंगाई से इनकार करते हैं इनका कहना है कि महंगाई नहीं है। इसकी वजह है मोटे धान का समर्थन मूल्य 2040 प्रति कुंतल सरकार ने फिक्स कर दिया है। जिससे तैयार चावल का दाम 3060 रुपये प्रति कुंतल आ रहा है। इस कारोबार से जुड़े जो लोग हैं कुछ तो उन्हें भी चाहिए अपने परिवार चलाने के लिए।
धान की रोपाई के लिए घुटनों तक पानी चाहिए
लखनऊ युवा व्यापार मंडल वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक अग्रवाल का कहना है कि मौसम का भी असर है। पूरा आषाढ़ सूखा निकल गया है। धान की रोपाई के लिए घुटनों तक पानी चाहिए होता है। अभी धान की फसल के कोई असर नहीं दिख रहे हैं। ये तो एक चेन है चेन कहीं से ब्रेक होगी तो उसका असर पड़ेगा।
इस बीच कुछ अन्य कारोबारियों ने कहा कि अभी तो कुछ नहीं है 18 जुलाई के बाद कीमतें चढ़ना तय हैं। क्योंकि एक से 25 किलो की किसी भी खाद्य पदार्थ की पैकिंग पर 5 फीसद जीएसटी लगना शुरू हो जाएगा। जिसे कोई मिलर अपनी जेब से नहीं देगा। कीमतें तो चढ़ेंगी ही।
चूंकि दालों की पैकिंग 30 किलो की बोरी में आती है इसलिए उस पर पांच फीसद जीएसटी नहीं लगेगी लेकिन एक से पचीस किलो की पैकिंग पर जीएसटी लगनी तय है। और इसका असर जनता पर पड़ना भी तय है। हालांकि जीएसटी के मामले में कारोबारी अभी खुल कर बोलने से कतरा रहे हैं। उनका कहना है कि हो सकता है तब तक कुछ संशोधन हो जाए। लेकिन ये तय मानिये 18 जुलाई के बाद स्थिति क्लीयर होने तक बिलिंग तो बंद हो ही जाएगी।