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अरबपति हैं ये बाबा: एक का विदेश में चलता है नोट, तो दूसरे अंबानी को देते हैं टक्कर

पिछले कुछ सालों में कई बाबाओं के काले कारनामे उजागर हुए हैं जिसके बाद से लोगों में धार्मिक गुरूओं के प्रति विश्वास थोड़ा कम होते दिखाई दे रही है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे बाबाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी संपत्ति के बारे में जान आप हैरान हो जाएंगे। 

Shivakant Shukla
Published on: 12 Jan 2020 2:53 PM IST
अरबपति हैं ये बाबा: एक का विदेश में चलता है नोट, तो दूसरे अंबानी को देते हैं टक्कर
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लखनऊ: पिछले कुछ सालों में कई बाबाओं के काले कारनामे उजागर हुए हैं जिसके बाद से लोगों में धार्मिक गुरूओं के प्रति विश्वास थोड़ा कम होते दिखाई दे रही है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे बाबाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी संपत्ति के बारे में जान आप हैरान हो जाएंगे।

(1.) पहले पर हैं सत्य साईं बाबा

सत्य साईं बाबा पिछले लगभग 60 वर्षों से भारत के कुछ अत्याधिक प्रभावशाली अध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। सत्य साईं बाबा का बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवम्बर 1926 को हुआ था। सिर्फ भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में उनके असंख्य अनुयायी हैं। 24 अप्रैल 2011 को एक लंबी बीमारी के बाद बाबा ने चिरसमाधि ले ली। बाबा को प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु शिरडी के साईं बाबा का अवतार माना जाता है।

सत्य साईं बाबा ने भारत में तीन मंदिर भी स्थापित किये, जिनमें मुंबई में धर्मक्षेत्र, हैदराबाद में शिवम और चेन्नई में सुंदरम है। इनके अलावा दुनियाभर के 114 देशों में सत्य साई केंद्र स्थित हैं। आंध्र प्रदेश में 20 वी सदी के वक्त बहोत बुरा अकाल पड़ा था तब भगवान श्री सत्यसाई बाबाजी ने लगभग 750 गांवो के लिए पानी की व्यवस्था की थी।

भारत के सबसे अमीर बाबा सत्य साईं की कितनी है संपत्ति

भारत के सबसे अमीर बाबा सत्य साईं बाबा हैं। उनकी मृत्यु के बाद, उनके कमरे से लगभग 98 किलोग्राम सोना, 11.56 करोड़ नकद और 307 किलोग्राम चांदी प्राप्त की गई थी। सत्य साईं बाबा की कुल संपत्ति लगभग 9 बिलियन डॉलर (64 हजार करोड़ रुपए) है।

(2.) दूसरे पर हैं महर्षि महेश योगी

महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की। उन्होने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की। महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी।

हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन 1955 में उन्होने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की। सन् 1957 में उनने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। महर्षि महेश योगी द्वारा चलाया गए आंदोलन ने उस समय जोर पकड़ा जब रॉक ग्रुप 'बीटल्स' ने 1968 में उनके आश्रम का दौरा किया। इसके बाद गुरुजी का ट्रेसडेंशल मेडिटेशन अर्थात भावातीत ध्यान पूरी पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे।

दुनिया भर में फैले लगभग 60 लाख अनुयाई

अपनी विश्व यात्रा की शुरूआत 1959 में अमेरिका से करने वाले महर्षि योगी के दर्शन का मूल आधार था। जीवन परमआनंद से भरपूर है और मनुष्य का जन्म इसका आनंद उठाने के लिए हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा, ज्ञान और सामर्थ्य का अपार भंडार है तथा इसके सदुपयोग से वह जीवन को सुखद बना सकता है।' वर्ष 1990 में हॉलैंड के व्लोड्राप गाँव में ही अपनी सभी संस्थाओं का मुख्यालय बनाकर वह यहीं स्थायी रूप से बस गए और संगठन से जुड़ी गतिविधियों का संचालन किया। दुनिया भर में फैले लगभग 60 लाख अनुयाईयों के माध्यम से उनकी संस्थाओं ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और प्राकृतिक तरीके से बनाई गई कॉस्मेटिक हर्बल दवाओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया।

महर्षि महेश योगी की संपत्ति 60 हजार करोड़

हॉलैंड के व्लोड्राप नगर में महर्षि का वैदिक विश्वविद्यालय भी है। डच के स्थानीय समय के अनुसार एम्सटर्डम के पास छोटे से गाँव व्लोड्राप में स्थित अपने आवास में 2008 में शरीर त्याग दिया था। ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन गुरु महर्षि महेश योगी भारत के शीर्ष अमीर बाबा हैं। उनकी कुल संपत्ति करीब 60 हजार करोड़ है।

महर्षि योगी ने एक मुद्रा की स्थापना

महर्षि योगी ने एक मुद्रा की स्थापना भी की थी। महर्षि महेश योगी की मुद्रा राम को नीदरलैंड में क़ानूनी मान्यता प्राप्त है। राम नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पाँच और दस के नोट हैं। इस मुद्रा को महर्षि की संस्था ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस ने अक्टूबर 2002 में जारी किया था। डच सेंट्रल बैंक के अनुसार राम का उपयोग क़ानून का उल्लंघन नहीं है। बैंक के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि इसके सीमित उपयोग की अनुमति ही दी गई है।

अमरीकी राज्य आइवा के महर्षि वैदिक सिटी में भी राम का प्रचलन है। वैसे 35 अमरीकी राज्यों में राम पर आधारित बॉन्डस चलते हैं। नीदरलैंड की डच दुकानों में एक राम के बदले दस यूरो मिल सकते हैं। डच सेंट्रल बैंक के प्रवक्ता का कहना है कि इस वक्त कोई एक लाख राम नोट चल रहे हैं।

(3.) तीसरे पर हैं मोरारी बापू

राष्ट्रीय संत और मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू रामकथा सुनाते हैं। इनका जन्म 25 सितंबर 1947 (हिंदू कैलेंडर के अनुसार शिवरात्रि) को महुवा, गुजरात के पास तलगाजरडा गाँव में प्रभुदास बापू हरियाणी और सावित्री बेन हरियाणी के वहां छह भाइयों और दो बहनों के परिवार में हुआ था।

रामप्रसाद महाराज की उपस्थिति में गुजरात के गांडीला में नौ दिवसीय प्रवचन का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने सर्वप्रथम रामचरितमानस पर प्रवचन दिया। मोरारी बापू का भारत के बाहर पहली बार प्रवचन 1976 में नैरोबी में हुआ था, जब वह केवल 30 साल के थे।

सलाना आमदनी करीब 300 करोड़

वह दुनिया भर में गुजराती और हिंदी दोनों में वार्ता/कार्यक्रम (कथाव्यास) दे रहे हैं। भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, युगांडा, भूमध्य सागर में एक क्रूज जहाज पर से वेटिकन सिटी और तिब्बत/चीन में कैलाश मानसोवर की तलहटी में, दुनिया की यात्रा करने वाले हवाई जहाज पर वो कथा का आयोजन करते हैं। उनकी सलाना आमदनी करीब 300 करोड़ है। लेकिन इनके कई ट्रस्ट भी चलते है।

Shivakant Shukla

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