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इजराइल को लेकर NDA में उभरे मतभेद, जदयू ने विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाया, हथियारों की सप्लाई रोकने की मांग
Rift in NDA: केसी त्यागी ने कहा कि इजराइल फिलिस्तीनियों का नरसंहार करने में जुटा हुआ है और इस मामले में भारत को इजराइल की मदद नहीं करनी चाहिए।
Rift in NDA: इजराइल और हमास के बीच चल रहे भीषण युद्ध के बीच इजराइल को लेकर जदयू ने विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाया है। इससे साफ हो गया है कि इजराइल के मुद्दे पर मोदी सरकार की नीति को लेकर एनडीए में मतभेद उभरने लगे हैं। जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने मांग की है कि भारत को इजराइल की मदद तत्काल बंद कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मासूम फिलिस्तीनियों की जान लेने वाले इजराइल को भारत की ओर से हथियारों की सप्लाई की जा रही है जिस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इजराइल फिलिस्तीनियों का नरसंहार करने में जुटा हुआ है और इस मामले में भारत को इजराइल की मदद नहीं करनी चाहिए।
गाजा में हो रहे अत्याचार को रोका जाए
दरअसल अल गुद्स के महासचिव मोहम्मद बकराम बलावी की ओर से राजधानी दिल्ली में एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में जदयू के महासचिव केसी त्यागी और समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने भी हिस्सा लिया। बैठक के दौरान केसी त्यागी ने कहा कि जदयू ने हमेशा फिलस्तीन की मदद की वकालत की है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिलाते हुए त्यागी ने कहा कि उन्होंने हमेशा फिलस्तीन का समर्थन किया। त्यागी ने कहा कि हम चाहते हैं कि गाजा में बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोका जाना चाहिए।
बैठक के बाद एक बयान भी जारी किया गया। इस बयान पर त्यागी और जावेद अली खान के अलावा आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी, पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब, कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल, पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली और पंकज पुष्कर ने भी साइन किए हैं। कांग्रेस के दो नेताओं ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आलोचना कर चुकी हैं।
फिलिस्तीनियों पर अत्याचार मानवता के खिलाफ
बयान में इजराइल पर फिलिस्तीनियों पर अत्याचार और उनके नरसंहार का आरोप लगाते हुए इसकी निंदा की गई है। बयान में कहा गया है कि इस तरह का अत्याचार मानवता के खिलाफ है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन भी है। बयान में केंद्र सरकार की ओर से इजराइल को की जा रही हथियारों की सप्लाई रोकने की मांग भी की गई है। बयान के मुताबिक एक राष्ट्र के रूप में हम हमेशा मानवता की वकालत करते रहे हैं और भारत इस तरह के नरसंहार में शामिल नहीं हो सकता।
महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिलाते हुए बयान में कहा गया है कि हम उन राष्ट्रों में शामिल थे जिन्होंने 1988 में सबसे पहले फिलिस्तीन को मान्यता दी थी। ऐसे में फिलिस्तीनियों के आत्म सम्मान, संप्रभुता और स्वतंत्रता की रक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है। इस कठिन समय में हमें फिलिस्तीनियों का साथ देना चाहिए और शांति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
पिछले साल अक्टूबर से चल रही है जंग
इजराइल और हमास के बीच जंग की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में हुई थी। उस समय हमास ने इजराइल पर बड़ा हमला करते हुए 12 सौ लोगों को मार डाला था। इसके बाद से ही इजराइल ने हमास में तबाही मचा रखी है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास, हिज्बुल्लाह और ईरान को कड़ी कार्रवाई के चेतावनी दी है।
वैसे इस मामले में भारत सरकार ने संतुलन भरी नीति अपना रखी है। भारत ने हमास की निंदा करने के साथ ही मानवाधिकारों का हवाला देते हुए गाजा में नरसंहार की भी निंदा की है। इजराइल और हमास के बीच युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र सभा में हुई वोटिंग के समय भारत ने खुद को अलग कर लिया था।