शाहीन बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये अहम फैसला, यहां जानें क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि धरना प्रदर्शन से आम लोगों पर कोई असर नहीं होना चाहिए। धरने के लिए सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता।

Aditya Mishra
Published on: 13 Feb 2021 5:41 AM GMT
शाहीन बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये अहम फैसला, यहां जानें क्या कहा?
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2019 में शाहीन बाग में सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन शुरू था। उस समय शाहीन बाग में बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

नई दिल्ली: शाहीन बाग मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर के महीने में दिए शाहीन बाग फैसले को बरकरार रखा है।

कोर्ट ने कहा है कि धरना प्रदर्शन लोग अपनी मर्जी से और किसी भी जगह नहीं कर सकते। धरना प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन उसकी एक सीमा है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि धरना प्रदर्शन के लिए स्थान चिन्हित होनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति या समूह इससे बाहर धरना प्रदर्शन करता है तो नियम के मुताबिक उन्हें हटाने का अधिकार पुलिस के पास है।

CAA शाहीन बाग मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये अहम फैसला, यहां जानें क्या कहा? (फोटो:सोशल मीडिया)

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धरना प्रदर्शन से आम लोगों पर कोई असर नहीं होना चाहिए। धरने के लिए सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने उस वक्त अपना फैसला पढ़ते हुए शाहीन बाग के सीएए प्रोटेस्ट को गैर कानूनी ठहराया था। जिसके बाद इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट अपने फैसले पर कायम है।

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supream court verdict on shaheen bagh-2 शाहीन बाग मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये अहम फैसला, यहां जानें क्या कहा? (फोटो:सोशल मीडिया)

कब और कैसे चर्चा में आया शाहीन बाग़

दरअसल वर्ष 2019 में दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन शुरू था। उस समय शाहीन बाग में बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

लेकिन जब कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई तो उसके चलते बीते साल मार्च में लगाए गए लॉकडाउन के बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन बाग में खत्म हो गया था। प्रदर्शन में मौजूद लोग और सीएए कानून की आलोचना करने वाले लोग इस कानून को 'मुस्लिम विरोधी' कह रहे थे।

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