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The Rise of Yogi Adityanath: क्या योगी आदित्यनाथ बन रहे हैं नरेंद्र मोदी का विकल्प ?

Year Ender 2022: यूपी चुनाव में बड़ी जीत सहित अन्य राज्यों में बढ़ती लोकप्रियता ने योगी आदित्यनाथ का कद बीजेपी के अंदर और बाहर काफी बढ़ाया है। उन्हें PM मोदी का विकल्प माना जा रहा।

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Written By aman
Published on: 18 Dec 2022 7:08 AM IST
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योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी (Social Media)

Year Ender 2022: सियासत के इस खेल में कब क्या हो, कहना मुश्किल है। ऐसा ही कुछ हुआ था साल 2017 में। याद करें उस दौर को जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 'प्रचंड बहुमत' से सत्ता में आई थी। तब मुख्यमंत्री के चेहरे पर अटकलें और कयासबाजियां चल रही थी। रेस में एक से एक नाम थे। लेकिन, बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने जिस नाम और चेहरे पर मुहर लगाई वो सबको चौंका गया। नाम था योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का। इस भगवाधारी और मठ के सन्यासी को देश के सबसे बड़े सूबे की कमान देने के साथ ही बीजेपी ने अपना एजेंडा और भविष्य की राजनीति दोनों स्पष्ट कर दी।

साल 2022 के शुरुआत में यूपी विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार बीजेपी की जबरदस्त जीत ने स्पष्ट तौर पर योगी आदित्यनाथ को भारतीय चुनावी राजनीति की 'लंबी रेस का घोड़ा' साबित कर दिया। योगी आदित्यनाथ जब प्रदेश की सत्ता में आए थे, तब उन्हें नजदीक से जानने वालों को भी ये नहीं पता था कि उनकी छवि एक राज्य से निकलकर 'राष्ट्रीय स्तर' की बन जाएगी। और इतनी जल्दी जनता उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प मानने लगेगी। यूपी के सीएम योगी वर्तमान समय में प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत विकल्प के रूप में उभरकर सामने आए हैं। इस रेस में उन्होंने अमित शाह जैसे प्रतिभाशाली नेता को भी काफी पीछे छोड़ दिया।

योगी और मोदी ने गढ़ी छवि को तोड़ा

साल 2017 में प्रचंड जीत के बाद जब यूपी में बीजेपी ने मुख्यमंत्री चेहरे की तलाश शुरू हुई थी तब किसी को यकीन नहीं था कि योगी आदित्यनाथ पार्टी की 'आंतरिक दौड़' जीत सकते हैं। क्योंकि, उनका पिछला ट्रैक रिकॉर्ड उनके आगे बढ़ने में बाधक था। योगी आदित्यनाथ के साथ जो शब्द जुड़े थे, वो कट्टर हिंदुत्व, विभाजनकारी, हिंदूवादी छवि, मुस्लिमों को उकसाने वाले आदि-आदि थे। साथ ही, देश के अलावा वैश्विक मीडिया में भी उन्हें लेकर कुछ 'फासीवाद' जैसे शब्द आम थे। देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री फेस के लिए ये सब मार्ग में बड़ी बाधा के समान थे। लेकिन, योगी ने सभी बाधा पार की। वो यूपी के मुख्यमंत्री बने। योगी के पहले 5 साल के कार्यकाल में उनके काम करने की रफ्तार और तरीके ने देशवासियों को उनमें प्रधानमंत्री मोदी की छवि दिखाई दी। याद करें इन्हीं शब्दावली का प्रयोग कभी नरेंद्र मोदी के लिए भी किया जाता रहा था।

मोदी-योगी में कई समानताएं

उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए साल 2022 बेहद खास रहा। तीन दशकों बाद यहां पहली बार किसी सत्ताधारी दल का प्रदेश की जनता ने लगातार दूसरी बार राजतिलक किया। 2017 में जब पहली बार योगी को सूबे की कमान सौंपी गई थी तब न सिर्फ विरोधी खेमे बल्कि बीजेपी भी लोगों के सुर बदले-बदले से थे। पार्टी नेताओं को भी लगता था कि किसी दुनिया से उठाकर एक शख्स को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया गया है। लेकिन, पहली बार विधायक बने योगी आदित्यनाथ ने बड़े अंतर से विरोधी को हराकर ये साबित कर दिया कि शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा क्यों जताया। योगी ने सबकी बोलती बंद कर दी। कमोबेश यही हालात प्रधानमंत्री मोदी के साथ रहे थे। उन पर भी विरोधियों ने गोधरा दंगे के आरोप लगाए। पार्टी के भीतर भी कई आवाजें उठती रही थी। जब योगी को मोदी का विकल्प कहा जाता है तो उनके बीच समानताएं, संघर्ष और उससे निखरने की भी बातें होती है। दोनों नेताओं के बीच काम करने के तरीकों में भी समानताएं हैं। इसलिए भी देशवासियों को मोदी का विकल्प योगी के रूप में दिखता है।

मोदी से ज्यादा आक्रामक हैं योगी !

भारतीय जनता पार्टी (BJP) में एक लंबा वक्त रहा जब पार्टी अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के छत्र-छाया में आगे बढ़ी। उस वक्त के बीजेपी पर नजर डालें तो ये त्रिशंकु की तरह दिखती थी। न तो पूरी तरह 'हिंदुत्व' की डोर थामे और न ही वो पूरी तरह से 'सेक्लुर'। लेकिन, नरेंद्र मोदी के पराभव ने बीजेपी की उस पूरी छवि को उलटकर रख दिया। जमी धूल साफ कर दी। नरेंद्र मोदी ने हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाया भी और 'भगवा' को आत्मविश्वास के साथ लहराया भी। गुजरात की राजनीति से केंद्र की सत्ता में आने तक नरेंद्र मोदी ने लोगों के मन में बीजेपी के हिन्दू पार्टी होने को लेकर विश्वास पैदा किया। 2014 में जब नरेंद्र मोदी केंद्र की राजनीति में छाए तो घर-घर तक हिंदुत्व का अलख जगा। लेकिन, जब लोगों के जेहन में मोदी के बाद की राजनीति का सवाल उठा तो जवाब एकमात्र योगी आदित्यनाथ ही थे।

बुलडोजर डर नहीं, बल्कि 'संकेत' बना

इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि लोगों को योगी में मोदी से बड़ा हिंदुत्व झलकता है। लोगों को लगता है कि योगी, नरेंद्र मोदी से ज्यादा आक्रामक हैं। लोगों की इस धारणा को योगी की बुलडोजर वाली छवि ने और मजबूत किया। देशवासियों ने उन्हें 'बुलडोजर बाबा' का नाम भी दिया। इसी साल 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी बाबा का बुलडोजर का डंका खूब बजा। विरोधियों ने दुष्प्रचार के प्रयास किए, लेकिन टिक नहीं पाए। यूपी चुनाव पूर्व कईयों के मन में ये सवाल था कि बुलडोजर वाली छवि कहीं योगी आदित्यनाथ को नुकसान न पहुंचा दे। लेकिन, चुनाव प्रचार के दौरान भी योगी ने अपनी वही आक्रामक छवि बरकरार रखी। कोई नरम नहीं दिखी। आदित्यनाथ के तेवर में वही तेज था। एक भगवाधारी, हिंदुत्व का वाहक सिर से पांव तक भगवा ने लोगों में अलग ही तरह का भरोसा जताया। योगी की बातें सीधे लोगों के दिल तक पहुंची और अपने बूते यूपी की सत्ता में बीजेपी को वापसी दिलाई। दरअसल, बुलडोजर डर का नहीं बल्कि एक संकेत के रूप में स्थापित हुआ।

क्या योगी ही होंगे मोदी का विकल्प?

पिछली बार 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और वर्तमान दो राज्य में हुए चुनाव ने जनता को धरातल से वाकिफ कराया। इस दौरान लोगों सोचने का मौका मिला। जनता मोदी के कामकाज की तारीफ तो करते ही हैं, लेकिन इस विकास की धारा को आगे ले जाने के बारे में जब सोचते हैं तो योगी आदित्यनाथ का नाम ही आता है। मोदी जनमानस पर छाए हैं। वहीं, योगी के कार्यकाल में गुंडों-माफियाओं पर नकेल, महिला सुरक्षा, अतिक्रमण, भ्रष्टाचार पर लगाम, जमीन हड़पने सहित कई अन्य वादों को हकीकत में बदलते भी दुनिया ने देखा। यूपी में राम मंदिर निर्माण हो या काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनना, लोगों ने एक सुर में कहा, मोदी के साथ ही योगी बाबा ने यूपी में इसे असंभव से संभव कर दिया। लोग यहां तक कहते हैं कि पीएम नरेंद्री मोदी के बाद अगर वो किसी को प्रधानमंत्री बनना देखना चाहते हैं, तो वो योगी आदित्यनाथ हैं। यूपी के लोगों ने इसी दिल की बात को बंपर वोट के रूप में जीत का तोहफा योगी आदित्यनाथ को दिया।

हाल ही में संपन्न गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार में भी योगी का बोलबाला रहा। प्रधानमंत्री मोदी के बाद लोगों की सबसे ज्यादा डिमांड योगी आदित्यनाथ की थी। इससे पहले, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में योगी की आक्रामक चुनावी रैली को लोग देख-सुन चुके थे। योगी की छवि उत्तर प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों में भी जिस तरह बढ़ी है वो ये जानने-समझने के लिए काफी है कि प्रधानमंत्री मोदी का विकल्प योगी को लोग मान चुके हैं।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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