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Risks of Landslides: नैनीताल, मसूरी, गोपेश्वर पर भी भूधंसाव का खतरा
Risks of Landslides: मसूरी, नैनीताल, उत्तरकाशी के भटवाड़ी, मुनस्यारी और चंपावत के पूर्णागिरी में भी भूस्खलन हो रहा है। इसके अलाव गोपेश्वर, कर्णप्रयाग और श्रीनगर पर भी खतरा मंडरा रहा है।
Risks of Landslides: जोशीमठ के लगातार डूबने के साथ उत्तराखंड राज्य भर के आठ और शहरों में संभावित भू-धंसाव की ओर इशारा करने वाली रिपोर्ट अब प्रकाश में आई हैं। उत्तराखंड के कम से कम तीन शहर भूस्खलन और भूमि कटाव की संभावना का सामना कर रहे हैं। मसूरी, नैनीताल, उत्तरकाशी के भटवाड़ी, मुनस्यारी और चंपावत के पूर्णागिरी में भी भूस्खलन हो रहा है। इसके अलाव गोपेश्वर, कर्णप्रयाग और श्रीनगर पर भी खतरा मंडरा रहा है।
गम्भीर चेतावनी
श्रीनगर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भूविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वाई पी सुंदरियाल ने चेतावनी दी है कि श्रीनगर का बड़ा हिस्सा बाढ़ के मलबे पर स्थित है और यहां अनियोजित निर्माण खतरनाक साबित हो सकता है।न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सुंदरियाल ने कहा, "गोपेश्वर की जमीन का भूनिर्माण जोशीमठ के समान है क्योंकि यहां की जमीन की सतह भी पूरी तरह से भूस्खलन सामग्री पर है और कठोर चट्टान 100 मीटर नीचे है। ऐसे में जो भी भारी ढांचा तैयार किया जा रहा है वो सब बंदोबस्त के लिए भूस्खलन सामग्री पर किया जा रहा है। कर्णप्रयाग की दरारों को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए।
कोई सबक नहीं सीखा
एक्सपर्ट्स ने कहा कि 2013 की केदारनाथ आपदा में मंदाकिनी घाटी ने भयानक तबाही मचाई थी, लेकिन हमने इससे सीख नहीं ली। इसके विपरीत कई जगहों पर आपदा के मलबे पर निर्माण किया जा रहा है, जो बेहद घातक हो सकता है।
नया अध्ययन होगा
इस बीच, वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, आईआईटी रुड़की, जियोफिजिकल और जियोटेक्निकल और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीमें जोशीमठ में भूधंसाव का अध्ययन करेंगी। ये सर्वे भूस्खलन के अलावा इस क्षेत्र में जल बहाव के रास्ते का अध्ययन करेगा। ये अध्ययन भूगर्भ जल के प्रेशर के अध्ययन के साथ साथ ये भी पता लगाएगा कि पानी के भूगर्भ से बाहर निकलने की कितनी संभावना है।