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राजद के अंदर भी तेज प्रताप यादव को लेकर बेचैनी....

raghvendra
Published on: 8 Dec 2017 7:37 AM GMT
राजद के अंदर भी तेज प्रताप यादव को लेकर बेचैनी....
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पिता की सुरक्षा में कटौती पर भड़के लालू के लाल, बोले- मोदी की खाल उधड़वा लेंगे

शिशिर कुमार सिन्हा

पटना: राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को शुरू से ही उनके अंदाज के कारण पहचाना गया। गंभीर से गंभीर बात लालू प्रसाद ऐसे अंदाज में बोलते रहे हैं कि हर वर्ग में चर्चित रहे। लालू के ‘सेंस ऑफ ह्यूमर’ की चर्चा राजनीतिक दलों के मुख्यालयों से मीडिया हाउस के न्यूज रूम तक होती रही है। ऐसी ही चर्चा इन दिनों लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की हो रही है, लेकिन कुछ दूसरे अंदाज में। इन्हें बिहार की राजनीति का खांटी इंटरटेनर कहा जा रहा है।

दूसरे राजनीतिक दलों में हर कोई तेजस्वी यादव को कुछ गंभीर और तेज प्रताप यादव को पूरी तरह बचकाना मान रहा है। राजद के अंदर लालू के ज्येष्ठ पुत्र को लेकर अजब तरह की मरमराहट है। राजद सुप्रीमो की बात होने के कारण कोई सीधे मुंह नहीं खोल रहा है, लेकिन सभी का कहना है कि तेज प्रताप की स्वास्थ्य मंत्री वाली स्थिति ठीक थी।

स्वास्थ्य मंत्री थे तो ‘नॉट रिचेबल- नॉट रिस्पांडिंग’

तेज प्रताप यादव बिहार की पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। जितने नॉट रिचेबल, उतने ही नॉट रिस्पांडिंग। राजनीति और विरोधी तो दूर, स्वास्थ्य महकमे को लेकर भी उनसे बयान लेना मुश्किल हुआ करता था। हालत यह थी कि स्वास्थ्य मंत्री किसी अस्पताल का निरीक्षण भी करते तो कभी-कभी एक-दो शब्द ही मीडिया के सामने बोलते और वह भी औपचारिक।

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किसी खबर को लेकर उनका बयान लेना मुश्किल नहीं, असंभव था। तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनवाने के साथ ही राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद तेज प्रताप यादव को शायद गंभीर होना सिखा रहे थे। इसी कारण सामने होते हुए भी अमूमन तेज प्रताप यादव किसी मुद्दे पर ज्यादा नहीं बोलते सुने जाते थे। लेकिन महागठबंधन सरकार गिरते ही जैसे वह बंधनमुक्त हो गए। बातें तो कई तरह की निकलीं, लेकिन अंतिम स्थिति यही रही कि अब वह बड़े होकर सीधे और खुलकर बयान देने लगे।

सुमो पुत्र की शादी में घुसकर मारने की धमकी तक दी

महागठबंधन तोडक़र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भाजपा के साथ मिल जाना राजद और कांग्रेस दोनों को नहीं भा रहा, लेकिन इस मामले में मुखर राजद ही रहा। उपमुख्यमंत्री से इतनी जल्दी पूर्व उपमुख्यमंत्री हुए तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कायम रहे नीतीश कुमार पर हर तरह के बयान दिए। बोलने में कोई नियंत्रण नहीं रखा, लेकिन मारपीट जैसी बात कभी नहीं कही। विधानसभा में तेजस्वी के शुरुआती बयान ने उन्हें परिपक्व राजनीतिज्ञ की छवि दी। सरकार से हट जाने के बावजूद तेजस्वी के बयान ने राजद के अंदर स्फूर्ति की स्थिति दी कि जवाब देने के लिये वह तैयार है।

महारैली में भी तेजस्वी की बातों का अच्छा रिस्पांस देख लालू-राबड़ी के साथ राजद के मुख्य चेहरे खुश नजर आए। दूसरी तरफ बड़े भाई तेज प्रताप यादव बयानों के मामले में लगातार अपनी दूसरी तरह की छवि बनाते जा रहे हैं। ताजा एपिसोड उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बेटे की शादी से जुड़ा है, जिसमें तेज प्रताप ने विवाह में जाने पर सब कुछ तहस-नहस करने और घर में घुसकर मारने जैसे बयान देकर फंस गए। इसे निम्नस्तरीय बयान कहते हुए भाजपा ने इसपर राजद अध्यक्ष का ही ध्यान आकृष्ट कराया।

सुशील मोदी के बेटे की शादी में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के पहुंचने के बाद तेज प्रताप का आया ‘शुद्धिकरण’ बयान भी चर्चा में रहा। तेज प्रताप ने अब कहा कि ‘वह (सुशील मोदी) पिता जैसे हैं, मेरी भी शादी करा दें।’ तेज प्रताप के ताजा बयान के बाद उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने उनके सामने बयान के जरिए ही दहेजमुक्त विवाह की शर्त पर लडक़ी ढूंढऩे की बात तो रखी ही, साथ ही यह भी वादा मांग लिया कि अब वह (तेज प्रताप) किसी भी शादी में जाकर मारपीट-हुड़दंग नहीं करेंगे। उप मुख्यमंत्री के इस बयान ने तेज प्रताप को लेकर नई बहस छेड़ दी कि राजद अध्यक्ष अपने बड़े बेटे की कैसी छवि चाह रहे हैं।

फोन टेप किए जाने के डर से राजद के बुजुर्ग राजनेता तेज प्रताप को लेकर कुछ नहीं बोलते, लेकिन वीरचंद पटेल पथ स्थित पार्टी कार्यालय में इन बातों की चर्चा जरूर हो रही है। इस चर्चा में भी ख्याल रखा जा रहा है कि कोई ऐसी बात नहीं बोली जाए जिससे कुछ अलग स्थिति सामने आए। कई बार मंत्री चुके राजद के एक बुजुर्ग राजनेता ने अलग से बातचीत में बस इतना कहा - ‘हां, कभी-कभी छुट्टा बोल जाते हैं। वैसे, पिता के कंट्रोल से बाहर नहीं हैं। पार्टी का जनाधार कमजोर करने वाला कुछ भी नहीं बोलेंगे। लेकिन, अब हमको कोट मत कर दीजिएगा।’

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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