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जानिये कहां है ये द्वीप, जहां इन लाखों लोगों को भेजने की तैयारी में है सरकार

इस जमीन पर बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने जा रहा है। इस द्वीप पर एक लाख घर बनाए गए हैं। अस्पताल बनाए गए हैं। मस्जिदें बनाई गई हैं। बांग्लादेश रोहिंग्या शरणार्थियों को यहां बसाने की तैयारी कर चुका है हालांकि इसके लिए अभी तारीख की घोषणा नहीं की गई है।

राम केवी
Published on: 18 Jan 2020 10:25 AM GMT
जानिये कहां है ये द्वीप, जहां इन लाखों लोगों को भेजने की तैयारी में है सरकार
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भाशन चार बंगाल की खाड़ी में एक बहता हुआ द्वीप है। म्यांमार की सीमा के पास स्थित भाशन चार आईलैंड पर बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने जा रहा है। इसे बहता हुआ द्वीप इसलिए कहा जाता है क्योंकि कभी यह पानी के ऊपर आ जाता था को कभी डूब जाता था।

बरसात में डूब जाता है

करीब बीस साल पहले समुद्र में यह आईलैंड उभरा था, जो कि मानसून के दौरान डूब जाया करता था। अब लंबे समय से निर्जन पड़ी इस जमीन पर बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने जा रहा है।

भाशन चार पर एक लाख घर बनाए गए हैं। अस्पताल बनाए गए हैं। मस्जिदें बनाई गई हैं। बांग्लादेश रोहिंग्या शरणार्थियों को यहां बसाने की तैयारी कर चुका है हालांकि इसके लिए अभी तारीख की घोषणा नहीं की गई है।

केवल एक लाख की व्यवस्था

इस द्वीप पर बनाए गए घर केवल एक लाख रोहिंग्या मुसलमानों के लिए पर्याप्त हैं जबकि 2017 से म्यांमार में शुरू हुई हिंसा के बाद तकरीबन दस लाख शरणार्थी बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं। म्यांमार में बौद्धों पर हुए हमलों के बाद सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से खदेड़ना शुरू किया था।

संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक सहायता समूहों ने इसे जातीय नरसंहार बताया था जिसमें हत्या बलात्कार व घरों को जलाए जाने की हजारों घटनाएं हुई थीं।

भाशन चार पर दुकानें खुल गई हैं जिनमें सब्जियों, मांस व चाय आदि की बिक्री हो रही है। वहां पर सोलर पावर सिस्टम व पानी की आपूर्ति भी शुरू हो गई है। यह द्वीप बांग्लादेश से 34 किलोमीटर दूर है।

2015 में जब पहली बार इस द्वीप पर रोहिंग्या को बसाने की योजना बनी थी उस समय संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव का इस द्वीप के हर साल डूब में आने की स्थिति को देखते हुए विरोध किया था। संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि कोई बड़ा तूफान आने पर यहां रहने वालों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।

दीवार बचाएगी

अब यहां पर एक 13 किलोमीटर लंबी दीवार बनाई गई है कहा जा रहा है यह दीवार तूफान की स्थिति में यहां रहने वाले लोगों का बचाव करेगी। गौरतलब है कि द्वीप के पास तटीय इलाकों में पिछले 50 साल में हज़ारों लोगों की प्राकृतिक आपदा से मौत हुई है।

रोहिंग्या मुसलमान कहां से आ रहे हैं

दरअसल म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बांग्लादेश की सीमा पर बसा एक प्रांत रखाइन है, जो 36 हजार 762 वर्ग किलोमीटर में फैला है, सितवे इसकी राजधानी है। रखाइन प्रांत में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।

बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आज कैंपो में रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि म्यांमार इन रोहिंग्या को बांग्लादेश का मानता है और बांग्लादेश इन्हें अपना नागरिक मानने से इनकार करता है। लाखों की संख्या में बिना दस्तावेज़ वाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं, इन्होंने दशकों पहले म्यांमार छोड़ दिया था।

राम केवी

राम केवी

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