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Rohingya In India: भारत में हजारों रोहिंग्या, इनकी वापसी कब होगी, कुछ तय नहीं

Rohingya In India: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या लोगों को वापस उनके वतन भेज दिया जाएगा।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 18 Aug 2022 12:27 PM GMT
Rohingya refugees in Delhi
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Rohingya refugees in Delhi (Image: Newstrack) 

Rohingya In India: भारत में म्यांमार से आये रोहिंग्या लोगों (Rohingya People In India) की तादाद गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के एक अनुमान के अनुसार, लगभग 40,000 है जो दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं। इनका आगे क्या हश्र होगा अभी कुछ तय नहीं है, हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने कहा है कि दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या लोगों को वापस उनके वतन भेज दिया जाएगा।

अगस्त 2017 में रोहिंग्या लोगों का सबसे बड़ा पलायन शुरू

म्यांमार के राखिन राज्य (Rakhine State of Myanmar) में हिंसा की भारी लहर के बाद अगस्त 2017 में रोहिंग्या लोगों का सबसे बड़ा पलायन शुरू हुआ और 700,000 से अधिक लोग बांग्लादेश में शरण लेने के लिए मजबूर हुए। आज की तारीख में बांग्लादेश और भारत समेत म्यांमार के पड़ोसी देशों में 9 लाख 80 हजार रोहिंग्या लोग हैं और इनमें से करीब 9 लाख 19 हजार अकेले बांग्लादेश में हैं। म्यांमार ने अपने 1982 के नागरिकता कानून (1982 Citizenship Act) के तहत मात्र 40 हजार रोहिंग्याओं को अपने नागरिकों के रूप में मान्यता दी है। बाकी को वह बांग्लादेश के "अवैध आप्रवासी बंगाली" कहता है।

रोहिंग्या शरणार्थियों ने इन जगहों में मांगी शरण

रोहिंग्या शरणार्थियों में से 92 हजार ने थाईलैंड में और 21 हजार ने भारत में शरण मांगी है। छिटपुट संख्या में रोहिंग्या इंडोनेशिया, नेपाल और अन्य देशों में बसे हुए हैं। भारत सरकार (Indian Government) इन रोहिंग्या को "अवैध आप्रवासी" और "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा" मानती है। भारत सरकार रोहिंग्याओं को वापस भेजने की कोशिश कर रही है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी थी जिसमें रोहिंग्या लोगों को म्यांमार भेजने से रोकने की मांग की गई थी।

भारत में रोहिंग्या में से कईयों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार एजेंसी द्वारा पहचान पत्र जारी किए गए है जो उनको शरणार्थियों के रूप में मान्यता देते हैं। लेकिन भारत, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी समझौते में शामिल नहीं है। संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या लोगों की जबरन वापसी का विरोध करता है लेकिन भारत ने इस रवैये को खारिज किया हुआ है।

दिल्ली में रह रहे रोहिंग्याओं को पहले डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा:केंद्रीय गृह मंत्रालय

बहरहाल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब स्पष्ट किया है कि दिल्ली में रह रहे रोहिंग्याओं को पहले डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा और फिर निर्वासित किया जाएगा। मंत्रालय के बयान के पहले केंद्रीय हाउसिंग और अर्बन अफेयर्स मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया था कि दिल्ली में रोहिंग्या लोगों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स और 24 घण्टे पुलिस सुरक्षा दी जाएगी।

बांग्लादेश की मांग

रोहिंग्या समस्या से बांग्लादेश भी परेशान है। वहां कॉक्स बाजार में लाखों रोहिंग्या शिविरों में रह रहे हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina) ने आज ही मांग की कि म्यांमार को रोहिंग्याओं को वापस ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि म्यांमार ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि रोहिंग्या उनके नागरिक हैं, लेकिन वे अभी तक अपने विस्थापित नागरिकों को वापस लेने की बात का जवाब नहीं दे रहे हैं। म्यांमार को अपने नागरिकों को अपने देश में वापस लाना होगा।

शेख हसीना (Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina) ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के मानवाधिकारों के उच्चायुक्त और चिली के पूर्व अध्यक्ष मिशेल बाचेलेट (Former Chilean President Michelle Bachelet) ने बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए शिक्षा और काम के अवसरों को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। हसीना ने कहा कि कॉक्स बाज़ार में इस तरह की पहल संभव नहीं होगी, जहां रोहिंग्या शरणार्थियों को 2017 से आश्रय दिया गया है। हसीना ने संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को सूचित किया कि इस तरह के कदम "भासन चार" द्वीप पर उठाए जा सकते हैं जहां 20,000 से अधिक रोहिंग्या हैं। उन्हें बेहतर बुनियादी सुविधाओं के साथ प्रदान करने के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है।

Deepak Kumar

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