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Ropeway Projects: रोपवे के लिए लगी प्रस्तावों की झड़ी, अब तक 25 राज्यों ने भेजे 260 प्रस्ताव
Ropeway projects in India: केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजना नेशनल रोपवे विकास कार्यक्रम के प्रति राज्यों का रुझान तेजी से बढ़ा है। जल्द ही देश में रोपवे परियोजनाओं का जाल बिछ जाएगा।
Ropeway projects in India : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना 'नेशनल रोपवे विकास कार्यक्रम' (National Ropeways Development Programme) के प्रति राज्यों का रुझान बढ़ा है। सब कुछ सही रहा तो जल्द ही देश भर में रोपवे परियोजनाओं का जाल बिछ जाएगा। बता दें, रोप-वे के निर्माण की जिम्मेदारी संभालने वाली केंद्र सरकार की कंपनी नेशनल हाइवेज लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (National Highways Logistics Management Limited) को अब तक तकरीबन 25 राज्यों से 260 से अधिक रोपवे परियोजनाओं के प्रस्ताव मिले हैं।
इस संबंध में नेशनल हाइवेज लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड यानी NHLML के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रकाश गौड़ (NHLML CEO and MD Prakash Gaur) ने बताया कि, 'रोपवे परियोजनाओं के लिए राज्यों ने खासा उत्साह दिखाया है। फिलवक्त राज्यों के एक-एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।'
तेज गति से चल रहा है प्रस्ताव पर काम
NHLML के सीईओ और एमडी प्रकाश गौड़ ने बताया कि, 'अब तक जिन 25 राज्यों से जो प्रस्ताव मिले हैं, उनमें से 20 की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। करीब 45 प्रस्तावों की व्यावहारिकता की जांच चल रही है। इनके बारे ही अंतिम फैसला लिया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि, भारत में रोपवे की इच्छा जताने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश (Andra Pradesh), महाराष्ट्र (Maharashtra), केरल (Kerala) और जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) सबसे आगे हैं। इन राज्यों ने 20 से अधिक प्रस्ताव केंद्र के पास भेजे हैं। पूर्वोत्तर राज्य भी रोपवे की मांग कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों से भी पांच प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
इन धार्मिक स्थलों पर मिलेगी रोपवे सुविधा
आपको बता दें कि, वाराणसी (Ropeway in Varanasi), उज्जैन (Ujjain), केदारनाथ (Kedarnath) हो या हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib), श्रीनगर (Ropeway in Srinagar), त्र्यंबकेश्वर (Trimbakeshwar) सहित 8 धार्मिक स्थलों पर रोपवे परियोजनाओं पर अमल किया गया है। यहां काम आगे बढ़ चुका है। संभावना जताई जा रही है कि मार्च-अप्रैल 2023 तक इन जगहों पर जमीन पर काम शुरू हो जाएगा। यहां के लिए पहले भी टेंडर निकाला गया था, मगर तकनीकी कारणों से दोबारा से प्रक्रिया आगे बढ़ी है। माना जा रहा है इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में 24 महीने का समय लग सकता है। बता दें, रोपवे की क्षमता प्रति घंटा 3000 यात्रियों की होगी। अनुमानित समय के अनुसार रोपवे 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा। जिससे श्रद्धालुओं को आने-जाने में विशेष सुविधा होगी। इन धार्मिक स्थलों पर रोपवे का काम शुरू होने के बाद अन्य राज्यों से भी मांग उठने लगी। देश के कई 25 राज्य अपने यहां इसी तरह की व्यवस्था चाहते हैं।
शहरी ट्रांसपोर्ट का भार होगा हल्का
रोपवे परियोजना की खास बात ये है कि, ये सभी प्रस्ताव धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले नागरिकों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। लोगों को यात्रा में किसी प्रकार का कष्ट न हो, इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही, महत्वपूर्ण बात ये है कि जब रोपवे सुविधा शुरू हो जाएगी तो इससे शहरी ट्रांसपोर्ट पर बोझ घटेगा। अधिकारी मानते हैं, रोपवे भी अब शहरी परिवहन का ही हिस्सा है। लेकिन, ये भी सही है कि रोपवे, मेट्रो सेवा का विकल्प नहीं हो सकता। बावजूद, यह लास्ट माइल कनेक्टिविटी (Last Mile Connectivity) के लिए शहरों में ट्रैफिक की समस्याएं कुछ हद तक दूर कर सकते हैं। वाराणसी में रोपवे परियोजना अर्बन ट्रांसपोर्ट (Urban Transport) के लिए है। जबकि, मध्य प्रदेश के जबलपुर से भी ऐसा ही प्रस्ताव मिला है, जहां दो जगह रोपवे बनाने का प्रस्ताव है।
UP-MP से मिले 15 प्रस्ताव
राज्यों से रोपवे प्रस्ताव इतनी तेजी से आ रहे हैं कि व्यावहारिक रिपोर्ट (Feasibility Report) के लिए कंसल्टेशन के नए टेंडर जारी करने पड़े हैं। हालात ये हैं कि, एक कंसल्टेशन फर्म को 8 से 10 प्रस्तावों की रिपोर्ट देने को कहा गया है। NHLML के सीईओ और एमडी प्रकाश गौड़ का कहना है, 'चार-पांच राज्यों को छोड़कर लगभग सभी राज्य अपने यहां रोपवे बनाना चाहते हैं। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और कर्नाटक (Karnataka) ने भी 10 से अधिक प्रस्ताव दिए हैं। इसी तरह, मध्य प्रदेश और यूपी से भी करीब 15 रोपवे प्रोजेक्ट के प्रस्ताव मिले हैं।