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Mohan Bhagwat: अल्पसंख्यकों पर संघ का बदलता नजरिया, संघ प्रमुख भागवत ने फिर किया रिझाने का प्रयास
Mohan Bhagwat Statement on Minorities: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयदशमी उत्सव में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर अल्पसंख्यक समाज को लेकर बड़ा बयान दिया है।
Mohan Bhagwat Statement on Minorities: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयदशमी उत्सव में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर अल्पसंख्यक समाज को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों में बिना किसी कारण के एक डर खड़ा किया जाता है कि संघ या अन्य संगठित हिंदू उनके लिए खतरा बन सकते हैं। संघ प्रमुख ने अल्पसंख्यक समाज को आश्वस्त करने के अंदाज में कहा कि अतीत में ऐसा न तो कभी हुआ है और न भविष्य में होगा। संघ प्रमुख के इस बयान को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। दरअसल मुस्लिमों को लेकर संघ के विचारों में हाल के दिनों में बड़ा बदलाव आता दिख रहा है। संघ प्रमुख के बुधवार को दिए गए महत्वपूर्ण भाषण को भी इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।
संघ प्रमुख भागवत ने पिछले दिनों मुस्लिम समाज से जुड़े हुए कई बुद्धिजीवियों से भी मुलाकात की थी और उनके साथ सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत बनाने के उपायों पर गंभीर मंथन किया था। बंद कमरे में चली इस बैठक के दौरान दोनों समुदायों के बीच संबंध सुधारने पर भी चर्चा हुई थी। संघ प्रमुख ने एक मस्जिद और मदरसे का दौरा करके मुस्लिम समुदाय से जुड़े धार्मिक नेताओं के साथ लंबी चर्चा भी की थी। सियासी जानकार भी संघ प्रमुख की इन कोशिशों को संघ की नीतियों में बड़े बदलाव के तौर पर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसका बड़ा असर दिख सकता है।
अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं
विजयदशमी के मौके पर करीब एक घंटे तक चले अपने संबोधन के दौरान संघ प्रमुख ने विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के साथ ही अल्पसंख्यकों के दिलों में बैठे डर को समाप्त करने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के संगठित होने की बात कहकर अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि संघ और हिंदुओं का यह स्वभाव ही नहीं है। अतीत में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है और भविष्य में भी इस तरह की कोई घटना होने की कोई संभावना नहीं है। संघ प्रमुख ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े प्रमुख लोगों के साथ बैठक के दौरान इस तरह की चिंताओं को लेकर व्यापक चर्चा हुई है। उन्होंने कहा भविष्य में भी संघ पदाधिकारियों के साथ अल्पसंख्यक समुदाय के प्रमुख लोगों की इस तरह कीबैठकों का सिलसिला जारी रहेगा।
मुस्लिम समाज भी मुखर होकर करे विरोध
उन्होंने पिछले दिनों उदयपुर में हुई दिल दहलाने वाली घटना का भी जिक्र किया। कन्हैया लाल हत्याकांड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद देश के लोगों का व्यापक आक्रोश सामने आया। संघ प्रमुख ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने पर जोर दिया। इसके साथ ही यह भी कहा कि ऐसी गलती होने पर हिंदू समाज की ओर से मुखर होकर विरोध किया जाता है। मुस्लिम समाज को भी ऐसा ही कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति को रोकने के लिए कुछ लोग सामाजिक सद्भाव का माहौल बिगड़ने की साजिश रचते हैं। हमारे बीच दूरियां बढ़ाने की कोशिश के साथ ही देश में आतंक और अराजकता का माहौल बनाने की कोशिश की जाती है। ऐसा करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है और लोगों को भी इस कार्रवाई में शासन की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
पूरी दुनिया में बढ़ा भारत का सम्मान
उन्होंने पूरी दुनिया में भारत के बढ़ते सम्मान की चर्चा करते हुए कहा श्रीलंका की मदद और रूस-यूक्रेन युद्ध में अपने हितों की रक्षा करने के कारण दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ा है। राष्ट्र की सुरक्षा के मामले में भारत स्वावलंबी बनता जा रहा है और पूरी दुनिया में भारत की आवाज को महत्व दिया जा रहा है। कोरोना महामारी से कुशलता से निपटने के बाद देश की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आ रही है। उन्होंने मातृशक्ति को बराबर का अधिकार देने और परिवार में निर्णय की स्वतंत्रता की भी वकालत की। संघ प्रमुख ने कहा कि जो काम पुरुष कर सकते हैं वे सारे काम महिलाएं भी कर सकती हैं मगर महिलाएं जो काम कर सकती हैं वे सारे काम पुरुष नहीं कर सकते। इसलिए महिलाओं के समावेश से ही समाज की संगठित शक्ति खड़ी की जा सकती है।
जनसंख्या नीति पर संघ प्रमुख का जोर
संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में धर्म आधारित जनसंख्या के असंतुलन का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि भारत को एक व्यापक जनसंख्या नीति अपनाने की जरूरत है। किसी को भी इससे छूट नहीं मिलनी चाहिए और सबको इसका पालन करना चाहिए। भागवत ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण ही भौगोलिक सीमाओं में बदलाव होता है। उन्होंने 1947 में हुए देश के विभाजन का जिक्र करते हुए कहा कि धर्मों के बीच जनसंख्या में कथित असंतुलन के कारण ही यह विभाजन हुआ था। उन्होंने ईस्ट तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवो जैसे देशों का उदाहरण भी दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि जनसंख्या में असंतुलन के कारण ही इन देशों का जन्म हुआ है। उन्होंने जन्म दर का जिक्र करने के साथ ही जबरन धर्म परिवर्तन और सीमा पार से अवैध प्रवासियों की देश में घुसपैठ का मुद्दा भी उठाया।
कुरैशी ने किया भागवत के भाषण का स्वागत
हाल ही में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ भागवत से मुलाकात करने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने विजयदशमी के मौके पर भागवत के भाषण का स्वागत किया है। कुरैशी ने कहा कि भागवत ने जनसंख्या नीति की चर्चा करते हुए मुसलमानों का नाम नहीं लिया। उन्होंने यह बात नहीं कही कि मुसलमान राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिए जानबूझकर आबादी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने शिक्षा और आमदनी को लेकर बहुत ही संतुलित तरीके से अपनी बात रखी है। उनके भाषण का मुख्य सार यही है कि हर मजहब और समाज से जुड़े हुए लोगों को परिवार नियोजन की नीति अपनानी चाहिए। कुरैशी ने भागवत के साथ हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि संघ प्रमुख से हुई बातचीत और बुधवार को उनकी इस बीच में कोई अंतर नहीं दिखा है।
जनसंख्या को लेकर चिंता सराहनीय
भागवत ने हाल में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के पांच सदस्यीय दल से बातचीत की थी। इन बुद्धिजीवियों में कुरैशी के अलावा दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, सेना के पूर्व उपप्रमुख रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह, वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी और बिजनेसमैन शाद शेरवानी शामिल थे। इस मुलाकात के दौरान भी दोनों समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने पर चर्चा हुई थी। भागवत से मुलाकात करने वाले वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी ने भी विजयदशमी के मौके पर भागवत के भाषण का स्वागत करते हुए कहा कि जनसंख्या को लेकर उनकी चिंता सराहनीय है, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि मौजूदा समय में भारत की आबादी संतुलित है। असंतुलित बढ़ोतरी को लेकर ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मुद्दों पर मैं भागवत की राय से सहमत नहीं हूं क्योंकि भारत के कोसोवो बनने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
भागवत से सहमत नहीं ओवैसी
वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि जब संघ और भाजपा का कोई नेता जनसंख्या विस्फोट की चर्चा करता है तो उसका इशारा मुस्लिम समुदाय की ओर ही होता है। यही कारण है कि एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भागवत के भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने भागवत के पूर्व के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि जब मुस्लिमों और हिंदुओं का डीएनए एक ही है तो फिर असंतुलन की बात कहां से पैदा हो गई। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है जैसा कि संघ प्रमुख कह रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात तो बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और नौजवानों में बढ़ती बेरोजगारी है। कुरैशी का भी कहना है कि यह तथ्य वास्तविकता से पूरी तरह परे है कि मुसलमानों की वजह से भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।
मस्जिद और मदरसे का भी किया था दौरा
वैसे विजयदशमी के मौके पर संघ प्रमुख के भाषण से पहले भी मुस्लिमों के प्रति संघ के बदलते नजरिए का उदाहरण दिख चुका है। संघ प्रमुख ने सितंबर महीने के दौरान दिल्ली में एक मस्जिद और मदरसे का दौरा किया था और ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख से चर्चा की थी। मुलाकात के बाद इमाम संगठन के प्रमुख ने भागवत को राष्ट्रपिता तक की संज्ञा दे डाली थी। संघ प्रमुख ने दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित एक मस्जिद में जाने के बाद उत्तरी दिल्ली के आजादपुर में मदरसा तजावीदुल कुरान का दौरा भी किया था।
देश के लिए मिलजुल कर काम करने पर जोर
यह पहला मौका था जब सरसंघचालक ने किसी मदरसे का दौरा किया था। मदरसे के बच्चों के साथ बातचीत के दौरान ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी ने भागवत को राष्ट्रपिता बताया था। हालांकि इस दौरान भागवत ने उन्हें तत्काल टोकते हुए कहा था कि भारत में एक ही राष्ट्रपिता हैं और बाकी सब भारत की संताने हैं। मस्जिद में इलियासी और भागवत की बातचीत करीब एक घंटे तक चली थी। इलियासी ने संघ प्रमुख की बातों से सहमति जताते हुए कहा था कि इस मुलाकात से यह संदेश जाना चाहिए कि देश को मजबूत बनाने के लिए हम सब मिलकर काम करना चाहते हैं। इस दौरे के समय भागवत के साथ संघ के एक और प्रमुख नेता कृष्ण गोपाल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक इंद्रेश कुमार भी थे।