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Mohan Bhagwat: आरक्षण को लेकर मोहन भागवत का बड़ा बयान, बोले – जब तक असमानता बनी रहेगी, तब तक ये जरूरी

Mohan Bhagwat: भागवत के यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उनके गृह राज्य महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर बड़ा आंदोलन हो रहा है।

Krishna Chaudhary
Published on: 7 Sep 2023 7:41 AM GMT
RSS chief Mohan Bhagwat
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RSS chief Mohan Bhagwat (photo: social media ) 

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी पर अक्सर आरक्षण विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं। ओबीसी और दलित पार्टियां बीजेपी पर संविधान से छेड़छाड़ कर आरक्षण समाप्त करने की साजिश रचने का आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि, बीजेपी ने हरबार इसका पुरजोर खंडन किया है। इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण पर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक समाज में असमानता बनी रहेगी, तब तक आरक्षण भी जारी रहना चाहिए।

भागवत के यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उनके गृह राज्य महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर बड़ा आंदोलन हो रहा है। मराठा राज्य की सबसे प्रभावशाली जाति है और पिछले कई दिनों से इस समुदाय के लोग अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रदर्शन हिंसक भी हो गया था,जिसके कारण पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था।

भागवत ने संविधान में दिए गए आरक्षण का किया समर्थन

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पितृ संगठन आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि समाज में भेदभाव मौजूद है, भले ही हम इसे देख न सकें। अगर समाज के वे वर्ग जो भेदभाव से 2 हजार साल तक पीड़ित रहे, तो हमें, जिन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा अगले 200 साल तक कुछ परेशानी क्यों नहीं झेल लेनी चाहिए।

भागवत ने आगे कहा कि जब तक हम समाज के उन वर्गों को समानता प्रदान नहीं करते, तब तक कुछ विशेष उपाय प्रदान करने होंगे और आरक्षण उनमें से एक है। इसलिए हम संविधान में दिए गए आरक्षण को पूरा समर्थन देते हैं। बता दें कि साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गए एक बयान ने चुनाव की पूरी दिशा ही बदल दी थी। तब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने उनके बयान को खूब तूल देते हुए कहा था कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करने की साजिश रच रही है।

अखंड भारत का सपना हो सकता है साकार

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अगर देश के युवा अखंड भारत के लिए काम करते रहेंगे, तो बूढ़े होने से पहले इसे साकार होता हुआ देखेंगे। उन्होंने कहा कि हालात ऐसे बन रहे हैं कि जो लोग भारत से अलग हो गए, उन्हें लगता है कि उन्होंने गलती की है। उन्हें लगता है कि हमें फिर से भारत बनना चाहिए था। वे सोचते हैं कि भारत बनने के लिए उन्हें मानचित्र पर रेखाओं को मिटाने की आवश्यकता है। मगर ऐसा नहीं है, भारत बनना भारत की प्रकृति या स्वभाव को स्वीकार करना है। वो स्वभाव मंजूर नहीं था, इसलिए विखंडन हुआ।

बता दें कि देश में जारी इंडिया बनाम भारत के बहस की शुरूआत भी संघ प्रमुख के बयान से हुई। पिछले दिनों असम के गुवाहटी में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि हमें इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। जिसके बाद तमाम बीजेपी के नेता इस बात को आगे बढाने लगे और धीरे-धीरे अब यह राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बन चुकी है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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