आंध्र को विशेष दर्जा दिलाने के लिए कांग्रेस डटी,जेटली ने बताया मनी बिल

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Published on: 26 July 2016 3:59 PM GMT
आंध्र को विशेष दर्जा दिलाने के लिए कांग्रेस डटी,जेटली ने बताया मनी बिल
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नई दिल्ली: राज्यसभा में अटके पड़े कई विधेयकों को इस सत्र में पारित कराने की मोदी सरकार की मुश्किलें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। राज्यसभा में कांग्रेस का व्यवधान जारी रहना मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने स्वीकार किया कि राज्यसभा में जीएसटी पर सहमति जितने ज्यादा दिन तक लटकेगी, उतना ही देश में यूनिफॉर्म टैक्स प्रणाली को अमल में लाने के लिए क्रांतिकारी जीएसटी विधेयक को मौजूदा सत्र में पारित करवाने की संभावनाएं धूमिल होती जाएंगी।

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के केंद्र सरकार के वादे पर अमल को लेकर कांग्रेस ने अपने एक सदस्य द्वारा रखे गए निजी विधेयक पर वोटिंग की मांग जारी रखी। कांग्रेस सदस्य उस वक्त हतप्रभ थे जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हंगामारत कांग्रेस सदस्यों को यह कहते हुए चुप करा दिया कि आंध्र को विशेष दर्जे संबंधी मांग मनी बिल यानी वित्त विधेयक है। ऐसी सूरत में इस तरह के किसी भी विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग नहीं हो सकती।

इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह शर्त जोड़कर कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ा दीं कि यदि सरकार आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी सरकारी विधेयक लाने की पेशकश करती है तो कांग्रेस सदस्य द्वारा पेश निजी विधेयक वापस ले लिया जाएगा।

मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी मुसीबत यह खड़ी हो गई है कि आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे की मांग पर उसकी सहयोगी टीडीपी भी लगातार आक्रामक है। टीडीपी केंद्र में मोदी सरकार के साथ है, लेकिन आंध्र को विशेष दर्जा न दिए जाने से नाराज है। मोदी सरकार इसलिए भी परेशानी में है कि बिहार में नीतीश कुमार पहले ही राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग और बीजेपी के वादे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़े किए हुए हैं।

दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पहले ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। नीतीश कुमार के अलावा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ नई मोर्चाबंदी की संभावनाओं पर वे चर्चा कर रही हैं।

इधर उच्च सदन राज्यसभा में जहां कांग्रेस और सरकार के बीच पिछले दो दिन से भारी टकराव चरम पर है। उपा सभापति पीजे कुरियन को पहले ही व्यवस्था दे चुके थे कि इस मांग पर आगामी शुक्रवार को मतदान होगा, लेकिन इस पूरे प्रकरण के बाद सरकार और कांग्रेस में फिर से तनातनी बढ़ती दिखाई दी। सबसे अहम बात यह है कि उप सभापति पी जे कुरियन के आदेश पर क्या सत्ता पक्ष अमल को राजी हो पाएगा।

जाहिर है जेटली का तर्क यह है कि चूंकि आंध्र की विशेष दर्जे की मांग का मतलब राज्य को ज्यादा पैसे की जरूरत, ऐसी सूरत में यह वित्त विधेयक के अलावा कुछ नहीं है। हालांकि कांग्रेस का हंगामा इस बात पर जारी है कि कुरियन की घोषणा पर राज्यसभा में अमल करने पर सत्ता पक्ष का रवैया क्या होगा और क्या वित्त मंत्री अरुण जेटली उस मौके पर सदन में मौजूद रहेंगे।

इस पूरे प्रकरण पर वित्त मंत्री को सदन में बीजेपी विरोधी दूसरे विपक्षी नेताओं ने यह कहते हुए घेरा कि सरकार को अगर पहले से पता था कि यह मनी

बिल है तो उसे पिछले साल 7 अगस्त को उसी दिन विधेयक का विरोध करना चाहिए था जब तेलंगाना में कांग्रेस के एमपी ने यह निजी विधेयक राज्यसभा में चर्चा और अनुमोदन के लिए पेश किया था।

कांग्रेस की सीधी सी रणनीति यह है कि राज्यसभा में मोदी सरकार के उन अहम विधेयकों को पारित होने में रोड़ा अटकाना, जिन्हें लेकर सरकार काफी उत्साहित है। जाहिर है कि अनिवार्य वनीकरण कोष विधेयक को मोदी सरकार पास कराने का पूरा जोर लगा रही है, लेकिन उसे अब साफ दिखने लगा है कि कांग्रेस दूसरे मामलों का बहाना बनाकर इस विधेयक को पारित करवाने में रोड़े अटकाने का पूरा इरादा बना चुकी है।

यूपी में समाजवादी पार्टी भी इस पक्ष में है कि विधेयक पास हो जिससे यूपी को इस बहाने केंद्र से 4,500 करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता जारी हो सके। आंध्र प्रदेश को भी इस कोष से 2,300 करोड़ रूपए का अनुदान मिलेगा।

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