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Run For Unity: रन फ़ॉर यूनिटी और मैं, आसान नहीं था, आइये जाने कैसे हुई इसकी शुरुआत

Run For Unity Ka Itihas in Hindi: मेरा जुड़ाव इस अभियान में दिसंबर, 2013 में तब हुआ, जब गुजरात से अधिकारियों व नेताओं की एक बड़ी टीम को उत्तर प्रदेश में रन फ़ॉर यूनिटी करने आना था।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 31 Oct 2023 1:53 PM IST (Updated on: 31 Oct 2023 1:57 PM IST)
Run For Unity Ka Itihas in Hindi
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Run For Unity Ka Itihas in Hindi (Photo - Social Media)

Run For Unity Ka Itihas: आज पूरे देश में बहुत व्यवस्थित तरीक़े से रन फ़ॉर यूनिटी तथा राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जा रहा है। जगह जगह रैलियाँ हो रही है। कार्यक्रम हो रहे हैं। यह आयोजन देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर उनको और उनके कामकाज को याद करने के लिए होता है। तक़रीबन दस साल से हो रहा है। यह आयोजन नरेंद्र भाई मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए तक़रीबन दस साल पहले शुरू कराया था। यह उनके प्रधानमंत्री बनने के बड़े आयोजनों में से एक रहा। यह भी कह सकते हैं कि नरेंद्र भाई मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के अभियानों में जन जन तक पहुँचने वाला यह अभियान था।

मेरा जुड़ाव इस अभियान में दिसंबर,2013 में तब हुआ, जब गुजरात से अधिकारियों व नेताओं की एक बड़ी टीम को उत्तर प्रदेश में रन फ़ॉर यूनिटी करने आना था। उस समय की भाजपा के उत्तर प्रदेश के नेता इस आयोजन में शिरकत करना तो दूर सहयोग करने को भी तैयार नहीं थे। इस समय के आसपास मेरी मुलाक़ात उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी से गांधी नगर में हुई।


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उन्होंने हमसे बहुत कुछ पूछा। जाना। अंत में यह जानना चाहा कि इस अभियान के मीडिया कवरेज में मेरा योगदान व सफलता कितनी हो सकती है। हमने योगदान में तो पूरी यानी शत प्रतिशत कहा। पर मीडिया के बारे में उन्हें कहा कि अस्सी फ़ीसदी की सफलता के नतीजे हम आप को दे सकते हैं। अस्सी फ़ीसदी सफलता सुनने के बाद उन्होंने संतोष जताया।

उस समय उस आयोजन के लिए गुजरात से नितिन भाई पटेल जी, विजय रुपाणी जी, पूना मॉडम जी, , पूनम जाट जी, पांड्या जी, अनुपम सिंह गहलोत जी, दशरथ भाई पटेल जी, मधु भाई श्रीवास्तव जी, राजेंद्र त्रिवेदी जी, महेश सिंह जी, मनोज अग्रवाल जी आये थे। इन लोगों से हमारी मुलाक़ात भी हुई। इनमें कई नेता व कई मंत्री थे। रन फ़ॉर यूनिटी बहुत सफलतम तरीक़े से संपन्न हो गयी। मीडिया में इसकी विज्ञप्ति जाने की बात हुई तो हमने उस समय भाजपा के तमाम कई दिग्गजों, जो आज मंत्री, सासंद, राज्यपाल हैं, से आग्रह किया कि आप में से कोई प्रेस रिलीज़ पर साइन कर दें ताकि उसे छपने में दूसरे समाचार पत्रों में काम कर रहे मेरे साथियों को सुविधा हो। पर कोई तैयार नहीं हुआ। इनके नाम लिखना ठीक नहीं होगा पर दर्जन भर तो ऐसे भाजपा के नेता रहे जिन्होंने कन्नी काट ली। हमने विजय पाठक को भी एप्रोच किया। वह तैयार हो गये।

हमन मजाक में उनसे कहा कि इस पर दस्तख़त कर देंगे तो विधान परिषद का रास्ता खुल जायेगा। विजय पाठक जी ने मेरी मज़ाक़ की इस बात को गंभीरता से लिया। कहा कि यदि यह संभव है तो आप किसी प्रेस में विज्ञप्ति लेकर मत जाइये। मैं खुद जाऊँगा। छप जायेगी। विजय जी भाजपा का मीडिया उससे कुछ पहले तक देखते थे, हमें पत्रकारों से उनके रिश्तों की हक़ीक़त पता थी। पर फिर भी हमने अपने उन साथियों को जो दूसरे समाचार पत्रों में काम कर रहे थे, सब को बारी बारी से फ़ोन किया। हालाँकि आयोजन इतना सफल था कि उसे कवरेज मिलना लाज़िमी था। पर मेरे मन में अंदेशा घर कर गया था। दूसरे दिन कवरेज देख जो लोग गुजरात से आये थे, उन सबकी बाँछें खिल गयीं।

आज जब जन जन ही नहीं, सरकारें इस आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते दिख रही है।

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सरदार पटेल की मूर्ति याद आती है तो लगता है किसी बड़े काम में मुझे भी एक छोटी सी आहुति डालने का काम निश्चित तौर से बाग़वानी के श्री कृपा से ही मिला था।


सरदार पटेल जी ने चौदह राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों तथा 562 छोटी रियासतों को भारत में जोड़ा। एक अखंड भारत का निर्माण किया। इस काम से खुश होकर गांधी जी ने सरदार पटेल जी को लौह पुरुष का ख़िताब दिया। बारडोली सत्याग्रह में संगठनात्मक कौशल के लिए महात्मा गाँधी जी ने ही सरदार की भी उपाधि इन्हें दी थी। गांधी जी ने दांडी यात्रा का ज़िम्मा पटेल जी को ही सौंपा था । सरदार पटेल ने दो साल तीन महीने जेल में बिताये थे।


नरेंद्र भाई मोदी जी ने जनता से लोहा एकत्रित करके गुजरात के नर्मदा ज़िले के केवडिया कॉलोनी में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के सामने एक नदी पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक बनवाया है। भारत के स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का नाम सबसे ऊंची प्रतिमाओं में सबसे पहले आता है।इसकी ऊँचाई 597 फ़ीट यानी 182 मीटर है। 'स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी' का डिज़ाइन प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी सुतार ने तैयार किया था।कमाई में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी ताजमहल से आगे, सालभर में 56 करोड़ रूपये के मुकाबले 63 करोड़ रुपये जुटाए ।


2017-18 से लेकर 2021-22 तक के करीब 3 साल के कालखंड में 152 करोड़ रुपये का रेवेन्यु ताजमहल से आया। यह सभी ऐतिहासिक इमारतों से होने वाली कमाई का करीब 40 प्रतिशत था। रिपोर्ट्स के अनुसार. ताजमहल की 40 करोड़ रुपये की कमाई तो लोकल टिकट से और 110 करोड़ की कमाई विदेशी टिकटों से होती है।

स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी में तीन से पंद्रह साल के बच्चों के लिए 60 रुपये प्रवेश शुल्क है। बड़ों के लिए टिकट की कीमत 120 रुपये है। इस टिकट से आप वैली ऑफ फ्लावर, मेमोरियल, म्यूजिम और ऑडियो-विजुअल गैलरी के साथ सरदार सरोवर डैम का लुत्फ उठा सकते हैं। 30 अक्टूबर, 2022 तक आठ मिलियन से अधिक लोगों ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का दौरा किया है।2022 के आखिरी आठ दिनों में दैनिक फुटफॉल 45,000 से 50,000 के बीच था।स्टैच्यू बनाने में 2,989 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं और इसे भारत की लार्सन एंड टुब्रो (L&T) कंपनी ने बनाया है।


मूर्ति के मूल भाग में 210,000 घन मीटर (7,400,000 घन फीट) सीमेंट और कंक्रीट, 6,500 टन संरचनात्मक स्टील और 18,500 टन प्रबलित स्टील का उपयोग किया गया था। बाहरी अग्रभाग 1,700 टन कांस्य प्लेटों और 1,850 टन कांस्य आवरण से बना है जिसमें 565 मैक्रो और 6000 माइक्रो पैनल शामिल हैं।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल द्वारा किया गया था, जिसमें अधिकांश पैसा गुजरात सरकार से आया था।

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