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सबरीमाला विवाद: अमित शाह ने कहा- अदालत को वही फैसले सुनाने चाहिए जिनका पालन हो सके
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश पर से रोक हटने के बाद भी विवाद थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। इस पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। राजनीतिक दल इस मुद्दे को गरमाए रखना चाहते है।
इसी बीच अमित शाह ने केरल के कन्नूर में पहुंचकर एक ऐसा बयान दे दिया है। जिस पर फिर से ये मामला तूल पकड़ सकता है। शाह ने यहां कहा कि पार्टी भगवान अयप्पा के भक्तों के साथ चट्टान की तरह खड़ी है।
राज्य की वाम सरकार भगवान अयप्पा के भक्तों का दमन कर रही है। उन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अदालत को वही फैसले सुनाने चाहिए, जिनका पालन हो सके।
भाजपा अध्यक्ष ने शनिवार को कहा, ‘सरकार और कोर्ट को आस्था से जुड़े मामलों में फैसले सुनाने से बचना चाहिए। ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए जो लोगों की आस्था का सम्मान नहीं कर सकें।
संविधान के अनुच्छेद-14 की दुहाई दी जाती है। वहीं, 25 और 26 के तहत अपने धर्म के अनुसार जीने का मुझे अधिकार है। एक मौलिक अधिकार दूसरे को नुकसान कैसे पहुंचा सकता है।’ शाह ने कहा कि अदालत के फैसले के नाम पर परंपराओं को तोड़ने की कोशिश करने वालों को बता दूं कि देशभर में कई मंदिर हैं जो अलग-अलग परंपराओं से चलते हैं।
हिंदू धर्म ने कभी महिलाओं के साथ अन्याय नहीं किया, बल्कि उनको देवी मानकर पूजा की है।’
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि वाम सरकार राज्य में मंदिरों की परंपरा को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
आज केरल में धार्मिक विश्वास और राज्य सरकार की क्रूरता के बीच संघर्ष चल रहा है। सरकार ने 2000 से ज्यादा श्रद्धालुओं, भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस दिया है। मैं सीएम पी. विजयन को चेतावनी देता हूं कि अगर दमन की कोशिश को रोका नहीं गया तो भाजपा कार्यकर्ता सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे।
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