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Sachin Pilot: पायलट के खिलाफ एक्शन के मुद्दे पर कांग्रेस में मतभेद, खड़गे ने बुलाई बैठक, आज हो सकता है फैसला
Sachin Pilot: कांग्रेस नेतृत्व को यह बात काफी नागवार गुजरी है कि सचिन पायलट ने अनशन के जरिए अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है।
Sachin Pilot: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का बिगुल फूंकने वाले सचिन पायलट से कांग्रेस नेतृत्व खासा नाराज दिख रहा है। कांग्रेस नेतृत्व को यह बात काफी नागवार गुजरी है कि सचिन पायलट ने अनशन के जरिए अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है। हालांकि उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर पार्टी पसोपेश की स्थिति में फंसी हुई है।
उनके खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर पार्टी में मतभेद पैदा हो गया है। चुनावी साल होने के कारण पार्टी को राजस्थान में सियासी नुकसान का डर भी सता रहा है। पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई है जिसमें पायलट मुद्दे पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में कोई फैसला लिया जा सकता है।
रंधावा ने दिया कार्रवाई का संकेत
पायलट ने राज्य के पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की चेतावनी को नजरअंदाज करके मंगलवार को जयपुर के शहीद स्मारक पर अनशन किया था। रंधावा ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात के दौरान राजस्थान के सियासी हालात पर चर्चा की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद सचिन पायलट को कड़ा संदेश देने की तैयारी है मगर इस पर एक राय नहीं बन पा रही है। खड़गे से मुलाकात के बाद रंधावा ने कहा कि पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दे सही हैं मगर उन्होंने गलत तरीका अपनाया है।
रंधावा ने साफ तौर पर कहा कि इस मामले में पहले ही एक्शन हो जाना चाहिए था मगर अब पार्टी एक्शन लेने से नहीं हिचकिचाएगी। रंधावा के इस बयान से साफ हो गया है कि अब पार्टी राजस्थान में किसी भी गुटबाजी या दबाव को बर्दाश्त नहीं करेगी। पार्टी की ओर से पायलट के खिलाफ जल्द ही एक्शन लिया जा सकता है।
पायलट के अनशन पर रंधावा सौंपेंगे रिपोर्ट
पार्टी के इस तेवर से साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगे भी मजबूत स्थिति में बने रहेंगे और पार्टी उनकी अगुवाई में ही इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के अखाड़े में कूदेगी। दूसरी ओर गहलोत के खिलाफ पायलट का बड़ा अभियान कमजोर पड़ता दिख रहा है। पायलट के अनशन के एक दिन बाद रंधावा ने खड़गे से मुलाकात के दौरान पायलट के अनशन के संबंध में गहन चर्चा की है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पायलट के अनशन के संबंध में रंधावा रिपोर्ट तैयार करेंगे और इस रिपोर्ट के आधार पर ही पायलट के खिलाफ लिए जाने वाले एक्शन के संबंध में फैसला किया जाएगा। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गुरुवार को भी रंधावा का खड़गे से मुलाकात का कार्यक्रम है और माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान ही पायलट के खिलाफ एक्शन पर मुहर लग सकती है। वैसे सचिन पायलट भी बुधवार को दिल्ली पहुंच गए थे। पायलट प्रियंका गांधी से मुलाकात करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि वे प्रियंका से मुलाकात में सफल हो पाते हैं या नहीं।
पायलट के कदम को पार्टी विरोधी बताया
इस बीच पार्टी के प्रदेश प्रभारी रंधावा का कहना है कि पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दे तो सही हैं मगर उन्होंने इन मुद्दों को उठाने के लिए जिन तरीकों का सहारा लिया है वे तरीके सही नहीं है। उन्हें विधानसभा सत्र के दौरान इस मामले को उठाना चाहिए था और पार्टी के फोरम पर इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि मैं सभी चीजों का विश्लेषण करने की कोशिश में जुटा हुआ हूं और इसी आधार पर रिपोर्ट तैयार करके पार्टी नेतृत्व को सौंपूंगा।
रंधावा ने कहा कि सचिन पायलट ने जिस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की उसे पार्टी समर्थक रुख नहीं माना जा सकता। रंधावा का बयान इस बात का संकेत है कि उन्हें पायलट का प्रेस कॉन्फ्रेंस करना और फिर अनशन पर बैठना रास नहीं आया है।
राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देंगे
पायलट के अनशन पर बैठने से पहले ही रंधावा ने इस कदम को पार्टी विरोधी प्रतिनिधि बताते हुए पायलट को रोकने की कोशिश की थी। उनका कहना था कि अगर पायलट को अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से कोई शिकायत है तो उसे पार्टी के फोरम पर ही उठाया जाना चाहिए। मीडिया के जरिए पर बयानबाजी को उचित नहीं ठहराया जा सकता। रंधावा का कहना था कि प्रदेश प्रभारी बनने के बाद उनकी पायलट से कई बार मुलाकात हो चुकी है मगर इन मुलाकातों के दौरान उन्होंने कभी उन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं की जिन पर आज वे काफी मुखर दिख रहे हैं।
पार्टी अध्यक्ष खड़गे से मुलाकात के बाद उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राजस्थान को पंजाब नहीं बनने दिया जाएगा। मालूम हो कि पंजाब में पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू और बाद में सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी के बीच मतभेदों के कारण पार्टी को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ा था।
राजस्थान की सियासत में भूचाल
पायलट के अनशन के बाद राजस्थान की सियासत में भूचाल आ गया है और गहलोत समर्थक भी पायलट पर कार्रवाई का दबाव बनाने लगे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अभी तक इस मुद्दे पर खुलकर कोई बयान नहीं दिया है मगर जानकारों के मुताबिक वे अपने समर्थकों के साथ आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। हाईकमान का समर्थन हासिल होने से गहलोत और उनके समर्थकों के हौसले बुलंद दिख रहे हैं। दूसरी ओर पायलट के समर्थक वेट एंड वाच की स्थिति में दिख रहे हैं। वे पायलट के दिल्ली से लौटने का इंतजार कर रहे हैं ताकि आगे की रणनीति बनाकर उस पर अमल किया जा सके।
वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस नेतृत्व इस पूरे प्रकरण पर गहराई से मंथन में जुटा हुआ है क्योंकि पायलट पर कार्रवाई से उसे राजस्थान में सियासी नुकसान होने का डर भी सता रहा है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से राजस्थान के संकट को सुलझाने की दिशा में क्या कदम उठाया जाता है।