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शिवराज का आदिवासियों को कुपोषण भत्ता महज चुनावी प्रलोभन

Rishi
Published on: 27 Dec 2017 6:12 PM IST
शिवराज का आदिवासियों को कुपोषण भत्ता महज चुनावी प्रलोभन
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ग्वालियर : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सहरिया आदिवासियों में बढ़ते कुपोषण को मिटाने के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के ऐलान को एकता परिषद के प्रवक्ता और जनांदोलन 2018 की राष्ट्रीय समिति के सदस्य मनीष राजपूत ने महज चुनावी प्रलोभन करार देते हुए मुख्यमंत्री से मांग की है कि वास्तव में कुपोषण मिटाना है तो आदिवासियों को जमीन और जंगल का अधिकार देना होगा। राजपूत ने बुधवार को एक बयान में कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार ने सहरिया आदिवासियों को कुपोषण से मुक्ति के लिए 1000 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की है, जो सिर्फ चुनावी प्रलोभन से ज्यादा कुछ नहीं है।

उन्होंने सवाल किया कि बीते साल विजयपुर के कराहल में जब कुपोषण से 35 बच्चों की मौत हुई थी, तब इस तरह की घोषणा क्यों नहीं की गई।

राजपूत ने आरोप लगाया, "ग्वालियर-चंबल में हजारों आदिवासियों ने वन अधिकार के आवेदन दिए हैं, मगर आज तक उनको अधिकार नहीं मिला। सिर्फ श्योपुर जिले की ही बात की जाए तो वहां 24,000 आवेदन दिए गए हैं। उसमें 12,000 को ही अधिकार पत्र मिले हैं, परंतु कब्जा नहीं। आज भी आदिवासियों की जमीनों पर दबंगों का कब्जा है। मुख्यमंत्री वास्तव में आदिवासी समाज का कुपोषण दूर करना चाहते हैं तो उन्हें वन अधिकार के तहत जंगल व जमीन का अधिकार दिलाएं। ऐसा होने पर ही उनका कुपोषण दूर हो सकेगा।"

राजपूत ने कहा, "कुपोषण मिटाने के लिए प्रतिमाह 1000 रुपये देने की घोषणा सिर्फ चुनाव में सहरिया आदिवासियों को लुभाने का प्रयास है। कोलारस और मुंगावली विधानसभा में आने वाले दिनों में होने वाले उप-चुनाव को ध्यान में रखकर सबसे ज्यादा रुपये खाते में डालकर मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए यह योजना बनाई गई है और कराहल जहां सबसे ज्यादा कुपोषण है, वहां अभी सिर्फ सर्वे चल रहा। यह राज्य सरकार की करनी और कथनी के अंतर को दर्शाती है।"

राजपूत ने कहा है कि मुख्यमंत्री गरीब व वंचितों को भूमि अधिकार और आवासीय अधिकार देकर ही उन्हें न्याय दिला सकते हैं, इसलिए जल्द भूमि सुधार कानून लागू कर वन अधिकार का सही क्रियान्वयन करें, ताकि पूरे अंचल से कुपोषण दूर हो सके।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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