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Same Sex Marriage: समलैंगिक जोड़ों को बिना मान्यता मिल सकते हैं सामाजिक फायदे, विचार के लिए केंद्र सरकार बनाएगी कमेटी

Same Sex Marriage: केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि, समलैंगिक शादी का मसला इतना सरल नहीं है। सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) में हल्का बदलाव करने से बात नहीं बनेगी।

Aman Kumar Singh
Published on: 3 May 2023 3:33 PM GMT (Updated on: 3 May 2023 3:52 PM GMT)
Same Sex Marriage: समलैंगिक जोड़ों को बिना मान्यता मिल सकते हैं सामाजिक फायदे, विचार के लिए केंद्र सरकार बनाएगी कमेटी
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा दिए बिना ऐसे जोड़ों को कुछ अधिकार देने पर केंद्र सरकार विचार करेगी। केंद्र की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) को बताया गया है कि, इसके लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन (High Level Committee on Gay-Lesbian Couple) किया जाएगा। मामले की सुनवाई कर रही 5 सदस्यीय खंडपीठ ने इस पर संतोष जाहिर किया। कहा, कि 'याचिकाकर्ता सरकार को अपने सुझाव सौपे।'

आपको बता दें, 2018 में शीर्ष अदालत ने दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से एकांत में बने समलैंगिक संबंध (Homosexual Relationship) को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था। तब कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध करार देने वाली आईपीसी की धारा- 377 के एक हिस्से को निरस्त किया था। इसी के बाद सेम सेक्स मैरिज को कानूनी दर्जा देने की मांग जोर पकड़ने लगी। आखिरकार, पिछले साल ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (CJI D.Y. Chandrachud) की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ इन दिनों इस मसले पर सुनवाई कर रही है।

SC के पास नहीं है कानून बनाने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ (Constitution Bench of SC) ने 5 दिनों तक चली सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं की बातों को सुना। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने जिरह शुरू की। SG ने कहा, 'भारतीय समाज और उसकी मान्यताएं समलैंगिक विवाह को सही नहीं मानते हैं। शीर्ष अदालत को समाज के एक बड़े हिस्से की आवाज को भी सुनना चाहिए। तुषार मेहता ने कहा, कि कानून बनाना या उसमें बदलाव करना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। सर्वोच्च न्यायालय अपनी तरफ से शादी की नई संस्था को मान्यता नहीं दे सकता।'

'सेम सेक्स मैरिज को मिले कानूनी मान्यता'

इससे पहले, याचिकाकर्ताओं ने दुनिया के कई देशों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, उन देशों में समलैंगिक शादी को मान्यता दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा, कि भारत में समलैंगिक जोड़ों को कोई भी कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं है। कानूनी तौर पर पति-पत्नी नहीं होने के चलते वो साथ में बैंक अकाउंट तक नहीं खोल सकते। अपने पीएफ (Provident Fund) या पेंशन में पार्टनर को नॉमिनी नहीं बना सकते। इन सभी समस्याओं का हल तभी होगा, जब उनके विवाह को कानूनी मान्यता मिलेगी।

स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा- 4 को स्पष्ट करने की मांग

याचिकाकर्ताओं (Petitioners) की ओर से ये भी कहा गया था कि, अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को शादी की अनुमति देने वाली वाले स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा- 4 (Section- 4 of the Special Marriage Act) की मामूली व्याख्या से सारी समस्या हल हो सकती है। आपको बता दें, धारा- 4 में ये लिखा है कि दो लोग आपस में विवाह कर सकते हैं। याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट से बस इतना स्पष्ट करने की मांग कर रहे हैं कि दो लोगों का मतलब सिर्फ स्त्री और पुरुष ही नहीं है, इसमें समलैंगिक भी शामिल हैं।

सॉलिसिटर जनरल- हल्के बदलाव से नहीं बनेगी बात

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में कहा कि, 'सेम सेक्स मैरिज का मसला इतना सरल नहीं है। सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट में हल्का-फुल्का बदलाव करने से बात नहीं बनेगी। समलैंगिक शादी को मान्यता देना बहुत सारी कानूनी जटिलताओं को जन्म देगा। इससे 160 अन्य कानून भी प्रभावित होंगे।'

Aman Kumar Singh

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