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कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करे सरकार: संजय सिंह
केंद्रीय कर्मचारियों के लिये नई पेंशन स्कीम की योजना 22 दिसंबर 2003 की अधिसूचना द्वारा लागू की गई थी और इस प्रणाली को 1 जनवरी 2004 से केंद्र सरकार की सेवा में आने वाले सभी नये केंद्रीय कर्मचारियों के लिये अनिवार्य कर दिया गया था।
नई दिल्ली: गुरुवार को राज्यसभा सांसद डॉ० संजय सिंह ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिये 1 जनवरी 2004 से लागू नई पेंशन स्कीम की कुछ गंभीर विसंगतियों के बारे मे सदन में मुद्दा उठाया।
नई पेंशन स्कीम में कई खामियां
केंद्रीय कर्मचारियों के लिये नई पेंशन स्कीम की योजना 22 दिसंबर 2003 की अधिसूचना द्वारा लागू की गई थी और इस प्रणाली को 1 जनवरी 2004 से केंद्र सरकार की सेवा में आने वाले सभी नये केंद्रीय कर्मचारियों के लिये अनिवार्य कर दिया गया था। इसकी पूर्ववर्ती पेंशन योजना में कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन, उनकी संतोष जनक सरकारी सेवा के प्रतिफल के रुप में, उनको और उनके परिवार को सुरक्षित करने के लिये दी जाती थी। नई व्यवस्था में इस तरह की बहुत सारी बातों का ध्यान नहीं रखा गया।
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'सरकार और कर्मचारी दोनों अपना अंशदान देते हैं'
सबसे गंभीर बात ये है कि नई पेंशन व्यवस्था में सरकार और कर्मचारी दोनों अपना अंशदान देते हैं और इस अंशदान को सरकार द्वारा शेयर मार्केट की डिफाल्टर कंपनियों में लगाया जा रहा है। शेयर मार्केट आधारित इस व्यवस्था से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों का भविष्य बेहद जोखिम भरा होता जाएगा और यहां तक कि उनकी पेंशन की कोई निश्चित गारंटी भी नहीं होती। दूसरी बात पुरानी पेंशन व्यवस्था में सेवानिवृत्त होने वाले हर कर्मचारी को बढ़ने वाली मंहगाई की प्रतिपूर्ति के रुप मे प्रत्येक 6 माह मे मंहगाई भत्ता दिये जाने की व्यवस्था थी, जो इस व्यवस्था मे नहीं है।
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पुरानी पेंशन व्यवस्था में सरकारी कर्मचारी
पुरानी पेंशन व्यवस्था में सरकारी कर्मचारी के लिये सामान्य भविष्य निधि की अलग से व्यवस्था थी, कर्मचारी भविष्य निधि मे अपना जो अंशदान देते थे, उस पूरी राशि पर सरकार द्वारा एक निश्चित ब्याज दिया जाता रहा है, जबकि नई पेंशन व्यवस्था मे जी.पी.एफ. की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।
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नई पेंशन व्यवस्था में जो कुल राशि होती है उसका 40 प्रतिशत शेयर मार्केट में लगाया जाता है। सरकारी कर्मचारी जिस दिन रिटायर होता है, उसदिन जैसा शेयर मार्केट का जो रुख होता है उस हिसाब से उसे 60 प्रतिशत राशि मिलती है, बाकी के 40 प्रतिशत के लिये पेंशन प्लान लेना होता है और पेंशन प्लान के आधार पर ही उसकी आगे की पेंशन तय होती है। जैसा कि मै कह चुका हूं इस पेंशन की राशि मे बढ़ती हुई महगांई के लिये किसी भी तरह की सरकार द्वारा समय-समय पर की जाने वाली प्रतिपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है।
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नई पेंशन व्यवस्था में सरकारी कर्मचारियों के हितों का कोई ध्यान नहीं रखा गया है और उनकी सेवा निवृत्ति के बाद के आगामी जीवन के लिये सुरक्षा की निश्चित गारंटी जैसा कुछ नही है और सरकारी कर्मचारियों के लिये लागू की गई नई पेंशन व्यवस्था पूरी तरह से कर्मचारी विरोधी है। उन्होंने सदन के माध्यम से सरकार से मांग है कि सरकारी कर्मचारियों के लिये नई पेंशन व्यवस्था की जगह 1 जनवरी 2004 के पूर्व वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाय।