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बताइए सरकार! क्या कसूर है संत गोपाल दास का, क्यों बेमौत मार रहे उन्हें
संजय तिवारी
हरियाणा के जिस सोनारिया जेल में बलात्कारी बाबा राम रहीम कैद है, उसी जेल में एक वास्तविक संत मरणासन्न है। यह संत पिछले 100 दिनों से आमरण अनशन पर हैं, और गायो की जमीन मुक्त करने की मांग कर रहे हैं। ताज्जुब तो यह है कि राम रहीम की पल पल की खबर देने वाले मीडिया को इस वास्तविक तपस्वी की खबर लेने की सुधि तक नहीं है।
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ये हैं प्रख्यात गोसेवक संत गोपाल दास जी महाराज। संत गोपालदास ने इंटरनेशनल कामधेनु अहिंसा यूनिवर्सिटी से अर्थ बैलेंस एनवायरमेंट एनीमल बिहेवियर पर पीएचडी की है। दिसंबर 2012 में पीएचडी के लिए सभी थीसिस जमा करवा चुके हैं। हालांकि इससे पहले ही उन्होंने मानवता की सेवा के लिए संत का चोला धारण कर लिया था।
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उनका कहना है कि डिग्री में कभी ज्ञान बंध नहीं होता और ज्ञान तो इससे परे है। पानीपत के राजाखेड़ी के मूल निवासी संत गोपाल दास का असली नाम डॉ. आजाद सिंह मलिक है। वे गच्छाधिपति प्रकाश चंद और शेर-ए- हिंद सुंदर मुनि के संपर्क में आने के बाद आजाद सिंह से संत गोपालदास बन गए।
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आमरण अनशन के 100 दिन
गोचराण भूमि के लिए 100 दिन से अन्न त्यागकर अनशन कर रहे संत गोपालदास ने जन्मदिन पर जल का भी त्याग कर दिया। कल गुरुवार को सुबह साढ़े 11 बजे गोपालदास के लिए उनकी बहन सुनारिया जेल में गंगाजल और नारियल पानी भी लेकर गई, लेकिन किसी भी सामान को अंदर नहीं जाने दिया गया।
गंगाजल की पांच बोतलों और नारियल पानी को लौटा दिया गया। अंदर साफ पानी नहीं होने का हवाला देकर संत गोपालदास ने पीने से इंकार कर दिया। इसके चलते गोपालदास की हालत बिगड़ गई और शाम 4 बजकर 48 मिनट पर उन्हें पीजीआईएमएस में भर्ती करवाया गया।
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बहन ने बाहर आकर रोते हुए कहा कि राम-रहीम के चक्कर में सभी कैदी और उनके परिजन परेशान हैं। किसी को भी ढंग से मिलने नहीं दिया जा रहा। जन्मदिन वाले दिन भी भाई सुबह से प्यासा रहा।
गायो के चरने की ढाई लाख एकड़ भूमि को मुक्त कराने की मुहिम
हरियाणा के 6764 गांवो मे प्रदेश की 17 लाख 72 हजार गायों के चरने के लिए ढाई लाख एकड़ जमीन थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार न तो इस भूमि का उपयोग बदला जा सकता है और ना ही इसके मूल स्वरूप मे बदलाव किया जा सकता है। इसके बावजूद इसमे से 50 हजार एकड़ जमीन पर नाजायज कब्जा है। और बाकी बची 2 लाख एकड़ जमीन सरकार ने लीज पर दे रखी है। अब गायों के चरने के लिए भूमि नहीं बची है। इसी भूमि को मुक्त करवाने के लिए संत गोपाल दास जी पिछले 100 दिनों से अनशन पर हैं, उनका 16 किलो वजन कम हो गया है। लेकिन फिर भी वो अपने जीवन की चिंता न किए हुए गौ माता के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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39 बरस के गोपालदास का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। शाम को संत गोपालदास का ब्लड प्रेशर 94/60 दर्ज किया गया। वहीं किटोन की संख्या भी पेशाब में लगातार बढ़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि ब्लड शुगर लो चल रही है, यह आरबीएस 69 तक हो गई और यह सामान्य तौर पर 100 से 140 के बीच रहनी चाहिए।
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चार जगह सुरक्षा जांच में लगे दो घंटे
जन्मदिन के मौके पर भाई से मिलने गई बहन पूनम करीब दो घंटे तक चार कड़े सुरक्षा घेरों से निकलकर जेल तक पहुंची। गोपालदास से मिलने वालों में उनकी बहन पूनम, सरदार कृष्ण पाली और अल्मोडा से नारायण पहुंचे थे। ये चार नारियल पानी, पांच गंगाजल की बोतल और कुछ दवाएं लेकर गए थे। जैसे ही वे जेल तक पहुंचे तो किसी भी सामान को जेल में लेने से इंकार कर दिया गया। शीशे की दीवार से दूसरी तरफ इंटर-कॉम टेलीफोन से ही गोपालदास से बात करवाई गई। चौथी बार में जाकर फोन मिला और बात की गई। तीनों ने एक-एक मिनट बात की। इस दौरान भाई की गिरती हालत देखकर बहन के आंसू निकल आए।
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जन्मदिन की बधाई भी नहीं दे पाई बहन
बाहर आते ही बहन फफक पड़ी और बोलीं कि जन्मदिन के मौके पर सुबह से जल भी त्याग दिया है और अंदर गंगाजल है नहीं। इसके अलावा साधारण पानी वे ले नहीं रहे हैं। गुरुवार को सामान लेकर पहुंचे तो वह भी जेल प्रशासन ने अंदर नहीं ले जाने दिया। बाहर से ही वापस लौटा दिया। जन्मदिन की बधाई भी नहीं दे पाई। ऐसी किस तरह की जेल है जो भाई-बहन को भी नहीं मिलने दिया जाता। राम रहीम के चक्कर में सभी कैदियों के परिजनों को परेशानी हो रही है और कोई भी ढंग से नहीं मिल पा रहा है।
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बहन से बात करते हुए गोपालदास ने कहा कि आज भी जन्मदिन है और पहले भी मनते रहे हैं और आगे भी मनते रहेंगे। मेरा सिर्फ एक ही लक्ष्य है और गोचराण भूमि को छुड़ाना और इसे छुड़ाकर ही दम लेंगे।
सैंपल के लिए भी खून नहीं निकल पाया
सुनारिया जेल में 11 अगस्त से बंद चल रहे संत गोपालदास की हालत को लेकर ब्लड सैंपल भी नहीं लिया जा सका। संत गोपालदास के शरीर से सुबह ब्लड सैंपल लेकर शुगर जांच की गई, लेकिन शाम को ब्लड सैंपल लेने के लिए डॉक्टरों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। उनके अंगुली व नसों से खून ही नहीं निकल पा रहा था। डॉक्टरों को बार-बार दबाकर खून निकालना पड़ा। शाम को चेकअप किया तो उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें जेल से पीजीआईएमएस के इमरजेंसी वार्ड में भेजा गया।
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गौरक्षा के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे संत गोपाल दास मुनि का कहना है कि उनका अनशन जीव हित और
गरीब हित के लिए है। एक तरफ जहां गायों के लिए चरने के लिए जगह नहीं, वहीं गरीब व्यक्ति जो पशु पालकर अपना गुजारा कर रहा है, उनका रोजगार छिन रहा है।
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उन्होंने कहा कि उन्हें जिंदगी जीव हित की सेवा के लिए मिली है। इसलिए जब तक शरीर में सांस है, तब तक वे जीव हित की मांग करते रहेंगे। संत गोपालदास अब पूरी तरह से निढाल हो चुके हैं। उनका शरीर कंकाल की भांति नजर आने लगा है। उनकी एक किडनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। लेकिन इन सब के बावजूद उनमें गजब की दृढ़ इच्छा शक्ति है, जो उनके संघर्ष को कम नहीं होने दे रही है।
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उन्होंने कहा कि गोचरान भूमि जब तक मुक्त नहीं हो जाती, तब तक उनके शरीर से प्राण भी नहीं निकलेंगे। बातचीत के दौरान शरीर में कमजोरी के चलते उनकी जुबान लड़खड़ाने लगी। उन्होंने कहा कि आमरण अनशन का मतलब चिकित्सा का सहारा लेना नहीं है। इसलिए उन्होंने न तो ग्लूकोज चढ़ने दिया है और न कोई दवा का सेवन।
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10 मई को वजन 54 किलो था अब घटकर 32 किलो रह गया है
संत गोपालदास ने गुजरात और हरियाणा राज्य की तुलना करते हुए बताया कि गुजरात में चारागाह भूमि व गोचर विकास बोर्ड है। गुजरात अधिक से अधिक पशु पालकर दूध क्षेत्र में श्वेत क्रांति का अग्रदूत बन गया है। वहां प्रदेश को शराबबंदी, गो हत्या, कत्लगाह मुक्त किया गया है। लेकिन दूसरी तरह हरियाणा में शराब के कदम-कदम पर ठेके हैं। चारागाह माफिया सक्रिय है और गायों की सुरक्षा केलिए कोई इंतजाम नहीं हैं।
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गौरतलब है कि इससे पहले संत गोपालदास जी गौरक्षा और गौचर भूमि के मुद्दे पर गुजरात और पंजाब मेँ भी लंबे अनशन करके अपनी माँगे मनवा चुके हैँ वहाँ की सरकारोँ ने गोपालदास जी के कहने पर अपने राज्य मेँ शक्तिशाली गौचर विकास बोर्ड की स्थापना कर दी थी।
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खून से खत
संत गोपालदास जी अपनी माँगोँ के संबंध मेँ भारत के मुख्य न्यायधीश और हरियाणा के मुख्यमंत्री को खून से खत भी लिख चुके हैँ। हरियाणा मेँ वे पिछले कुछ महीनो मेँ कई बार अनशन कर चुके हैँ और पहले के अनशनो मेँ सरकार ने उनको आश्वासन के नाम पर धोखा दिया। कल रात उनको हऱियाणा सरकार ने दिल्ली के एम्स अस्पताल मेँ भर्ती कराया था। आज एम्स के डाक्टर ने बताया कि इतने लंबे अनशन के कारण उनकी 1 किडनी क्षतिग्रस्त हो गई है।
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भूमि गयी कहाँ
हरियाणा मेँ 14 लाख गाय हैँ और 1.5 लाख एकड़ गौचर भूमि है जिसमेँ से 90 हजार एकङ पर अवैध कब्जा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार प्रत्येक गाँव मेँ कुलजमीन का 5% हिस्सा गौचर भूमि के लिए छोङा जाना अनिवार्य है जो किसी अन्य उद्देश्य केलिए प्रयोग नहीँ किया जा सकता। लेकिन नीच हरियाणा सरकार ने 1990 मेँ पंजाब विलेज कॉमन लैँड एक्ट मेँ संशोधन करके गौचर भूमि को शामलात भूमि मेँ ही शामिल कर दिया गया और पंचायतेँ उस जमीन को पट्टे पर देने लगी और उसमेँ से 100 गज के प्लाट काटकर अपना वोट बैँक बढाने के लिए प्रयोग किया जाने लगा जिससे गौमाता को अपना पेट भरने के लिए दर-दर भटकना पङता है।
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संत गोपालदास जी की माँग है कि जब सुअर, बकरी, मुर्गी के लिए अलग से विकास बोर्ङ बन सकता है तो गाय की रक्षा केलिए शक्तिशाली गौचर विकास बोर्ड क्योँ नहीँ बनाया जा रहा। संत गोपालदास जी के 40 दिन लंबे पिछले अनशन को सरकार ने गौ सेवा बोर्ड बनाकर खत्म कराया था लेकिन गौ सेवा बोर्ड को बिल्कुल शक्तिहीन रखा गया जिससे कुपित होकर संत गोपालदास जी ने 10 मई से दोबारा अनशन की शुरुआत की।
मीडिया की बेरुखी
अन्ना हजारे के 12 दिन के अनशन और केजरीवाल के 15 दिन के अनशन को सिर पर उठा लेने वाली मीडिया संत गोपालदास जी के अनशन का पूरी तरह बहिष्कार कर रही है। अगर यकीन ना हो तो किसी भी चैनल पर खुद फोन करके देख लीजीए। अगर गोपालदास जी का नाम लेते ही आपका फोन ना काट दिया जाए तो कहना। सिर्फ इलैक्ट्रॉनिक मीडिया ही नहीँ बल्कि प्रिँट मीडिया भी ऐसा ही कर रही है।
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इस आंदोलन मे कुछ एक को छोङकर ज्यादातर गौशालाएँ भी साथ नही दे रही क्योँकि गोपालदास जी के पिछले अनशन को खत्म कराने के लिए शक्तिहीन गौसेवा बोर्ड की स्थापना करके कुछ गौशाला संचालकोँ को सरकारी पद दिया गया था और अब वे लोग अपने निजी स्वार्थो के चलते उनका साथ नहीँ दे रहे लेकिन गौसेवा बोर्ङ के एक ईमानदार सदस्य राकेश अग्रवाल ने अपना इस्तीफा भी दे दिया।
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