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चबाने वाली तंबाकू बैन, SC ने सरकार को दिए विक्रेताओं पर कार्रवाई के निर्देश

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Published on: 24 Sep 2016 11:27 PM GMT
चबाने वाली तंबाकू बैन, SC ने सरकार को दिए विक्रेताओं पर कार्रवाई के निर्देश
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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने चबाने वाली हर किस्म की तंबाकू पर बैन लगा दिया है। जस्टिस वी. गोपाल गौड़ा और जस्टिस आदर्श के गोयल की बेंच ने शुक्रवार को सरकार से कहा है कि इस मामले में वह कड़ी कार्रवाई करे। अदालत ने अगली सुनवाई के दौरान सभी राज्यों से जवाब भी मांगा है।

क्यों लगाया बैन?

अदालत ने खाद्य सुरक्षा विनियामक एक्ट 2011 के तहत सभी गुटखा उत्पादों को बैन किया था। इसके बाद कंपनियों ने आदेश को ठेंगा दिखाने के लिए पान मसाला अलग और तंबाकू अलग से बेचना शुरू किया। इस मामले में तमाम याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थीं। इस पर कोर्ट के मददगार (एमिकस क्यूरी) गोपाल सुब्रहमण्यम ने अदालत का ध्यान कंपनियों के इस तरीके की ओर दिलाया। इसके बाद अदालत ने सख्त तेवर दिखाए।

क्या कहता है कानून?

खाद्य सुरक्षा विनियामक एक्ट 2011 की धारा 2.3.4 में कहा गया है कि उत्पाद में ऐसी चीज नहीं होनी चाहिए, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचे। किसी भी खाद्य पदार्थ में तंबाकू और निकोटीन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इस मामले में एफएसएएआई के सूत्रों का कहना है कि अदालत के ताजा निर्देश से देशभर में गुटखा और अन्य चबाए जाने वाले उत्पादों पर रोक लगाई जा सकेगी।

भारत में कितने हैं तंबाकू के उपभोक्ता?

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2010 के मुताबिक भारत में करीब 35 फीसदी वयस्क तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। तंबाकू इस्तेमाल करने वाले कुल लोग 27.5 करोड़ हैं। इनमें से 16.37 करोड़ चबाए जाने वाले उत्पादों, 6.9 करोड़ बीड़ी-सिगरेट पीने और 4.23 करोड़ लोग चबाने के साथ ही धूम्रपान भी करते हैं।

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