क्या बिहार की तरह अन्य राज्यों में भी मिलेगा पीरियड लीव? याचिका पर SC ने केंद्र को दिए ये अहम निर्देश

SC on Menstrual Leave: पीठ ने कहा कि यह नीति से जुड़ा मुद्दा है और इस पर न्यायालय को विचार नहीं करना चाहिए। महिलाओं को इस तरह की छुट्टी देने के बारे में SC का ऐसा निर्णय प्रतिकूल और हानिकारक साबित हो सकता है,

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Newstrack Network
Published on: 8 July 2024 9:15 AM GMT (Updated on: 8 July 2024 9:17 AM GMT)
SC on Menstrual Leave
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SC on Menstrual Leave (सोशल मीडिया) 

SC on Menstrual Leave: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को महिलाओं को पीरियड लीव देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर विचार करने से मना कर दिया। साथ ही, याचिकाकार्त को पीरियड लीव देने की मांग पर केंद्र सरकार से एक मॉडल नीति तय करने के लिए सभी हितधारकों और राज्यों के साथ बातचीत करने को कहा है। कोर्ट में यह याचिका केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पीरियड लीव देने के लिए नीति बनाने के लिए निर्देश देने के लिए दायर की गई थी, इस सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इंकार कर दिया।

कोर्ट का निर्णय हो सकता प्रतिकूल और हानिकारक साबित

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने की, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल रहे। पीठ ने कहा कि यह नीति से जुड़ा मुद्दा है और इस पर न्यायालय को विचार नहीं करना चाहिए। महिलाओं को इस तरह की छुट्टी देने के बारे में SC का ऐसा निर्णय प्रतिकूल और हानिकारक साबित हो सकता है,, क्योंकि नियोक्ता उन्हें काम पर रखने से बच सकते हैं।

याचिकाकर्ता को यहां बात रखने की दी छूट

कोर्ट ने कहा कि इस पर नीति सरकारों को बनाना चाहिए और बढ़ना चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के सामने अपनी बात रखने की छूट दी। कोर्ट ने सचिव से आग्रह कर कहा कि वह नीतिगत स्तर पर इस मामले को देखें और सभी पक्षों से बात करके फैसला लेकर तय करें कि क्या इस मामले में एक आदर्श नीति बनाई जा सकती है?

वकील शैलेंद्रमणि त्रिपाठी ने दायर की याचिका, बिहार में मिलती है छुट्टी

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के लिए पीरियड लीव देने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग के लिए याचिकाकर्ता वकील शैलेंद्रमणि त्रिपाठी ने एक जनहित याचिका डाली थी। इस याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को लागू करने के निर्देश देने की मांग की गई थी, ताकि छात्राओं और महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव प्राप्त हो सके। याचिकाकर्ता ने बताया कि कि मौजूदा समय में बिहार ही एक अकेला ऐसा राज्य है जो 1992 की नीति के तहत विशेष मासिक धर्म दर्द अवकाश देता है। याचिका में कहा गया है कि मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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