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SC ने केंद्र से कहा- नशेड़ी बच्चे बन रहे नशे के तस्कर, 6 महीने में पेश करें कार्ययोजना
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्कूली बच्चों में बढ़ती नशे की लत पर रोक लगाने के लिए छह महीने के भीतर राष्ट्रीय कार्ययोजना पेश करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि एक बार लत लग जाने के बाद उन्हें नशे का तस्कर बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वह देशभर में स्कूली बच्चों में शराब सहित और मादक पदार्थों की लत और उनके इस्तेमाल पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण करवाए। निर्देश जारी करते हुए पीठ ने कहा, उन्हें नशे की लत लग जाने के बाद नशे का सौदागर बनने को प्रोत्साहित किया जाता है।
बचपन बचाओ ने दी थी याचिका
यह निर्देश एक जनहित याचिका पर दिया गया है। याचिका साल 2014 में सरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन ने दायर की थी। गौरतलब है कि यह संगठन नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का है।
आदर्श पाठ्यक्रम बनाने की मांग की थी
याचिका में संगठन ने बच्चों में मादक पदार्थों की लत पर राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाने का निर्देश देने की मांग की थी जिसमें पहचान, जांच, सुधार, काउंसलिंग और पुनर्वास शामिल किए जाने की मांग की थी। इसके अलावा मादक पदार्थों के इस्तेमाल के दुष्प्रभाव पर आदर्श पाठ्यक्रम बनाने की भी मांग की गई थी। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने देश के हर जिले में बच्चों के लिए विशेष इकाई वाले नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की भी मांग की।
गौरतलब है कि नशेड़ी बच्चे इस समय न सिर्फ बड़े लोगों की तरह शराब और सिगरेट पीते हैं बल्कि अब इस तरह की आदत का भी शिकार होने लगे हैं। डॉक्टर बताते हैं मादक परार्थों की लत के चलते इन बच्चों के शरीर का विकास रुक जाता है। इस तरह के पदार्थों के सेवन से जब बड़े लोगों के शरीर में कई तरह की बीमारियां पनपने लगती हैं तो बच्चों के शरीर पर इनका क्या दुष्प्रभाव हो सकता है।