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टीचर्स को यूनिवर्सिटी में विभागीय आधार पर मिले आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति/जनजाति(एससी/एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों को लेकर अहम सुनवाई की। कोर्ट ने अलग-अलग विश्वविद्यालयों में टीचर्स के लिए आरक्षित पदों में कटौती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी।
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति/जनजाति(एससी/एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों को लेकर अहम सुनवाई की। कोर्ट ने अलग-अलग विश्वविद्यालयों में टीचर्स के लिए आरक्षित पदों में कटौती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्तियों में दिए जाने वाले आरक्षण में विभाग को 'यूनिट माना जाएगा न कि विश्वविद्यालय को'।
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हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इंकार
दरअसल, साल 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया, जिसमें शिक्षकों की विश्वविद्यालय स्तर पर नियुक्ति में आरक्षण देने संबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गाइडलाइंस को दरकिनार कर दिया गया था।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण विभागीय-वार लागू होगा, न कि विश्वविद्यालय स्तर पर।
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'हाईकोर्ट का फैसला तार्किक'
कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला तार्किक है। अगर आरक्षण विभागवार नहीं होगा तो किसी खास विभाग के छात्र कैसे आवेदन करेंगे। कोर्ट ने सरकार के उस आग्रह को भी ठुकरा दिया कि कानून का प्रशन खुला रहने दिया जाना चाहिए। सरकार द्वारा यह करने पर कि हाइकोर्ट के फैसले से शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही है। पीठ ने कहा कि याचिका खारिज हो गई है। लिहाजा मामले में कुछ नहीं बचा।