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Ayushmaan Bharat Yojna: आयुष्मान भारत योजना में खेल, 'मरे हुए'लोगों का हुआ इलाज, लाखों मरीजों का एक ही मोबाइल नंबर

Ayushmaan Bharat Yojna Scam: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्यना योजना के संबंध में तीखी टिप्पणियाँ कीं हैं और बताया है कि जिन रोगियों को पहले ‘मर गया’ दिखाया गया था वे आयुष्मान योजना के तहत उपचार का लाभ उठाते रहे।

Neel Mani Lal
Published on: 10 Aug 2023 3:32 PM IST (Updated on: 10 Aug 2023 10:39 PM IST)
Ayushmaan Bharat Yojna: आयुष्मान भारत योजना में खेल, मरे हुएलोगों का हुआ इलाज, लाखों मरीजों का एक ही मोबाइल नंबर
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Ayushmaan Bharat Yojna Scam (Photo: Social Media)

Ayushmaan Bharat Yojna Scam: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्यना योजना के संबंध में तीखी टिप्पणियाँ कीं हैं और बताया है कि जिन रोगियों को पहले ‘मर गया’ दिखाया गया था वे आयुष्मान योजना के तहत उपचार का लाभ उठाते रहे। जिन राज्यों में ऐसे सबसे अधिक मामले सामने आए हैं वे हैं छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश।

कैग का खुलासा

कैग ने कहा है कि मृत्यु के मामलों के डेटा विश्लेषण से पता चला कि योजना के तहत उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई। इन रोगियों के संबंध में नए उपचार से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है। ऑडिट में आगे कहा गया है कि उपरोक्त दावों में से 3,903 में 3,446 मरीजों से संबंधित 6.97 करोड़ रुपये की राशि अस्पतालों को भुगतान की गई थी। डेटा विश्लेषण से पता चला कि एक ही मरीज को एक ही अवधि में कई – कई अस्पतालों में भर्ती दिखाया गया है। इस तरह गड़बड़ी को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं थी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने जुलाई 2020 में इस मुद्दे को स्वीकार किया था और कहा था कि ये मामले उन स्थितियों में सामने आते हैं जहां एक बच्चे का जन्म एक अस्पताल में होता है और मां की पीएमजेएवाई आईडी का उपयोग करके दूसरे अस्पताल में नवजात को देखभाल के लिए ट्रान्सफर किया जाता है। एनएचए के स्पष्टीकरण के सख्त विरोध में सीएजी द्वारा आगे के डेटा विश्लेषण से पता चला कि डेटाबेस में 48,387 मरीजों के 78,396 दावे शुरू किए गए थे, जिसमें पहले के इलाज के लिए इन मरीजों की छुट्टी की तारीख उसी मरीज के दूसरे इलाज के लिए प्रवेश की तारीख के बाद की थी। यानी इलाज बाद में हुआ और छुट्टी पहले मिल गयी।

इन मरीजों में 23,670 पुरुष मरीज शामिल हैं। ऐसे मामले छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश और पंजाब में अधिक प्रचलित थे। रिपोर्ट में कहा गया है - इस तरह के दावों का सफल भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों (एसएचए) की ओर से अपेक्षित जांचों को सत्यापित किए बिना दावों को संसाधित करने में चूक को इंगित करता है। हालाँकि, एनएचए ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि यह समस्या कंप्यूटर की तारीख और समय के गैर-सिंक्रनाइज़ेशन, नवजात शिशुओं के मामलों, प्रवेश की तारीख के बाद पूर्व-प्राधिकरण की रिकॉर्डिंग के कारण थी।

सरकार की जानकारी

सीएजी की रिपोर्ट संसद में तब पेश की गई जब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत संदिग्ध लेनदेन और संभावित धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग कर रही है। बघेल ने कहा कि इन टेक्नोलॉजी का उपयोग स्वास्थ्य देखभाल धोखाधड़ी की रोकथाम, पता लगाने और निवारण के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि ये टेक्नोलॉजी पात्र लाभार्थियों को उचित उपचार सुनिश्चित करने में सहायक हैं। मंत्री ने बताया कि 1 अगस्त, 2023 तक योजना के तहत कुल 24.33 करोड़ आयुष्मान भारत कार्ड बनाए गए हैं।

लाखों मरीजों का एक ही मोबाइल नंबर

लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में अनियमितताओं पर, सीएजी रिपोर्ट ने आयुष्मान भारत-प्रधान में गंभीर खामियों को उजागर किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ही मोबाइल नंबर पर कई लाभार्थियों का पंजीकरण किया गया है। नंबर 3 पर लगभग 9.85 लाख लोग पंजीकृत हैं, जबकि मोबाइल नंबर 9999999999 पर 7.49 लाख लोग पीएम-जेएवाई योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में पंजीकृत हैं। इस उद्देश्य के लिए अन्य सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले नंबर 8888888888, 9000000000, 20, 1435 और 185397 हैं। बीआईएस डेटाबेस के डेटा विश्लेषण से पता चला कि बड़ी संख्या में लाभार्थी एक ही या अमान्य मोबाइल नंबर के खिलाफ पंजीकृत थे। कुल मिलाकर 1119 से 7,49,820 लाभार्थी बीआईएस डेटाबेस में एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए थे, ऐसा सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है।

इसने डेटाबेस में कई अन्य दोषों को भी चिह्नित किया गया है जैसे कि अमान्य नाम, डुप्लिकेट स्वास्थ्य आईडी, लिंग क्षेत्रों में अमान्य प्रविष्टियाँ, अवास्तविक पारिवारिक आकार और गलत जन्मतिथि आदि। रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 मामलों में 18 आधार नंबरों के खिलाफ दो पंजीकरण किए गए और तमिलनाडु में सात आधार नंबरों के खिलाफ 4,761 पंजीकरण किए गए। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पीएमजेएवाई योजना के तहत कई सूचीबद्ध स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं (ईएचसीपी) ने निर्धारित गुणवत्ता मानकों और मानदंडों का पालन नहीं किया जो देखभाल में लाभार्थियों की सुरक्षा और कल्याण और पैनल में शामिल होने के लिए न्यूनतम शर्तों की कुंजी हैं। इनमें से कुछ ईएचसीपी में डॉक्टरों, बुनियादी ढांचे और उपकरणों की कमी थी। उनमें से कुछ न तो समर्थन प्रणाली और बुनियादी ढांचे के न्यूनतम मानदंडों को पूरा करते हैं और न ही पीएम-एबीजेएवाई दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित गुणवत्ता मानकों और मानदंडों के अनुरूप हैं। कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ईएचसीपी ने बुनियादी ढांचे, अग्नि सुरक्षा उपायों, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण और अस्पताल पंजीकरण प्रमाणपत्र से संबंधित अनिवार्य मानदंडों का पूरी तरह से पालन नहीं किया। कुछ अन्य ईएचसीपी में, पैनल में शामिल होने से पहले अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र समाप्त हो गए थे।

परिवारों के आकार पर भी संदेह

कैग की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 43,197 घरों में परिवार का आकार 11 से 201 सदस्यों तक का था। एक घर में इतने सदस्यों का होना न केवल रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के दौरान वेरिफिकेशन में फर्जीवाड़े को दिखाता है, बल्कि इस बात की भी संभावना है कि लाभार्थी इस योजना में परिवार की परिभाषा स्पष्ट न होने का फायदा भी उठा रहे हैं। गड़बड़ी सामने आने के बाद एनएचए ने कहा कि वह 15 से ज्यादा सदस्यों वाले किसी भी लाभार्थी परिवार के केस में एड मेम्बर ऑप्शन को डिसेबल करने के लिए सिस्टम डेवलप कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक 7.87 करोड़ लाभार्थी परिवार योजना में रजिस्टर्ड थे। जो नवंबर 2022 के टारगेट 10.74 करोड़ का 73 फीसदी है। बाद में सरकार ने लक्ष्य बढ़ाकर 12 करोड़ कर दिया था।

6 राज्यों में पेंशन भोगी उठा रहे लाभ

आयुष्मान योजना का लाभ चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कई पेंशनभोगी उठा रहे हैं। तमिलनाडु सरकार के पेंशनभोगी डेटाबेस की इस योजना के डेटाबेस से तुलना करने पर पता चला कि 1,07,040 पेंशनभोगियों को लाभार्थियों के रूप में शामिल किया गया था। इन लोगों के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बीमा कंपनी को करीब 22.44 करोड़ रुपए का प्रीमियम भुगतान किया गया। ऑडिट में पता चला कि अयोग्य लोगों को हटाने में देरी के चलते बीमा प्रीमियम का भुगतान हुआ था।



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Neel Mani Lal

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