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SCO Summit 2022: द्विपक्षीय रिश्ते को मजबूत बनाएगी मोदी-पुतिन की मुलाकात, रूस की नजर में इसलिए बढ़ी भारत की अहमियत
SCO Summit 2022: यूक्रेन के खिलाफ रूस की ओर से जंग छेड़े जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने कई मौकों पर परोक्ष तरीके से रूस की मदद की है।
SCO Summit 2022: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)के आज और कल होने वाले शिखर सम्मेलन में पूरी दुनिया की निगाहें रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि उज्बेकिस्तान के समरकंद में होने वाले इस सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते को और मजबूत बनाएगी।
यूक्रेन के खिलाफ रूस की ओर से जंग छेड़े जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने कई मौकों पर परोक्ष तरीके से रूस की मदद की है। अमेरिका की अगुवाई में कई प्रमुख पश्चिमी देशों के रूस के खिलाफ अभियान से दूर रहने के कारण रूस की नजर में भारत की अहमियत काफी बढ़ गई है। रूस को आगे भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के मदद की दरकार है। इस नजरिए से मोदी और पुतिन की मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और कई प्रमुख देशों की निगाहें इस मुलाकात पर टिकी हुई हैं।
बातचीत का एजेंडा काफी व्यापक
वैश्विक स्तर के इन दो बड़े नेताओं की मुलाकात से पहले मिली जानकारी के मुताबिक दोनों की बातचीत का एजेंडा काफी व्यापक है। इस मुलाकात से पहले दोनों ही पक्ष दोनों नेताओं की बातचीत को लेकर काफी आशान्वित हैं और माना जा रहा है कि इस बातचीत से दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम मिलेगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पहली बार मोदी और पुतिन के बीच आमने-सामने मुलाकात होगी।
एससीओ का आखिरी सम्मेलन 2019 में बिश्केक में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के बाद पिछले दो साल के दौरान कोविड महामारी के कारण वैश्विक नेताओं की आमने-सामने मुलाकात नहीं हो सकी। पिछले दो वर्षों के दौरान रूस और ताजिकिस्तान की अध्यक्षता में वर्चुअल ढंग से समिट का आयोजन किया गया था।
इसलिए बढ़ी भारत की अहमियत
यूक्रेन पर रूस की ओर से किए गए हमले के बाद पुतिन ने गिने-चुने वैश्विक नेताओं से बातचीत की है। जिन नेताओं से उन्होंने चर्चा की है, उनमें प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हैं। पुतिन के इस रुख से रूस की नजर में भारत की अहमियत को आसानी से समझा जा सकता है। रूस के लिए भारत की अहमियत इसलिए भी बढ़ गई है कि क्योंकि भारत दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा। इसके साथ ही 2023 में होने वाली एसीओ समिट और जी-20 समूह की भी अध्यक्षता भारत ही करेगा।
इन महत्वपूर्ण मौकों पर रूस को भारत से मदद की दरकार है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकारों का मानना है कि इसी कारण रूस के लिए भारत का महत्व काफी बढ़ गया है। हाल के दिनों में भारत में परोक्ष रूप से रूस की कई मौकों पर मदद भी की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ कई प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान भारत अनुपस्थित रहा है। इसे परोक्ष रूप से रूस की मदद के तौर पर ही देखा जा रहा है।
जिनपिंग से भी हो सकती है मोदी की बात
जानकार सूत्रों का कहना है कि एससीओ समिट के दौरान पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात हो सकती है। हालांकि दोनों नेताओं की इस मुलाकात को लेकर अभी तक आधिकारिक स्तर पर पुष्टि नहीं की गई है। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख में पैदा हुए गतिरोध के बाद पहली बार दोनों नेता आमने-सामने होंगे। पूर्वी लद्दाख में तनाव को खत्म करने के लिए कमांडर स्तर पर दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी। इसके बाद कई महत्वपूर्ण मोर्चों से चीनी सेना की वापसी हुई है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारत ने कई चीनी कंपनियों के खिलाफ शिकंजा कस दिया गया था।
ऐसे में दोनों नेताओं के बीच संभावित इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच आखिरी मुलाकात 2019 में ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई थी। उसके बाद कई वर्चुअल बैठकों के दौरान पीएम मोदी और जिनपिंग मौजूद रहे,लेकिन दोनों नेताओं के बीच आमने सामने मुलाकात नहीं हो सकी। गोगरा-हॉटस्प्रिंग से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने के कदम को भी इस सम्मेलन से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में इन दोनों महत्वपूर्ण नेताओं की मुलाकात पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं।