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सीमा सुरक्षा एजेंसियों की कार्यशैली पर लग रहा सवालिया निशान

raghvendra
Published on: 10 Jun 2019 7:56 AM GMT
सीमा सुरक्षा एजेंसियों की कार्यशैली पर लग रहा सवालिया निशान
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तेज प्रताप सिंह

गोंडा: देवीपाटन मंडल का बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर से सटा भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय तस्करों का गढ़ बनता जा रहा है। भारत-नेपाल की खुली 243 किलोमीटर सीमा से संगठित तौर पर तस्करी का धंधा परवान पर है। भारतीय सामान नेपाल और नेपाली सामान भारत लाने का खेल चल रहा है। भारतीय सामानों में चावल, चीनी, खाद, रसोई गैस तो नेपाल से सबसे अधिक शराब और चीन निर्मित सामान, फल, सुपारी, लहसुन आदि की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। बार्डर सुरक्षा के नाम पर प्रति वर्ष अरबों की धनराशि खर्च करने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाले तस्करों व घुसपैठियों की आमद से सीमा सुरक्षा एजेंसियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगता जा रहा है।

मंडल की कुल 243 किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा परिधि में बहराइच की 98.5, श्रावस्ती की 51 औऱ बलरामपुर जिले की 94.5 किलोमीटर की खुली सीमाएं शामिल हैं। इसमें अधिकांश इलाका व कतर्निया वन संरक्षित क्षेत्रों में इस पार से उस पार तक नेपाली जंगलों से भरा हुआ है। दोनों देशों के मध्य मैत्री व रोटी बेटी के संबंध का लाभ उठाकर तस्कर इन परिवारों के लोंगो से धड़ल्ले से कुरियर का काम ले रहे है। पगडंडियों, दुर्गम रास्तों और गैर परम्परागत रास्तों से घुसपैठिए स्थानीय परिवारों की मदद से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर इसपार आसानी से आ जाते हैं। ये घुसपैठिए भारतीय इलाकों में बहराइच-रूपईडीहा और गोंडा-बढऩी-आनन्दनगर रेल प्रखंड पर संचालित ट्रेनों, निजी संसाधनों व बसों से बेरोकटोक फैलकर अवैध रूप से गुजर बसर करते हैं। इस अवैध धंधे में पुलिस, एसएसबी और कस्टम विभाग के पदाधिकारियों और सीमावर्ती थानों को बंधी बंधाई रकम दी जाती है। हालांकि समय-समय पर तस्करी के सामान पकडक़र खानापूर्ति की जाती है।

पैसे का प्रलोभन देकर करा रहे तस्करी

बलरामपुर जिले के हरैया, गैसडी, पचपेडवा, जरवा औऱ तुलसीपुर समेत पांच थानों के इलाके सीमा से सटे हैं। इसके अलावा नेपाल से आने-जाने के लिए दोनों देशों के मध्य बढऩी बार्डर भी है। नेपाली इलाकों से इस पार पगडंडियों, गैर परम्परागत रास्तों, रेलगाडिय़ों, बसों व सोहेलवा वन के जंगली दुर्गम रास्तों से कुरियरपैसे की लालच में नेपाली इलाकों से चोरी छिपे या साठगांठ कर विदेशी मारफीन, चरस, गांजा, शराब, ड्रग्स व अन्य मादक पदार्थों की तस्करी आसानी से कर रहे हैं। हाल में धनंजय, बबलू और संतराम नामक तीन तस्करों के पास से पचपेड़वा थाना पुलिस ने भारी मात्रा में नेपाली शराब की खेप बरामद कर तीनों को गिरफ्तार किया। ये सभी तस्कर जिले के सीमावर्ती इलाकों के रहने वाले हैं। पूछताछ के दौरान तीनों ने पुलिस को बताया कि नेपाल के भारत सीमा से जुड़े इलाकों में नेटवर्क बिछाए बड़े तस्करों के तार जुड़े हैं। उस पार के बड़े कारोबारी गरीब परिवारों की महिलाओं व पुरुषों को प्रलोभन देकर उनसे तस्करी का सामान उस पार से इस पार पहुंचाने के लिए कुरियर का काम लेते हैं। इन तीनों से पहले भी तमाम लोग तस्करी के मामलों में पकड़े गए हैं।

बच्चे बन रहे शराब तस्करों के कुरियर

बहराइच जिले के रुपईडीहा थाना क्षेत्र में नेपाली सौंफी शराब की तस्करी का बाजार फैला हुआ है। रुपईडीहा सीमा क्षेत्र में बीते एक साल के दौरान एक दर्जन से भी ज्यादा मौतें नेपाल के रास्ते आने वाली नेपाली सौंफी शराब के सेवन से हो चुकी हैं। गत वर्ष लहरपुरवा गांव निवासी युवक हृदयराम पुत्र त्रिलोकी की नेपालगंज रेलवे स्टेशन ग्राउंड में सौंफी शराब पीने के कारण दर्दनाक मौत हुई थी। उसके बावजूद भारत-नेपाल बार्डर पर शराब की तस्करी पर लगाम नहीं लग पा रही। रुपईडीहा बार्डर का जमुनहा गांव नेपाली शराब तस्करों का सबसे बड़ा ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है। यहीं से नेपाली सौंफी शराब के तस्कर बच्चों और महिलाओं को अपना कुरियर बनाकर भारत की सीमा में शराब की तस्करी कराने का पूरा सिंडिकेट चला रहे हैं। नेपाली सौंफी शराब की तस्करी करने वाले कुछ नौनिहाल कुरियरों से जब पूछा गया तो इन नन्हें तस्करों ने बताया कि नेपालगंज रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ के जवान हम लोगों से तीस रुपए प्रति शीशी की दर से ट्रेन से शराब की खेप को बाबागंज व नानपारा आदि इलाकों में ले जाने के लिए लेते हैं।

जानकार बताते हैं कि एसएसबी से बचने के लिए बच्चे कैम्प के पीछे से शराब की खेपों को रेलवे प्लेटफॉर्म तक चोरी से लाते हैं। इसके बाद ट्रेन के जरिये आसपास के इलाकों में नेपाली शराब की डिलेवरी करने की भूमिका यही नन्हें कुरियर निभाते हैं। सीमा से सटे उमरिया, भगतपुरवा, हरवंशी गांव, धोबाही समेत अन्य गांवों में नेपाल की सौंफी ब्रांड की शराब धड़ल्ले से बेची जा रही है। अब्दुल्लागंज जंगल व राप्ती नदी के रास्ते होकर इसका कारोबार किया जा रहा है।

तस्करों को रास आ रही श्रावस्ती की खुली सीमा

पड़ोसी देश नेपाल की लगभग 51 किलोमीटर सीमा श्रावस्ती जिले से जुड़ती है। इस क्षेत्र में भिनगा व सोहेलवा जंगल पड़ता है। जंगल व पहाड़ों के बीच से कई पगडंडी वाले रास्ते हैं। इन रास्तों पर निगरानी के लिए पुलिस चौकी के साथ एसएसबी व वन चौकियां स्थापित हैं। इन चौकियों से जंगल में आने-जाने वाले लोगों व वन्य जीवों की सुरक्षा पर नजर रखी जाती हैं। सुरक्षा के इस सारे तामझाम को धता बताते हुए वन्यजीव, हथियार व शराब की तस्करी भी इन रास्तों से आसानी से होती है। वर्ष 2017 में अकेले पुलिस विभाग ने वन्य जीवों की तस्करी से जुड़े तीन मामले पकड़े थे। वर्ष 2018 में अब तक वन्य जीवों की तस्करी के पांच मामले पकड़े जा चुके हैं। इनमें तेंदुए की खाल के अलावा दो सेंडबोआ सांप के तस्कर पकड़े गए हैं।

पुलिस का अभियान चलाने का दावा

देवीपाटन परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक डा. राकेश सिंह ने बताया कि भारत-नेपाल सीमा से लगे देवीपाटन मंडल के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जिलों में घुसपैठ कर तस्करी करने वाले और अवैध तरीके से रह रहे नागरिकों की पहचान कर उन्हें प्रदेश से बाहर करने के लिए पुलिस, एसएसबी, अधिसूचना इकाईव अन्य खुफिया एजेंसियों का संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है। एसएसबी कमांडेंट प्रदीप कुमार ने बताया कि तस्करी, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों औऱ अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए सीमावर्ती इलाकों में सीमा पार से आने-जाने वाले हर शख्स की गहन पड़ताल की जा रही है। उन्होंने बताया कि गैर परम्परागत रास्तों, सार्वजनिक स्थलों व अन्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से अवांछित तत्वों के विरुद्ध निगहबानी की जा रही है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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