क्या पॉलीग्राफ टेस्ट से ही सुलझेगी Seema Haider की पहेली, बढ़ी धड़कनें और पसीने से सामने आ जाता है सच, जानिए इसके बारे में

Seema Haider News: सीमा हैदर ने जांच एजेंसियों के कुछ सवालों के ऐसे जवाब दिए हैं जिससे जांच एजेंसियां संतुष्ट नहीं हैं, उन्हें लगता है कि सीमा अभी काफी कुछ छिपा रही है। इसी सच्चाई को जानने के लिए सीमा का पाॅलीग्राफ टेस्ट कराने की बात कही जा रही है।

Ashish Pandey
Published on: 24 July 2023 9:20 AM GMT
क्या पॉलीग्राफ टेस्ट से ही सुलझेगी Seema Haider की पहेली, बढ़ी धड़कनें और पसीने से सामने आ जाता है सच, जानिए इसके बारे में
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Seema Haider Case (photo: social media )

Seema Haider News: ‘सीमा हैदर सच्ची है और वह केवल सचिन के लिए भारत आई है। अगर उस पर तब भी शक है तो सच जानने के लिए उसका पॉलीग्राफ टेस्ट करवा सकते हैं और अगर वह निर्दोष पाई जाती है तो उसे भारत की नागरिकता मिलनी चाहिए।‘

ये बात सीमा हैदर के वकील एपी सिंह ने कही। सीमा का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की चुनौती देने वाले ये वही एपी सिंह वकील हैं, जिन्होंने निर्भया मामले में दोषियों की पैरवी की थी। अब सीमा हैदर के पाॅलीग्राफ टेस्ट को लेकर भी चर्चाएं होने लगी हैं। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में भी दावा किया जा रहा है कि यूपी एटीएस सीमा हैदर का पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहती है, लेकिन ऐसा करने के लिए उसे अदालत से परमिशन लेना होगा। हालांकि इस पर आधिकारिक रूप से अभी कोई बयान नहीं आया है।

सीमा हैदर के भारत आने का सच केवल सचिन मीणा से प्यार है या कुछ और। इसकी सच्चाई जानने के लिए ही यहां पाॅलीग्राफ टेस्ट की चर्चा हो रही है, आखिर ये पाॅलीग्राफ टेस्ट होता क्या है और इससे सच कैसे सामने आ जाता है। वहीं सीमा हैदर का ये टेस्ट कराने की जरूरत क्यों महसूस हुई? आइए जानते हैं यहां इन सबके बारे में सवाल और उसके जवाब से-

सवाल-आखिर सीमा हैदर का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की जरूरत क्यों महसूस हो रही है?

जवाबः यूपी एटीएस सीमा हैदर से लगातार दो दिन 15-15 घंटे तक पूछताछ की, लेकिन इसके बाद भी कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब अधूरे रह गए या उन पर भरोसा करना मुश्किल है। यूपी एटीएस यह जानना चाहती है कि सीमा ने जो कुछ बताया है, उसमें कितनी सच्चाई है।

सीमा हैदर ने अदालत और जांच एजेंसियों के सामने नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में सचिन से शादी की बात कही है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में पशुपति क्षेत्र विकास कोष के प्रवक्ता रेवती रमण के हवाले से दावा किया जा रहा है कि पशुपति नाथ मंदिर में शादियां नहीं होती हैं। वहीं सीमा और सचिन ने नेपाल के ‘न्यू विनायक रोलपा जलजला रूकमेली’ गेस्ट हाउस में ठहरने की बात कही थी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि वहां दोनों गलत नाम बताकर सात दिन ठहरे थे। ऐसे में एजेंसी इसकी सच्चाई और कारण जानने की कोशिश कर रही है।

वहीं सीमा ने पहले बताया था कि वह पाकिस्तान के एक सामान्य परिवार से है। जांच एजेंसियों को बाद में सीमा के भाई और चाचा के पाकिस्तानी सेना में होने का इनपुट मिला। सीमा ने एटीएस के सामने भी इसे सही बताया है। सीमा ने बताया कि वह पबजी के जरिए सचिन के करीब आई थी। बाद में पता चला कि उसने खुद के नाम से नहीं, बल्कि मारिया खान नाम से अपना अकाउंट बनाया था। ऐसा करने के पीछे सीमा ने बताया कि पाकिस्तानी समाज में लड़कियों को सोशल मीडिया यूज करने की इजाजत नहीं है। वहां लोग इसकी आलोचना करने लगते हैं। इसीलिए उसने अपने नाम से अकाउंट नहीं बनाया था।

जांच एजेंसी यह भी जानना चाहती है कि सीमा ने पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत आने को लेकर जो भी बातें कही हंै, उसमें कितनी सच्चाई है। सीमा की बातों में कितनी सच्चाई है इसके लिए पॉलीग्राफ टेस्ट कराना जरूरी है ताकि हकीकत साफ हो सके।

सवाल-क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट, जिससे सीमा हैदर की सच्चाई सामने आने के दावे किए जा रहे हैं?

जवाबः जानकारों की मानें तो पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए पहले अदालत से परमिशन लेनी होती है। बिना परमिशन यह टेस्ट नहीं कराया जा सकता है। पॉलीग्राफ टेस्ट नार्को टेस्ट से अलग होता है। पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी को बेहोशी का इंजेक्शन नहीं दिया जाता है, बल्कि कार्डियो कफ जैसी मशीनें लगाई जाती हैं।

इन मशीनों के जरिए ही ब्लड प्रेशर, नब्ज, सांस, पसीना, ब्लड फ्लो को मापा जाता है। इसके बाद आरोपी से सवाल पूछे जाते हैं। वह झूठ बोलने पर घबराने लगता है और यहीं पर पाॅलीग्राफ टेस्ट करने वाली मशीन उसे पकड़ लेती है कि वह क्या सही बोल रहा है और क्या गलत।

इस तरह का पहला टेस्ट इटली में हुआ था-

19वीं सदी में इस तरह का पहला टेस्ट इटली में हुआ था। इसको इटली के अपराध विज्ञानी सेसारे लोम्ब्रोसो ने किया था। बाद में 1914 में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम मैरस्ट्रॉन और 1921 में कैलिफोर्निया के पुलिस अधिकारी जॉन लार्सन ने भी ऐसे उपकरण बनाए, जिससे यह टेस्ट किए जा सकते थे।

सवाल-क्या पॉलीग्राफ टेस्ट में कही जाने वाली बातों का सबूत की तौर पर इस्तेमाल होता है?

जवाबः 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी की कही गई बातों को सबूत नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि यह केवल सबूत जुटाने के लिए एक माध्यम होता है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अगर पॉलीग्राफ टेस्ट में कोई हत्या आरोपी हत्या में इस्तेमाल हथियारों की लोकेशन बताता है, तो उसे सबूत नहीं माना जा सकता है। लेकिन, अगर आरोपी के बताए लोकेशन से हथियार बरामद हो जाता है तो फिर उसे सबूत माना जा सकता है।

अदालत ने यह भी कहा था कि हमें यह समझना चाहिए कि इस तरह के टेस्ट के जरिए किसी व्यक्ति की मानसिक प्रक्रियाओं में जबरन घुसपैठ करना भी मानवीय गरिमा और उसके निजी स्वतंत्रता के अधिकारों के खिलाफ है। ऐसे में ज्यादा गंभीर मामलों में ही अदालत की इजाजत से पाॅलीग्राफ टेस्ट होना चाहिए।

सवाल-आखिर कैसे धड़कनों और पसीने से सच पता कर लेती है पॉलीग्राफ मशीन?

जवाबः एक पॉलीग्राफ मशीन में सेंसर लगे हुए कई सारे कंपोनेंट होते हैं। इन सभी सेंसर को एक साथ मेजर करके किसी व्यक्ति के साइकोलॉजिकल रिस्पॉन्स का पता लगाया जाता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि किसी व्यक्ति को झूठ बोलते समय कुछ घबराहट होती है तो ये मशीन तुरंत उसे पता कर लेती है। यहां अब इस मशीन के काम करने के तरीके को समझना जरूरी हैं...

न्यूमोग्राफ-यह व्यक्ति के सांस लेने के पैटर्न को रिकॉर्ड करती है और सांस लेने की गतिविधि में बदलाव का पता लगाता है।

कार्डियोवास्कुलर रिकॉर्डर-यह किसी व्यक्ति की हार्ट की स्पीड और ब्लड प्रेशर को रिकॉर्ड करता है।

गैल्वेनोमीटर-यह मशीन स्किन पर आने वाले पसीने की ग्रंथि में बदलाव को नोटिस करती है।

रिकॉर्डिंग डिवाइस-यह पॉलीग्राफ मशीन के सभी सेंसर से मिलने वाले डेटा को रिकॉर्ड करता है और उसके बाद उसका विश्लेषण करता है।

सवाल-पाॅलीग्राफ टेस्ट में दो तरह के टेस्ट कौन से होते हैं?

जवाबः इस जांच में इन दो तरह के टेस्ट होते हैं।

कंट्रोल क्वेश्चन टेस्ट-सबसे पहले व्यक्ति को पॉलीग्राफ मशीन से जोड़ने के बाद उससे सामान्य सवाल पूछे जाते हैं। इन सवालों के जवाब हां या ना में पूछे जाते हैं। ऐसा यह जांचने के लिए किया जाता है कि जब वह किसी सामान्य सवाल का जवाब देता है और जब उस घटना से जुड़े जटिल सवाल का जवाब देता है तो उसके शरीर की प्रतिक्रिया कैसी होती है। इस समय व्यक्ति के सांस लेने की गति यानी ब्रीदिंग रेट, व्यक्ति का पल्स, ब्लड प्रेशर और शरीर से निकल रहे पसीने से यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति सही बोल रहा है या झूठ।

गिल्टी नॉलेज टेस्ट-इसमें एक सवाल के कई जवाब होते हैं। हां सारे सवाल आरोपी के अपराध से ही जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए कोई चोरी के आरोप में गिरफ्तार हुआ है तो उससे इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। 5,000, 10,000 या 15,000 रुपए की चोरी हुई है? इस सवाल का आरोपी सही जवाब देगा तो उसकी हार्ट बीट सामान्य होगी, लेकिन जैसे ही वह झूठ बोलने की कोशिश करता है तो उसकी हार्ट बीट, उसके दिमाग के सोचने के तरीके आदि से पता चल जाता है कि वह कुछ छिपा रहा है।

यूपी एटीएस की पूछताछ के बाद सीमा ने कहा- मेरी जिंदगी सचिन के लिए है। मैं भारत की जेल में जिंदगी गुजार दूंगी, लेकिन पाकिस्तान नहीं जाऊंगी।

सवाल- क्या इस टेस्ट में सच को छिपाया जा सकता है?

जवाबः अमेरिका की साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक, पूछताछ के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव या घबराहट से यह तय नहीं किया जा सकता कि आरोपी कुछ छिपा रहा है या झूठ बोल रहा है। हालांकि यह सच को पता करने का एक माध्यम जरूर हो सकता है।

वंडरपोलिस की एक रिसर्च से ये पता चला है कि अगर कोई व्यकित अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रख सकता है तो इस जांच से उस पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ता है।

...तो मान लिया जाता है कि वह झूठ बोल रहा है-

पाॅलीग्राफ टेस्ट के दौरान अगर आरोपी के दिए सही जवाब को एक्सपर्ट गलत बताकर उस पर दबाव बनाने लगते हैं तो वह नर्वस होने लगता है। आमतौर पर उसके नर्वस होने पर ही ये मान लिया जाता है कि वह झूठ बोल रहा है। हालांकि कई मामलों में इस जांच के जरिए असली अपराधी को भी पकड़ा गया है।

अब सीमा हैदर का यूपी एटीएस पाॅलीग्राफ टेस्ट कराएगी की नहीं यह तो जांच एजेंसियां ही जाने, लेकिन जिस तरह से सीमा एटीएस को उनके सवालों का जवाब दिया है उससे तो यही लगता है कि सीमा के पास कई राज हैं, जिसे उगलवाना जरूरी होगा?

Ashish Pandey

Ashish Pandey

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