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Sela Tunnel: सेला टनल, रिकार्ड ऊंचाई पर और बेहद महत्वपूर्ण

Sela Tunnel: तेजपुर-तवांग रोड पर 13,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित, डबल-लेन सेला सुरंग परियोजना तेजपुर और तवांग के बीच यात्रा के समय को एक घंटे से अधिक कम कर देगी।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 9 March 2024 2:26 PM IST
Sela Tunnel
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Sela Tunnel  (photo: social media )

Sela Tunnel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग परियोजना का उद्घाटन किया है। सेला सुरंग दुनिया की सबसे ऊंची दी लेन की सुरंग है। भारत के नार्थ ईस्ट की ये बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है। जानते हैं क्या है इस सुरंग की खासियत।

दो सुरंगें

सेला सुरंग परियोजना में दो सुरंगें और एक संपर्क सड़क शामिल है। ये लगभग 825 करोड़ रुपए की लागत पर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाई गई है।

13 हजार फुट की ऊंचाई

तेजपुर-तवांग रोड पर 13,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित, डबल-लेन सेला सुरंग परियोजना तेजपुर और तवांग के बीच यात्रा के समय को एक घंटे से अधिक कम कर देगी।

सिंगल ट्यूब

इसमें दो सुरंगें या ट्यूब हैं जिनकी लंबाई क्रमशः 1,595 मीटर और 1,003 मीटर है, साथ ही 8.6 किलोमीटर की एप्रोच और लिंक सड़कें भी हैं। टी 2 ट्यूब सबसे लंबी है जो 1,594.90 मीटर तक फैली हुई है। इसके समानांतर 1,584.38 मीटर लंबी एक संकरी ट्यूब है, जिसे सुरंग ढहने की स्थिति में भागने की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है।

सुरक्षा उपाय

सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए दोनों सुरंगें वेंटिलेशन सिस्टम, मजबूत प्रकाश व्यवस्था और अग्निशमन तंत्र से सुसज्जित हैं।

सेला सुरंग रोजाना 3,000 कारों और 2,000 ट्रकों की आवाजाही सुनिश्चित करने की क्षमता रखती हैं। सभी सैन्य वाहनों को समायोजित करने के लिए सुरंग की ऊंचाई और चौड़ाई पर्याप्त रूप से अधिक है।

2021 में शुरू हुई

सेला सुरंग परियोजना के लिए जनवरी 2021 में सुरंग 1 के लिए पहला विस्फोट और जनवरी 2022 में अंतिम विस्फोट किया गया। सुरंग 2 के लिए अक्टूबर 2021 में सफलतापूर्वक विस्फोट पूरा किया गया था।

सुरंग का महत्व

- इस परियोजना का लक्ष्य तवांग क्षेत्र को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जिस पर चीन लंबे समय से अपना दावा करता रहा है।

- सेला सुरंग से सैन्य कर्मियों और उपकरणों के लिए पूरे साल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब के क्षेत्रों में जाना आसान हो जाएगा।

- इस सुरंग से असम के मैदानी इलाकों में 4 कोर मुख्यालय से तवांग तक सैनिकों और तोपखाने बंदूकों सहित भारी हथियारों की तेजी से तैनाती सुनिश्चित हो सकेगी। जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।

- यह सुरंग अरुणाचल के पश्चिम कामेंग जिले में तवांग और दिरांग के बीच की दूरी को 12 किमी कम कर देगी, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक दिशा में यात्रियों के लिए लगभग 90 मिनट का समय बचेगा।

याद दिला दें, 1962 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अचानक हमला कर दिया था और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने तवांग पर कब्जा कर लिया था।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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