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सेल्फी से लगेगी शिक्षकों की हाजिरी, सोशल मीडिया पर विरोध

raghvendra
Published on: 25 Nov 2017 7:22 AM GMT
सेल्फी से लगेगी शिक्षकों की हाजिरी, सोशल मीडिया पर विरोध
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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने स्कूलों से गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों पर मोबाइल से शिकंजा कसने की तैयारी की है। रियल टाइम अटेंडेंस यानी आरटीए के लिए शिक्षा विभाग ने एक खास मोबाइल एप विकसित किया है। हालांकि सरकार के इस फैसले का सोशल मीडिया पर विरोध भी हो रहा है। व्हाट्सएप पर चल रहे एक मैसेज में व्यंग्यात्मक तरीके से कहा जा रहा है कि जर्जर स्कूलों, शिक्षकों की कमी, जरूरी सुविधाओं के अभाव को छोडक़र शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड और सेल्फी जैसे फैसलों पर ही जोर है।

बहरहाल नई व्यवस्था के तहत स्कूल पहुंचकर शिक्षक सबसे पहले इस मोबाइल एप से अपनी सेल्फी लेंगे और जब स्कूल से वापस लौटेंगे तो भी सेल्फी लेनी होगी। एप फोटो को मुख्य सर्वर पर पहुंचा देगा। इस तरह शिक्षकों की स्कूल में हाजिरी लगेगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के अनुसार नई व्यवस्था को वर्तमान में चल रहे उज्ज्वल एप से जोड़ा गया है। शिक्षा मंत्री के मुताबिक इससे विभाग में पारदर्शिता आएगी, बायोमीट्रिक मशीनों का खर्च भी बचेगा और स्कूलों से गायब रहने वाले शिक्षकों पर रोक भी लगेगी।

अपडेट रहेगी शिक्षकों की लोकेशन

शिक्षा विभाग मानता है कि इससे आपदा प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षकों की लोकेशन भी अपडेट रहेगी। उज्ज्वल एप प्रभारी ब्रजपाल सिंह राठौर के अनुसार यह सिस्टम जीपीआरएस से कनेक्टेड है। शिक्षा विभाग के करीब 70 हजार शिक्षक, कर्मचारी और अफसरों की लॉगिन आईडी तैयार कर ली गई है। शिक्षकों को अपने मोबाइल पर इस एप को डाउनलोड करना होगा। जैसे ही वह स्कूल पहुंचेगा, उसे अपनी लॉगिन आईडी खोलकर एक बटन दबाना होगा। ऐसा करते ही रियल टाइम सेल्फी का फंक्शन खुल जाएगा। फोन से सेल्फी खींचकर मुख्य सर्वर में पहुंच जाएगी।

इस फोटो के साथ शिक्षक की लोकेशन का भी ब्योरा होगा। जीपीआरएस से जुड़ा होने की वजह से यह एक निश्चित अंतराल पर शिक्षक की लोकेशन की जांच करता रहेगा। राठौर ने बताया कि एप से खींची गई सेल्फी फोन की गैलरी में भी सेव नहीं होगी। वह सीधा मुख्य सर्वर में चली जाएगी। इससे पहले शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू करने के सरकार के फैसले का राज्यभर में विरोध हो चुका है। सेल्फी से हाजिरी के फैसले पर भी शिक्षक संगठन सवाल खड़े कर रहे हैं। पहाड़ी इलाकों में ऐसे कई स्कूल है जहां बिजली कनेक्शन व इंटरनेट का नेटवर्क नहीं है। ऐसे में शिक्षक अपनी सेल्फी लेकर हाजिरी कैसे लगवाएगा? प्राथमिक शिक्षक संघ ने सरकार की इस व्यवस्था का विरोध किया है।

सोशल मीडिया पर उड़ाया जा रहा मजाक

शिक्षकों की हर समय लोकेशन ट्रेस करने वाले एप और योजना को लेकर सोशल मीडिया में यह व्यंग्यात्मक कमेंट वायरल हो रहा है-अब सरकार वर्दी भत्ता देने के बाद अपने शिक्षकों को टेलीफोन भत्ता भी देगी। यही नहीं बढिय़ा सेल्फी वाला मोबाइल और सरकारी सिम जिसमें डेटा पैक लाइफटाइम वैलिडिटी के साथ होगा क्योंकि सरकार को शिक्षकों की बहुत चिंता है। इससे वे अपनी सेल्फी उज्ज्वल एप पर किसी भी मुश्किल परिस्थिति में अपलोड कर सकेंगे। चाहे सिग्नल न आ रहा हो तो भी। इसके लिए सरकार ने चाइनीज मोबाइल निर्माता से करार किया है। यह फोन ऐसी सुविधाओं से युक्त होगा कि बिजली न होने वाले स्कूलों में वह बिना बैटरी काम करेगा।

खास बात यह है कि सूत्र बताते हैं कि शुरुआत में केवल 35,000 सेट का आदेश ही दिया जा रहा है। यह प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में अहम बदलाव लाने जा रहा है। ऐसा करने वाला उत्तराखंड विश्व भर में पहला राज्य होगा। इससे सरकारी स्कूलों की टूटी फूटी दीवारें, टूटी हुई पानी की टंकी, टूटे हुए नल, बरसात में टपकती हुई छत, बिना चौकीदारी रखरखाव के चलते स्कूलों के जर्जर भवन आदि पलक झपकते ही सही हो जाएंगे क्योंकि इस एप पर प्रतिदिन निगरानी स्वयं शासन के मुखिया मुख्यमंत्री और मंत्री करेंगे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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