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पुलवामा अटैक: शहीद भागीरथ सिंह को सलाम,उनके मासूम बच्चों को देख हर कोई रोने लगता है
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए। इस हमले में राजस्थान के धौलपुर के भागीरथ सिंह भी शहीद हो गए। भागीरथ के शहीद होने की खबर जैसे ही घर पहुंची, वहां घर में कोहराम मच गया।
जयपुर: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए। इस हमले में राजस्थान के धौलपुर के भागीरथ सिंह भी शहीद हो गए। भागीरथ के शहीद होने की खबर जैसे ही घर पहुंची, वहां घर में कोहराम मच गया।
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भागीरथ सिंह ने बचपन में ही अपनी मां को खो दिया और उनकों मां का प्यार नहीं मिला। जब 4 साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया। गांव के लोगों ने बताया कि तब शहीद भागीरथ सिंह की उम्र करीब 4 वर्ष की थी। वहीं उस समय शहीद के छोटे भाई बल्लों की उम्र भी करीब डेढ़ वर्ष थी।
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अब शहीद भागीरथ के 3 साल का बेटा और डेढ़ वर्ष की बेटी है। शहीद भागीरथ का तीन साल का बेटा विनय व डेढ़ वर्ष की बेटी शायद इस बात से अंजान थे कि उसके पिता भागीरथ अब इस दुनिया में नहीं हैं और अब आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं। दोनों बच्चे कभी मायूस हो जाते तो कभी लोगों को देखकर हंसने लगते। ऐसे में दोनों मासूम बच्चों को देख हर कोई रोने लगता है।
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शहीद की पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है। बार-बार कह रही थी कि भागीरथ तुम शहीद हो गए, अब बच्चों को दुलारेगा कौन? पति के शहीद होने की जानकारी के बाद से ही पत्नी रंजना के आंसू रुकने के नाम नहीं ले रहे हैं।
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गांव के लोगों ने बताया कि भागीरथ के पिता परसराम शुरू से ही मध्यप्रदेश के बबीना में निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। परसराम की पत्नी की मौत होने के बाद भी वह नौकरी नहीं छोड़े।
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भागीरथ और उसके भाई बल्लो के पालन-पोषण का जिम्मा चाचा जनार्दन सिंह पर ही था। चाचा जर्दान ने शादी नहीं की और दोनों भतीजों का बेटों की तरह पालन-पोषण किया और उन्हें पढ़ा-लिखाकर नौकरी तक पहुंचाया। भागीरथ के शहीद होने के सूचना मिलने के बाद चाचा जनार्दन सिंह का भी रो-रोकर बुरा हाल है।