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Shaheed Diwas 2024: इन तीन वीरों की याद में मनाया जाता है शहीद दिवस, देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते दी थी कुर्बानी

Shaheed Diwas 2024: 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है क्योंकि 23 मार्च 1931 को अंग्रेजों ने भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी दे दी थी।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 23 March 2024 4:51 AM GMT
Shaheed Diwas 2024
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Shaheed Diwas 2024   (photo: social media )

Shaheed Diwas 2024: देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने के लिए कई सेनानियों ने बड़ी लड़ाई लड़ी थी। इन सेनानियों की याद में देश में शहीद दिवस मनाया जाता है। भारत में शहीद दिवस 30 जनवरी के अलावा 23 मार्च को भी मनाया जाता है।

30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है क्योंकि 23 मार्च 1931 को अंग्रेजों ने भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी दे दी थी।

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बुलंद की आवाज

देश को आजादी दिलाने के लिए ये तीनों नौजवान काफी कम उम्र में हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे। इन तीनों नौजवानों को फांसी दिए जाने से पूरा देश शोक में डूब गया था और युवाओं में काफी नाराजगी फैल गई थी। भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन में इस दिन का काफी महत्व माना जाता है।

ब्रिटिश राज से देश को मुक्ति दिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी और इस लड़ाई में तमाम वीरों ने हंसते-हंसते अपनी जान की कुर्बानी तक दे डाली। इन वीरों में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का नाम काफी सम्मान के साथ लिया जाता है।

इन तीन वीरों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी। उन्होंने पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिल के विरोध में सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। बाद में इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया और अंग्रेजों ने इन तीनों को 23 मार्च 1931 को फांसी के फंदे पर लटका दिया। देश की आजादी के लिए इन तीनों ने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था।

तय तारीख से पहले फांसी पर लटकाया

भारत को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने के लिए अंग्रेजों ने 24 मार्च 1931 की तारीख तय की थी। इस दिन सुबह छह बजे तीनों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाना था। तीनों को फांसी दिए जाने की तैयारी की भनक लोगों को पहले ही मिल गई थी और लाहौर सेंट्रल जेल के बाहर दो दिन पहले ही लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होने लगी थी।

अंग्रेजों ने भीड़ को रोकने के लिए धारा 144 लागू कर दी मगर इसका भी लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा। लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए अंग्रेजों ने तीनों को 12 घंटे पहले ही फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। सबसे दुखद बात तो यह रही कि इन तीनों को फांसी से पहले अपने परिजनों से मिलने का मौका तक नहीं दिया गया।

आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान

शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का नाम देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा हैं। अंग्रेजी हुकूमत को इस बात का डर सता रहा था कि इन तीनों को फांसी के फंदे पर लटकाए जाने से पूरे देश में गुस्सा फैल जाएगा और इसी कारण तीनों वीर सपूतों को तय तारीख से एक रात पहले ही गुपचुप तरीके से फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।

इन तीनों का शौर्य और मातृभूमि की आजादी के प्रति दीवानगी सभी युवाओं को आज भी प्रेरणा देती है। देश की आजादी की लड़ाई में इन महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की इस शहादत से पूरे देश में राष्ट्रवाद का ज्वार आ गया था। बाद में स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी की मजबूत लड़ाई लड़ी जिसकी वजह से 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी हासिल करने में कामयाबी मिली।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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