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Delhi Mayor: दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय की राह आसान नहीं

Delhi Mayor: एक महापौर की शक्तियां सदन की विशेष बैठकें बुलाने, सदन की बैठक बुलाने के लिए कोरम की घोषणा करने और सदस्यों को अयोग्य घोषित करने तक सीमित हैं, यदि वे अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं करते हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 22 Feb 2023 6:08 PM IST (Updated on: 22 Feb 2023 6:10 PM IST)
Delhi Mayor Shaili Oberoi
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Delhi Mayor Shaili Oberoi (Social Media)

Delhi Mayor: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर के लिए आज हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने जीत दर्ज की है। एमसीडी चुनाव में आप ने 250 में से कुल 134 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं भाजपा ने 104 और कांग्रेस ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की।

चुनौतियां भी कम नहीं

शैली का चुनाव सत्तारूढ़ आप के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, लेकिन पार्टी को अब स्थायी समिति में ऊपरी हाथ पाने के कठिन कार्य का सामना करना पड़ रहा है। महापौर तो नागरिक निकाय का नाममात्र का प्रमुख होता है, यह स्थायी समिति होती है जिसके पास कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं। एक महापौर की शक्तियां सदन की विशेष बैठकें बुलाने, सदन की बैठक बुलाने के लिए कोरम की घोषणा करने और सदस्यों को अयोग्य घोषित करने तक सीमित हैं, यदि वे अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं करते हैं।

परियोजनाओं को वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने, लागू की जाने वाली नीतियों से संबंधित चर्चाओं और अंतिम रूप देने, उप-समितियों की नियुक्ति (शिक्षा, पर्यावरण, पार्किंग आदि जैसे मुद्दों पर) और नियम बनाने की शक्तियां स्थायी समिति के दायरे में हैं, जिसके 18 सदस्य होते हैं।

समिति का तानाबाना

समिति में एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष होता है, जो इसके सदस्यों में से चुना जाता है। किसी भी राजनीतिक दल के लिए निगम की नीति और वित्तीय निर्णयों पर नियंत्रण रखने के लिए समिति में स्पष्ट बहुमत होना महत्वपूर्ण है।बुधवार को हुए मेयर चुनाव में कांग्रेस पार्षदों ने वोट नहीं डाला। उन्होंने पहले कहा था कि वे वोट का बहिष्कार करेंगे और इसके बजाय आप और भाजपा की "जनविरोधी" नीतियों का विरोध करेंगे। यह वॉकआउट, यदि स्थायी समिति के चुनावों में पालन किया जाता है, तो आप की पोजीशन बदल जाएगी।

सदन में स्थायी समिति के छह सदस्यों के सीधे चुनाव के लिए अपनाया जाने वाला फॉर्मूला एक तरजीही प्रणाली है जिसमें पहले 36 वोट पाने वाले पार्षद की जीत होती है।

सदन चलाना आसान नहीं

दिल्ली नगर निगम का ताजा परिसीमन से पहले दिल्ली में अलग-अलग क्षेत्रों के लिए तीन मेयर जिम्मेदारी संभालते थे, लेकिन इस बार परिसीमन के बाद पूरे दिल्ली को 250 सभासदों के साथ एक मेयर द्वारा संभाला जाएगा। निश्चित ही पूरे दिल्ली की जिम्मेदारी एक मेयर के कंधों पर होगी जो पहले से ज्यादा कठिन होगा।

एलजी से टकराव

महानगर की बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी नगर निगम पर होती है और दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। यहां के संवैधानिक प्रमुख उपराज्यपाल होते हैं। दिल्ली के बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए एलजी और मेयर में आपसी तालमेल बहुत जरूरी है। वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार आम आदमी पार्टी और एलजी कई मामलों को लेकर आमने सामने हैं। दोनो के बीच टकराव की स्थिति इस समय चरम पर है।

ऐसी स्थिति में दिल्ली नगर निगम के आवश्यक मामलों पर एलजी की सहमति के बाद मेयर द्वारा निर्णय लेना आसान नहीं होगा। एमसीडी पर पिछले तीन बार से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। उससे पहले कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली एमसीडी की कमान संभाली है। यह जरूर है कि दिल्ली और अन्य राज्यों की सत्ता आम आदमी पार्टी सालों से संभाल रही है, लेकिन दिल्ली एमसीडी के नए संरचना से आम आदमी पार्टी पूरी तरह परिचित नहीं है, इसलिए दिल्ली एमसीडी के नए स्वरूप में मेयर द्वारा भूमिका निभाना आसान नहीं होगा।

डीयू में असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी हैं शैली

शैली ओबरॉय दिल्ली की पूर्वी पटेल नगर (वार्ड 86) से पार्षद चुनी गई थीं। पहली बार चुनाव जीतकर पार्षद बनीं 39 वर्षीय शैली ओबरॉय दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी हैं। उन्होंने दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष आदेश गुप्ता के प्रभाव वाले इलाके से जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया था। शैली ओबरॉय व्यापार संस्था भारतीय वाणिज्य संघ की आजीवन सदस्य भी हैं। शैली ओबरॉय को विभिन्न सम्मेलनों में कई पुरस्कार हासिल हुए हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है।

शैली ओबरॉय 2013 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुईं। उन्हें दिल्ली आप की महिला विंग की वाइस प्रेसीडेंट बनाया गया था।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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