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शर्मनाक: मजदूरों के शवों को ऐसे भेजा जा रहा, औरैया हादसे में मारे गए थे सभी
आनन-फानन में बोकारो जाने वाले ट्रक के साथ ही झारखंड व वेस्ट बंगाल जाने वाले दो ट्रकों को संगम नगरी प्रयागराज में दिल्ली-हावड़ा नेशनल हाइवे पर रोका गया।
देश में कोरोना का कहर लगातार जारी है। ऐसे में इस वायरस पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा लगातार लॉकडाउन लागू है। अब इस लॉकडाउन का चौथा चरण आज से शुरू हो गया है। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों दूसरे राज्यों से अपने गृह राज्यों में पलायन जारी है। ऐसे में मजदूरों की कई ऐसी तस्वीरे भी सामने अं हैं जिनको देख कर आपका दिल दहल जाएगा। ऐसे सरकारें कुछ आदेश कर रहीं हैं लेकिन स्थानीय प्रशासन अपनी मस्ती में ही मस्त है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला यूपी के औरैया में हुए भीषण सड़क हादसे में। इस हादसे में घायल झारखण्ड से आए मजदूरों को प्रशासन ने हादसे में मारे गए मजदूरों के शवों के साथ ट्रक में बैठा दिया। और झारखंड भेज दिया। जिसका पता चलने पर अब ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
शवों के साथ घायलों को ट्रक में भेजा
स्थानीय प्रशासन द्वारा शवों के साथ घायल मजदूरों को झारखंड के बोकारो भेज देने के इस भयावह व अमानवीय व्यवहार का पता तब चला जब झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने शवों के साथ दब कुच कर झारखंड पहुंचे इन मजदूरों की तस्वीर को ट्वीट किया। सोरेन ने ट्वीट कर अपने अफसरों को इन घायल मजदूरों और शवों को सम्मान देने को कहा। मामले के सामने आने के बाद यूपी सरकार में अफरा तफरी मच गई। आनन-फानन में बोकारो जाने वाले ट्रक के साथ ही झारखंड व वेस्ट बंगाल जाने वाले दो ट्रकों को संगम नगरी प्रयागराज में दिल्ली-हावड़ा नेशनल हाइवे पर रोका गया।
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करीब डेढ़ घंटे इंतजार के बाद सरकारी अमले ने वहां एम्बुलेंस और शव वाहनों का इंतजाम कराया। बोकारो जा रहे जिस ट्रक पर शवों के साथ 3 मजदूरों को बिठाए जाने की तस्वीर वायरल हुई थी। उसके साथ के बाकी दोनों ट्रकों को भी प्रयागराज के नवाबगंज इलाके में NH-2 पर रोक लिया गया। किसी को जानकारी न हो इसके लिए एक तरफ के रास्ते को ब्लाक कर दिया गया। जिसके बाद फटाफट काम करते हुए पुलिस आलाधिकारियों ने 17 शवों को अलग अलग तीन ट्रकों में शिफ्ट किया और घायलों को अलग एम्बुलेंस में बिठाया। जिसके बाद रविवार रात करीब सवा 9 बजे शव वाहनों व एम्बुलेंस को आगे के लिए रवाना कर दिया गया।
प्रमोद तिवारी ने की न्यायिक जांच की मांग
अब इस मामले के सामने आने के बाद इस पर राजनीति होनी भी शुरू हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने अमानवीय करार दिया है। प्रमोद तिवारी यूपी पुलिस के प्रशाशन को आपराधिक बताते हुए इस मामले की न्यायिक जांच कराने की सरकार से मांग की है। प्रमोद तिवारी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी बेबस और लाचार मजदूरों की मदद करना चाह रही है।
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कामगारों को भेजने के लिए 1000 बसें चलाने की भी अनुमति मांगी थी। जिसे प्रदेश सरकार ने नकार दिया है। वहीं प्रमोद तिवारी ने इस मामले के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों का यह कृत्य शर्मनाक है।