TRENDING TAGS :
सियासी अखाड़े के हर दांवपेच में माहिर पवार, गलत साबित कर दी ये भविष्यवाणी
देश की मौजूदा सियासत में शरद पवार की गिनती महत्वपूर्ण राजनेताओं में की जाती है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार को सियासी अखाड़े का ऐसा पहलवान माना जाता है जो हर दांव-पेच में माहिर हैं।
नई दिल्ली: देश की मौजूदा सियासत में शरद पवार की गिनती महत्वपूर्ण राजनेताओं में की जाती है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार को सियासी अखाड़े का ऐसा पहलवान माना जाता है जो हर दांव-पेच में माहिर हैं। 1940 में आज ही के दिन पैदा होने वाले पवार इस समय भी सियासी मैदान में पूरी तरह सक्रिय हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब डॉक्टरों ने उनसे कह दिया था कि आप अपने सारे जरूरी काम निपटा लें क्योंकि आपके पास सिर्फ छह महीने का ही समय बचा है। डॉक्टरों के यह कहने पर भी पवार ने हार नहीं मानी और आखिरकार एक ऐसी बीमारी पर विजय पाने में कामयाबी हासिल की जिसका नाम सुनकर ही लोग घबरा जाते हैं।
ये भी पढ़ें: प्रणब दा की किताब पर विवादः सोनिया-मनमोहन पर तल्ख टिप्पणी, ठहराया जिम्मेदार
शरद पवार का परिवार
मराठा दिग्गज माने जाने वाले पवार का जन्म पुणे जिले के बारामती में 12 दिसंबर 1940 को हुआ था। उनके पिता का नाम गोविंदराव पवार और मां का नाम शारदा बाई पवार था। पवार के पिता का बारामती फार्मर्स कोऑपरेटिव में काम किया करते थे जबकि उनकी मां बारामती से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित केटवाड़ी स्थित उनके खेतों की देखभाल किया करती थीं। शरद पवार के पांच भाई और चार बहने हैं।
शिक्षा-दीक्षा और विवाह
शरद पवार की प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र एजुकेशन सोसाइटी के अंतर्गत आने वाले स्कूल में हुई जबकि उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले बृहन् महाराष्ट्र कॉलेज आफ कॉमर्स से उच्च शिक्षा पूरी की। शरद पवार की शादी 1 अगस्त 1967 को प्रतिभा शिंदे से हुई थी जिनसे उनकी एक बेटी हुई। पवार की बेटी सुप्रिया सुले भी सियासत में सक्रिय हैं और मौजूदा समय में बारामती लोकसभा सीट से सांसद हैं।
डॉक्टर ने दिया था छह महीने का समय
एक कार्यक्रम के दौरान पवार ने खुलासा किया था कि 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें खुद को कैंसर होने के बारे में पता चला था। इस घातक बीमारी का पता लगने पर वे इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए मगर वहां के डॉक्टरों ने भारत के ही कुछ विशेषज्ञों के पास जाने को कहा।
पवार ने इस कार्यक्रम में यह भी बताया था कि इसी दौरान एक डॉक्टर ने उन्हें जरूरी काम निपटा लेने की सलाह दी थी। डॉक्टर का कहना था कि आप सिर्फ छह महीने के ही मेहमान हैं। इस पर पवार ने डॉक्टर को जवाब दिया कि मैं बीमारी की चिंता नहीं करूंगा और आपको भी इस बाबत चिंता नहीं करनी चाहिए।
कैंसर के इलाज में दर्दनाक अनुभव
पवार के मुताबिक कृषि मंत्री रहने के दौरान उन्हें 36 बार रेडिएशन का ट्रीटमेंट लेना था और यह अनुभव काफी दर्दनाक था। वह सुबह 9 बजे से 2 बजे तक मंत्रालय में काम किया करते थे और फिर ढाई बजे से अपोलो हॉस्पिटल में कीमोथेरेपी लिया करते थे। पवार के मुताबिक यह काफी दर्दनाक अनुभव था मगर बीमारी के इलाज के लिए यह जरूरी भी था। बाद में वे इस बीमारी पर विजय पाने में कामयाब हुए।
पत्नी के सामने रखी थी अजीब सी शर्त
शरद पवार ने एक इंटरव्यू में यह भी बताया था कि शादी से पहले अपनी उन्होंने अपनी पत्नी प्रतिभा के सामने एक ही संतान पैदा करने की शर्त रख दी थी। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि हमारी एक ही संतान होगी, चाहे वह लड़का हो या लड़की। इसके बाद से 1969 में पुणे में सुप्रिया का जन्म हुआ। दशकों पहले सिर्फ एक ही संतान का फैसला लेना काफी कठिन था, लेकिन पवार ने अपने दृढ़ निश्चय से यह करके दिखाया। बाद के दिनों में शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया पर भी किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं बनाया और बचपन से ही उन्हें अपने फैसले खुद लेने की आजादी दी।
सियासी मैदान में कई उपलब्धियां
सियासी मैदान में भी शरद पवार के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं। उनके नाम महाराष्ट्र का सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। वह 38 साल की उम्र में 1978 में पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने 1993 में चौथी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली थी। उन्होंने 1984 में बारामती से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता था।
उन्होंने 20 मई 1999 को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और बाद में 25 मई 1999 को एनसीपी बनाई। शरद पवार के साथ तारिक अनवर और पी ए संगमा ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दिया था और एनसीपी के गठन में इन तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अपने लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान पवार यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
ये भी पढ़ें: 50 हजार जवानों को कोरोनाः CRPF में तेजी से फैल रहा संक्रमण, हुई इतनी मौतें
बीसीसीआई व आईसीसी की भी संभाली कमान
पवार का क्रिकेट की दुनिया से भी गहरा नाता रहा है और वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने 2005 से 2008 तक बीसीसीआई के चेयरमैन के रूप में काम किया और बाद में 2010 में आईसीसी के भी प्रेसिडेंट चुने गए।
मौजूदा समय में वे एनसीपी के प्रमुख हैं और उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सौंप दी है। सुप्रिया सुले अपने पिता की परंपरागत लोकसभा सीट बारामती से सांसद हैं। वे भी तेजतर्रार नेता हैं और माना जाता है कि पवार के बाद एनसीपी की कमान उनके हाथ में ही रहेगी।
ठाकरे सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका
मौजूदा समय में महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार काम कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और शिवसेना का तालमेल बिगड़ गया था। शिवसेना ने सीएम पद पर दावेदारी ठोक दी थी जबकि भाजपा शिवसेना को सीएम का पद देने के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे समय में पवार ने शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को एक मंच पर इकट्ठा किया। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शरद पवार की ही मानी जाती है। महाराष्ट्र की सियासत में पवार अभी भी सबसे मजबूत नेताओं में गिने जाते हैं।
अंशुमान तिवारी