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Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व, यहां जाने खीर रखने का कारण

Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा को कोजागरी और रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस तिथि के पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनोकामना जल्द पूरी होती है।

Vidushi Mishra
Published on: 9 Oct 2022 10:17 AM IST (Updated on: 9 Oct 2022 10:17 AM IST)
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शरद पूर्णिमा 2022 (फोटो- सोशल मीडिया)

Sharad Purnima 2022: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का काफी ज्यादा महत्व है। साल में एक बार पड़ने वाली शरद पूर्णिमा के दिन की भी बहुत महत्ता है। इस दिन से ही शरद ऋतु की शुरूआत हो जाती है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार, हर साल शारदीय नवरात्र के बाद पड़ने वाली पहली पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा कहते हैं। शरद पूर्णिमा के बारे में मान्यता है कि इस पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। इस तिथि को चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है। ऐसे में इस तिथि की चांदनी का प्रकाश शरीर पर पड़ना बहुत शुभकारी माना जाता है। ऐसे में इस साल 2022 में शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को पड़ रही है।

शरद पूर्णिमा को कोजागरी और रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस तिथि के पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनोकामना जल्द पूरी होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस पूर्णिमा तिथि के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसलिए शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। आइए आपको बताते हैं कि शरद पूर्णिमा का शुभ मुर्हुत कब है और क्या महत्व है।

शरद पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त
(Sharad Purnima 2022 Shubh Muhurat)

शारदीय नवरात्र के बाद पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को ही शरद पूर्णिमा होती है।

शरद पूर्णिमा तिथि- 9 अक्टूबर 2022

शरद पूर्णिमा शुभ मुहुर्त- सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू

शरद पूर्णिमा समाप्त- अगले दिन 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय समय - शाम 05 बजकर 58 मिनट

शरद पूर्णिमा ये करना चाहिए

शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अमृता वर्षा करता है। ऐसे में इस दिन रात के समय खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखने की प्रथा है। खीर को किसी हल्के कपड़े से ढककर रख दिया जाता है। ये खीर मां लक्ष्मी को भोग लगाई जाती है। बताया जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। भोग लगाई हुई खीर को फिर सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

शरद पूर्णिमा का महत्व
(Sharad Purnima Importance)

शरद पूर्णिमा पर चांद पृथ्वी के सबसे पास होता है। चारों तरफ चंद्रमा की रोशनी फैली होती है। शरद पूर्णिमा को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय भ्रमण पर निकलती है। इस दिन जो भी मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना करता है उन्हें मनचाहा वरदान और धन-वैभव मिलता है।



Vidushi Mishra

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