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शारदा चिट फंड: राजीव कुमार ने सीबीआई टीम को सहयोग करने से किया इनकार
ऐसा संभव है कि उन्हें कैपिटल सिटी में किसी और जगह पर शिफ्ट किया जा सकता है ताकि रविवार को सीबीआई का प्रयास जारी रह सके। फिलहाल सुनवाई की अगली तारीख 20 फरवरी है|
नई दिल्ली: शारदा चिट फंड केस में आज सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करने पहुंचे सीबीआई के अधिकारी को कोई सुराग हाथ नहीं लग पाया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कई घंटों तक पूछताछ में राजीव कुमार ने सीबीआई टीम को सहयोग करने से इनकार कर दिया। कोलकाता पुलिस कमिश्नर के साथ उनके विश्वजीत देब भी थे।
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शुक्रवार को शिलांग पहुंचे कुमार टॉप हेरिटेज होटल में ठहरे हुए थे जहां से सिटी के दिल कहे जानेवाले ओकलैंड स्थित सीबीआई आफिस में 11 बजे उनका इंटरव्यू शुरू हुआ। लेकिन, दोपहर बाद तक सीबीआई की टीम उनसे कुछ खास नहीं निकलवा पाई।सीबीआई ऑफिस जहां पर राजीव कुमार की पूछताछ की जा रही थी उसके बाहर चारों तक पत्रकारों की भीड़ थी और वहां की सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई थी।
12 सदस्यीय सीबीआई टीम की अगुवाई विवेक दत्त कर रहे थे जिसमें एसपी रैंक, एडिशनल एसपी, डीएसपी और अन्य अधिकारी शामिल थे। दत्त डीआईजी रैंक के ऑफिसर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को यह निर्देश दिया था कि वे सीबीआई जांच में ‘विश्वसनीय’ तरीके से सहयोग करें तो वहीं सीबीआई को उन्हें गिरफ्तार न करने की हिदायत दी।
ऐसा संभव है कि उन्हें कैपिटल सिटी में किसी और जगह पर शिफ्ट किया जा सकता है ताकि रविवार को सीबीआई का प्रयास जारी रह सके। फिलहाल सुनवाई की अगली तारीख 20 फरवरी है|
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ये है मामला
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया था कि सारदा चिटफंड घोटाले की एसआईटी जांच के अगुवा रहे कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और उन्होंने सीबीआई को जो दस्तावेज सौंपे, उनमें से कुछ में 'छेड़छाड़' की गई थी। शीर्ष अदालत ने 'सभी अनावश्यक विवादों से बचने के लिए' कुमार को तटस्थ स्थान शिलॉन्ग में सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया था।
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इससे पहले सीबीआई अधिकारी रविवार को कुमार से पूछताछ के लिए उनके घर पर गए थे लेकिन कोलकाता पुलिस ने उनके प्रयास का विरोध किया। साथ ही सीबीआई अधिकारियों को कुछ घंटों के लिए हिरासत में भी रखा गया था। उसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'संविधान बचाने के लिए' तीन दिन तक धरना दिया था। फिर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद उन्होंने अपना धरना खत्म किया। ममता ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को अपनी नैतिक जीत बताया था, वहीं केंद्र सरकार इसे ममता सरकार को झटका बता रही थी।