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शशि थरूर ने डोकलाम पर भारत की जीत के लिए मोदी को दिया क्रेडिट
कांग्रेस लीडर शशि थरूर ने मंगलवार (29 अगस्त) को डोकलाम मुद्दे को लेकर अपनी प्रतिक्रया दी है। शशि थरूर ने अपने बयान में कहा है कि विदेश मंत्रालय, उसका स्टाफ और पीएम नरेंद मोदी के पूरे ऑफिस को इस बड़ी जीत का क्रेडिट दिया जाना चाहिए।
नई दिल्ली: कांग्रेस लीडर शशि थरूर ने मंगलवार (29 अगस्त) को डोकलाम मुद्दे को लेकर अपनी प्रतिक्रया दी है। शशि थरूर ने अपने बयान में कहा है कि विदेश मंत्रालय, उसका स्टाफ और पीएम नरेंद मोदी के पूरे ऑफिस को इस बड़ी जीत का क्रेडिट दिया जाना चाहिए। ये सभी लोग तारीफ के काबिल हैं। थरूर ने कहा कि विदेश मंत्रालय को उसकी कूटनीति के लिए बधाई, जिसने डोकलाम में चीन की सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। भारत की रणनीति की वजह से ही चीनी सैनिक अपनी सीमा में वापस लौट गए।
बता दें, कि भारत-चीन के बीच सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में शुरू हुआ विवाद दो महीने 12 दिन बाद खत्म हो गया और दोनों देश अपनी सेनाएं हटाने को राजी हो गए हैं। विदेश मंत्रालय ने 28 अगस्त को बयान जारी कर कहा कि दोनों देश अपनी सेना हटाने पर राजी हो गए हैं। सेना हटाने का काम शुरू भी हो गया है। हालांकि, इस मुद्दे पर अभी चीन के विदेश मंत्रालय का कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।
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दोनों देश की सेना के एक साथ हटने के निर्णय को भारत की बड़ी राजनीतिक जीत माना जा रहा है। चीनी सेना और वहां का मीडिया लगातार भारत को वार की धमकी दे रहा था।
भारत-चीन-भूटान के लिए क्यों अहम है डोकलाम?
‘चिकन-नेक’ के पास का इलाका है डोकलाम। ये पूरा इलाका सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद अहम है। अगर चीन यहां सड़क बनाने में कामयाब होता है तो उसके लिए भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी तक पहुंच काफी आसान हो जाएगी। दरअसल, ‘चिकन नेक’ उस इलाके को कहते हैं जो सामरिक रूप से किसी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन संरचना के आधार पर कमजोर होता है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर ऐसा ही क्षेत्र है।
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भूटान के भारत के साथ खास रिश्ते हैं और 1949 की संधि के मुताबिक, ये विदेशी मामलों में भारत सरकार की ‘सलाह से निर्देशित’ होगा। 1949 में साइन की गई और फिर 2007 में दोहराई गई संधि के मुताबिक, भूटान के भू-भाग के मामलों को देखना भी भारत की जिम्मेदारी है ।
चीन क्यों डोकलाम पर नजर गड़ाए हुए है?
चीन का डोकलाम पठार पर सड़क बना देना उसके सैनिकों को सिलीगुड़ी कॉरिडोर के और करीब पहुंचा देगा। चीन ये नहीं मानता है कि डोकलाम पठार का ‘डोका ला’ इलाका ‘ट्राइजंक्शन’ है। चीन ‘डोका ला’ इलाके को अपना हिस्सा मानता है और भूटान अपना। इस सड़क का मकसद है ‘ट्राइजंक्शन’ को हमेशा के लिए शिफ्ट कर देना। सड़क बनने के साथ ही चीन का ‘डोका ला’ पर दावा और मजबूत हो जाएगा।