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भयंकर विनाश का खतरा: ग्लेशियर से मचेगी तबाही, वैज्ञानिकों ने कही ये बात

शिलासमुद्र ग्लेशियर का बर्फीला और ऊपरी हिस्सा नंदाघुंटी से निकलता है। राजजात नामक धार्मिक यात्रा भी इसी जगह होती है। यह ग्लेशियर करीब नौ किलोमीटर के इलाके में फैला हुआ है।

Shreya
Published on: 8 Feb 2021 11:33 AM GMT
भयंकर विनाश का खतरा: ग्लेशियर से मचेगी तबाही, वैज्ञानिकों ने कही ये बात
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भयंकर विनाश का खतरा: ग्लेशियर से मचेगी तबाही, वैज्ञानिकों ने कही ये बात

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में कल आयी अचानक बाढ़ की वजह क्या थी, ये अभी तक साफ़ पता नहीं चल पाया है। हालांकि कहा जा रहा कि ये आपदा ग्लेशियर झील के टूटना, बादल फटने या हिमस्खलन से आई होगी। अभी भी राहत व बचाव कार्य जारी है और लोगों की जिंदगियों को बचाने का काम तेजी से किया जा रहा है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में ऐसे कई ग्लेशियर हैं, जो कभी भी खतरा बन सकते हैं।

ग्लेशियर के नीचे दो छेद भविष्य के लिए खतरा

ऐसा ही एक ग्लेशियर चमोली जिले के माउंट त्रिशूल और माउंट नंदाघुंटी के नीचे मौजूद है। जो कि ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) के चलते पिघल रहा है, लेकिन कहा जा रहा है कि ये अभी भी तबाही ला सकता है। बताया जा रहा है कि इस ग्लेशियर के नीचे दो छेद हैं, जो भविष्य में कभी भी तबाही ला सकते हैं। बता दें कि ये छेद प्राकृतिक रूप से बने हैं। हम जिस ग्लेशियर की बात कर रहे हैं, उसका नाम शिलासमुद्र ग्लेशियर (Shila Samudra Glacier) है।

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Shila-Samudra Glacier (फोटो- सोशल मीडिया)

भूकंप से तबाही का खतरा

इस इलाके के जानकारों के मुताबिक, अगर इस जगह पर कोई बड़ा भूकंप आया तो शिलासमुद्र ग्लेशियर टूट सकता है और इससे भयंकर तबाही के आसार हैं। कहा ये भी जा रहा है कि तबाही का असर 250 किलोमीटर दूर स्थित हरिद्वार तक देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि शिलासमुद्र ग्लेशियर पर लोग ट्रेकिंग के लिए जाते हैं। रूपकुंड-जुनारगली-होमकुंड ट्रेक इसी रास्ते पर आता है।

प्राकृतिक छेद का आकार हुआ बड़ा

जानकारी के लिए आपको बता दें कि शिलासमुद्र ग्लेशियर का बर्फीला और ऊपरी हिस्सा नंदाघुंटी से निकलता है। राजजात नामक धार्मिक यात्रा भी इसी जगह होती है। यह ग्लेशियर करीब नौ किलोमीटर के इलाके में फैला हुआ है। अब चिंता की बात यह है कि इस ग्लेशियर के नीचे दो छेद बन गए हैं, जो कि प्राकृतिक हैं। यह साल 2000 में तो काफी छोटा था, लेकिन 2014 में यह काफी बड़ा हो चुका है।

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ShilaSamudra Glacier (फोटो- सोशल मीडिया)

अब इन दोनों छेदों के आसपास बड़ी बड़ी दरारें भी पड़ गई हैं। जिन्हें खतरा माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हल्के भूंकप ग्लेशियर्स के लिए काफी ज्यादा खतरनाक हैं। देहरादून के भू-विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्लेशियरों के चलते बनने वाली झीलें बड़े खतरे की वजह बन सकती हैं।

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