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एक कैफे ऐसा भी, सजायाफ्ता कैदी सर्व करते हैं खाना, इनकी कहानी पढ़कर भर जायेंगी आंखें...
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक ऐसा कैफे है, जहां हत्या के सजायाफ्ता कैदी आने वाले ग्राहंको को कॉफ़ी कूकीज और पिज़्ज़ा सर्व करते हैं।
Ved Prakash singh
शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक ऐसा कैफे है, जहां हत्या के सजायाफ्ता कैदी आने वाले ग्राहंको को कॉफ़ी कूकीज और पिज़्ज़ा सर्व करते हैं। 40 सीटों की क्षमता वाले इस बुक कैफे में किन्डल की नोटबुक से लेकर दुनिया के बेहतरीन नावेल और शिमला की टूरिस्ट गाइड जैसी सैकड़ों किताबें फ्री में पढ़ सकते हैं।
कारागार महानिदेशक सोमेश गोयल ने बताया की बुक कैफे को चार कैदी जयचंद, योगराज, रामलाल तथा राजकुमार संचालित कर रहे हैं। इन्हें पास के ही नामी होटल रैडिसन होटल द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। जेल से जुड़े सूत्रों की माने तो हाल ही खुले इस इस कैफे से रोजाना 4 से 5 हजार की बिक्री हो जाती है। गौरतलब है कि 27 अप्रैल को पीएम मोदी का मंच भी उस कैफे से 10 कदम की दूरी पर बना था।
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सीएम वीरभद्र सिंह ने किया था कैफे का उद्घाटन
सबसे बड़ी बात ये है कि इस कैफे को राज्य सरकार की मदद से बनाया गया है। 20 लाख की लागत से बने इस कैफे का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह और डिप्टी मेयर टिकेन्द्र सिंह पंवर ने 11 अप्रैल को किया।
बुक कैफे हिमाचल की राजधानी शिमला के प्रसिद्ध रिज मैदान के ऊपर बना है। जहां शिमला की कायथू जेल में हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे चार लोग लोग इस अनोखे तौर के कैफे को चला रहे है।
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कैद की चहारदीवार निकलकर ये कैदी अब आम लोगों से तो मिल रहे हैं, लेकिन आज भी वे उन मंज़रों को याद करके सिहर जाते हैं, जिसके नातें उन्हें आज कातिल की नजरिये से दुनिया देखती हैं।
हालांकि कैफे में आने वाले ग्राहकों की माने तो सर्व करने वाले कैदी बेहद सरल सहज और मृदुभाषी है और इनके आचरण को देखकर इस उनके ऊपर लगे आरोपों पर यकीन कर पाना मुश्किल हैं।
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रोजाना सुबह के 10 बजे से रात के आठ बजे तक चलने वाले इस रेस्टोरेंट में दो-दो कैदी की शिफ्ट लगती हैं। जो कैफे में उपलब्ध खाने पीने की सभी चीजें ग्राहंको को सर्व करते हैं। कैफे के अंदर जाते ही होटल्स जैसा मेन्युकार्ड हाथ में लिए मुस्कान के साथ कैदी कस्टमर का स्वागत करते मिल जाते हैं।
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पैदल ही जाते हैं जेल
कैदी योगराज ने बताया कि शाम कैफे बंद कर वे पैदल ही कायथू जेल चले जाते हैं। रोजाना हुई बिक्री वे जेल में जमा कर देते हैं, इसी पैसे से कैफे का प्रबंधन चलता रहता है। जेल के बाहर आकर दुनिया से जुड़ने वाले इन कैदियों को इस काम से यह उम्मीद जग गयी है, की जब वे अपनी सजा पूरी करके आज़ाद दुनिया में कदम रखेंगे तो उन्हें रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
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फ्री-वाईफाई के साथ पढ़िए वर्ल्ड क्लास नोबेल
बुक कैफे में एक तरफ जहाँ यात्रियों को मुफ्त में वाईफाई की सुविधा मिलती है , वही पर वर्ल्ड क्लास नोबल और पर्यावरण, पर्यटन तथा शिमला के इतिहास के बारे में जानने के लिए ढेर सारी किताबें हैं। जिसे वहां बैठकर पढ़ा जा सकता है।
बुक कैफे में एपीजे अब्दुल कलाम, खलील जिब्रान, चेतन भगत, रोबिन सिंह, नेहरू, गांधी जी की आत्मकथा समेत निकिता सिंह तथा फ्रांस के उपन्यासकार जूल्स वार्न की पुस्तकों के अलावा, ढेर सारी एजुकेशनल बुक्स, मैगजीन और न्यूज़पेपर उपलब्ध रहते हैं।
कई जगहों पर चल रहे हैं प्रयास
हिमाचल प्रदेश के मुख्य कल्याण अधिकारी(कैदी) भानु प्रकाश शर्मा ने बताया कि कैदियों के आचरण और व्यवहार के आधार चार लोगों का चयन किया। इसके बाद उन्हें पब्लिक डीलिंग की ट्रेनिग दी गयी। बुक कैफे के अलावा भी बहुत सारे कैदी है जो अलग- अलग जगहों पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा धर्मशाला में कार वाशिंग सेंटर खोला गया है, कारपेंट्री डेयरी फॉर्म के अलावा कम्पोस्ट खाद बनाने जैसे काम का प्रशिक्षण देकर सजायाफ्ता कैदियों से करवाया जा रहा है। जिससे सजा ख़त्म होने पर कैदियों के पुनर्वास आसानी से हो सके और वे मुख्य धारा से आसानी से जुड़ सके।
आइये जानते हैं इस अनोखे कैफे में काम करने वाले कैदियों के बारे में...
जेल के चहारदीवारी में हत्या की सजा काट रहे जिन लोगों के पुनर्वास की कोशिश सरकार कर रही है. आइये जानते हैं उनके बारे में कैसे पहुंचे वे जेल तक
योगराज
हमीरपुर के रहने वाले योगराज 27 के हो गए हैं, बात 2011 की है जब वह हमीरपुर डिग्रीकालेज में बीकॉम द्वतीय वर्ष का छात्र था। बकौल जोगराज उस दिन उनका एक दोस्त आया और किसी दोस्त से मिलने की बात कहकर साथ ले गया, वहां जाकर योगराज के दोनों दोस्तों में पैसे की बात को लेकर लड़ाई हो गयी। जिसमे एक युवक की मौत हो गयी। जिसके बाद योगराज और उसके दोस्त को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और अदालत से दोनों को आजीवन कारावास की सजा हो गयी।
योगराज ने बताया कि उसके पैदा होने के कुछ दिन बाद ही उसके पिता की मृत्यु हो गयी थी। घर में एक दो भाई के साथ एक बहन है। जो किसी तरह अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं। एक झटके में सारे सपने टूट जाने का गम आज भी योगराज को परेशान करता हैं।
जब भी वह उस दिन की हादसे को याद करता हैं तो वह सिहर जाता है। उन मंज़र को याद कर आज भी योगराज कहता हैं कि हमेशा अच्छे लोगों को दोस्त हो अगर वह मेरा दोस्त नहीं होता आज मैं यहाँ नहीं होता।
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जयचंद
हमीरपुर निवासी 17 साल से आजीवन कारावास की सज काट रहे 46 वर्षीय जयचंद पर अपनी ही पत्नी की हत्या का आरोप है। जयचंद के मुताबिक़ शादी के आठ साल बाद एक दिन उसकी पत्नी ने खुद को सुसाइड करने की कोशिश की। जैसे वह घर में पहुंचा उसने देखा उसकी पत्नी फंदे से लटकी है, उसके पैर जमीन से छु रहे हैं। इसके बाद मैंने अपनी पत्नी को उतारा देखा कि उसकी नब्ज चल रही है, इसके बाद लोगों के कहने पर अपनी पत्नी के मुह में पानी डाल दिया, लेकिन इसके बाद भी उसके पत्नी की मौत हो गयी।
पुलिस ने उसके सास ससुर की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया और सेसन कोर्ट से उसे आजीवन कारावास की सजा हो गयी। जिसे बाद में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया।
अपने दो बच्चों के पालन पोषण के लिए जयचंद ने दूसरी शादी कर ली। उस पत्नी से उसे दो बच्चे पैदा हुए। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट में उसकी सजा को बहाल दिया। अब उसके चार बच्चों की जिम्मेदारी उसकी दूसरी पत्नी पर है। अब उसकी ससुराल के लोग चाहते हैं कि उसकी सजा माफ़ कर दी जाए जिससे वह अपने बच्चों की देखभाल कर सके।
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राजकुमार
बिलासपुर के रहने वाले 44 वर्षीय राजकुमार ने 2010 में आपसी रंजिश में पडोसी से कहा सुनी और मारपीट हो गयी। जिसमे उनके पड़ोसी की मौत हो गयी। पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया, सेसन कोर्ट से उन्हें आजीवन कारावास की सजा हो गयी।
सजा को सुप्रीमकोर्ट ने भी जायज ठहराया। घर में राजकुमार की पत्नी के अलावा एक बेटा है जो हाल ही में हिमाचल पुलिस में भर्ती हुआ है।
रामलाल
बुक कैफे चला रहे 58 वर्षीय चौथे कैदी का नाम राजकुमार है। 17 साल पहले उनकी परिचित महिला की हत्या के मामले में उसे आजीवन कारवास की सजा हुई है। जिस समय उस पर हत्या का आरोप लगा वह 41 साल का था और हिमाचल सरकार के आपीएच विभाग में लिपिक के पद पर तैनात थे।