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Aditya Thackeray Ayodhya Visit: तो इस कारण से अयोध्या आ रहे हैं आदित्य ठाकरे !
Aditya Thackeray Ayodhya Visit: आदित्य ठाकरे की ये यात्रा भले धार्मिक यात्रा (Dharmik Yatra) कही जा रही हो, पर इसके पीछे हिन्दुत्व का जुड़ाव बनाए रखने की रणनीति भी छिपी हुई है।
Aditya Thackeray Ayodhya Visit: धार्मिक नगरी और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या (Ayodhya) का महाराष्ट्र के बाला साहब ठाकरे परिवार से गहरा नाता रहा है। ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के आदित्य ठाकरे Aditya Thackeray )की भले ही यह धार्मिक यात्रा (Dharmik Yatra) कही जा रही हो पर इसके पीछे हिन्दुत्व का जुड़ाव बनाए रखने की रणनीति भी छिपी हुई है। इसके पीछे महाराष्ट्र में साझा सरकार के गठन के बाद शिवसेना (Shivsena) की गिरती छवि को बचाए रखने की भी एक रणनीति कही जा रही है। इसी साल बीएमसी के चुनाव भी होने हैं जिसे लेकर शिवसेना अभी से फिक्रमंद है।
अयोध्या आंदोलन के एक नायक बाला साहब ठाकरे भी अपने राजनीतिक जीवन में बाला साहब ठाकरे हमेशा हिन्दुत्व के लिए लड़ते रहे। उन्होंने सत्तर और अस्सी के दशक में कट्टर हिन्दुत्व को लेकर देश में एक अलख जगाने का काम किया। इसके अलावा अयोध्या आंदोलन में षिवसैनिकों को हमेशा आगे किया। फिर चाहे भारत पाकिस्तान के विवाद के बीच क्रिकेट मैच रोकने का काम हो अथवा बाबरी ढांचे विंध्वस की बात हो। उनके अनुयायी बाला साहब हिन्दू हदय सम्राट कहा करते थें। 1966 में पार्टी की स्थापना के बाद 1995 में भाजपा के साथ मिलकर उन्होंने पहली बार महाराष्ट्र में सरकार बनाने का काम किया। इसके बाद उनके पुत्र उद्वव ठाकरे ने पिता का राजनीतिक सहयोग करना शुरू किया। 2012 में बाला साहब ठाकरे के निधन के बाद फिर पूरी तरह से पार्टी की जिम्मेदारी उद्धव ठाकरे के कंधे पर आ गयी।
उद्वव ठाकरे बने पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
हांलाकि बाला साहब ठाकरे ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी भी कोई संवैधानिक पद नहीं लिया लेकिन उनके पुत्र उद्वव ठाकरे ने जब महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हुए और किसी दल को बहुमत नहीं मिला तो उन्होंने दषकों पुराने संबधों को किनारे करते हुए भाजपा का साथ छोड़ दिया और यूपीए का साथ पकड़कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए। दरअसल उद्धव अपने बेटे आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाना चाह रहे थें जिसे लेकर एनडीए में सहमति नहीं बन सकी और यह गठबन्धन टूट गया। लेकिन अपनी जिद पर अडे़ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे ने आखिरकार अपने पुत्र आदित्य ठाकरे को मंत्रिमंडल में स्थान दिया। यह बात अलग है कि इससे उनकी हिन्दुत्ववादी छवि पर बुरा असर पड़ा।
आदित्य के सहारे हिन्दुत्ववादी छवि बचाए रखने की कोशिश
उद्वव ठाकरे ने महाराष्ट्र में जब से कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई है तब से वह भाजपा और कट्टर हिन्दुत्ववादी लोगों के निशाने पर आते रहे हैं। यहां तक कि उनके चचेरे भाई राजठाकरे भी उन पर हमेशा हमलावर रहे हैं। यहीं कारण है कि पिछले महीने उद्धव ठाकरे का अयोध्या आने का कार्यक्रम बनाया गया था पर इससे पहले ही राजठाकरे भी यहां आने के लिए तैयार हो गए। पर भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के विरेाध के चलते उन्होंने अपनी यात्र को ही कैंसिल कर दिया। पर इस बीच मौका देखकर उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे आदित्य ठाकरे को यहां भेजने का काम किया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे के बाद आदित्य ठाकरे ही इस परिवार के उत्तराधिकारी हैं।