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MP Election Result 2023: मध्य प्रदेश की जीत में शिवराज बने सबसे बड़ा फैक्टर,BJP के शीर्ष नेतृत्व के लिए भी अब उनकी अनदेखी करना मुश्किल

MP Election Result 2023: मध्य प्रदेश में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे शिवराज सिंह चौहान और उनकी योजनाओं को पर सबसे बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना ने तो कमाल कर दिया और महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में बंपर वोटिंग करके शिवराज सिंह चौहान की सियासी जमीन को और मजबूत बना दिया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 3 Dec 2023 8:49 PM IST
Shivraj became the biggest factor in the victory of Madhya Pradesh, now it is difficult for the top leadership of BJP to ignore him
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मध्य प्रदेश की जीत में शिवराज बने सबसे बड़ा फैक्टर,BJP के शीर्ष नेतृत्व के लिए भी अब उनकी अनदेखी करना मुश्किल: Photo- Social Media

MP Election Result 2023: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जितनी बड़ी जीत हासिल की है, उसकी उम्मीद शायद किसी ने नहीं की थी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी राज्य में सत्ता विरोधी रुझान का खतरा महसूस हो रहा था और शायद यही कारण था कि शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाया गया। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गज नेताओं को चुनावी अखाड़े में उतारा गया मगर इसके बावजूद भाजपा का पूरा चुनाव प्रचार शिवराज सिंह चौहान के इर्द-गिर्द ही सिमटा रहा।

यही कारण है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे शिवराज सिंह चौहान और उनकी योजनाओं को पर सबसे बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना ने तो कमाल कर दिया और महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में बंपर वोटिंग करके शिवराज सिंह चौहान की सियासी जमीन को और मजबूत बना दिया है। मध्य प्रदेश के चुनाव नतीजे से शिवराज सिंह की विदाई का रास्ता देखने वाले विरोधियों को करारा जवाब मिला है। ऐसे में मध्य प्रदेश में भले ही सीएम पद के कई अन्य दावेदार उभरे हों मगर शिवराज सिंह चौहान की अनदेखी करना अब शीर्ष नेतृत्व के लिए भी काफी मुश्किल माना जा रहा है।

शिवराज की योजना बनी गेमचेंजर

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना को सबसे बड़ा गेमचेंजर माना जा रहा है। इस योजना ने शिवराज सिंह चौहान की सियासी जमीन को मजबूत बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत राज्य की करोड़ों महिलाओं के खाते में हर महीने 1000 रुपए ट्रांसफर किए गए जिसे बाद में बढ़ाकर 1250 रुपए कर दिया गया। अब इस रकम को बढ़ाकर 3000 रुपए प्रति माह तक ले जाने का वादा किया गया है।

शिवराज सिंह चौहान अपनी चुनावी सभाओं के दौरान इस योजना पर खासा फोकस करते रहे। वे अपनी चुनावी सभाओं में इस योजना का जिक्र करते हुए महिलाओं से आशीर्वाद मांगते थे जिस पर महिलाओं की ओर से उन्हें जोरदार सकारात्मक प्रतिक्रिया मिला करती थी।

उनका कहना था कि लाडली बहना, लाडली लक्ष्मी, निकाय चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को ठीक से लागू किया गया है। शिवराज सिंह के इस दांव से भाजपा को बड़ा सियासी लाभ हुआ है और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सारे सपने बिखर गए हैं।

शिवराज सिंह चौहान: Photo- Social Media

शिवराज के इर्द-गिर्द सिमटा प्रचार अभियान

मध्य प्रदेश में इस बार भाजपा ने शिवराज के मजबूत होने के बावजूद उन्हें सीएम पद का चेहरा नहीं बनाया था। दरअसल भाजपा को सत्ता विरोधी रुझान का डर सता रहा था मगर यह आशंका पूरी तरह निर्मल साबित हुई क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ही पार्टी के लिए सबसे बड़ा वरदान बन गए। भाजपा की ओर से भले ही कई दिग्गजों को मध्य प्रदेश के सियासी रण में उतारा गया था मगर प्रदेश स्तर पर पूरे चुनाव अभियान को शिवराज सिंह चौहान ही लीड करते हुए नजर आए।

मध्य प्रदेश के लोग इस लड़ाई को शिवराज बनाम कमलनाथ के रूप में देख रहे थे जिसमें शिवराज कमलनाथ पर काफी भारी साबित हुए। उन्हें मजबूत बनाने में महिलाओं का समर्थन सोने पर सुहागा जैसा साबित हुआ। महिलाओं के बीच शिवराज की लोकप्रियता से भाजपा मध्य प्रदेश के सियासी गढ़ को बचाने में कामयाब साबित हुई।

शिवराज का इमोशनल कार्ड

शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के रूप में करीब 16 साल तक मध्य प्रदेश की कमान संभाली है और इस बार के चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि अभी भी राज्य के मतदाताओं का उनमें भरोसा बरकरार है। अपनी चुनावी सभाओं के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने इस बार इमोशनल कार्ड भी खेला। वे मध्य प्रदेश के मतदाताओं खासकर महिलाओं से सवाल पूछा करते थे कि क्या आप नहीं चाहते कि आपका मामा, आपका भाई फिर मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बने।

इस पर लोग भारी शोर के साथ उनका समर्थन किया करते थे। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान ने खुद को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर दिया और भाजपा की चुनावी नैया पार लगाने में बड़ी भूमिका निभाई।

हिंदुत्व का कार्ड खेलने में भी आगे

मध्य प्रदेश में भाजपा की बड़ी जीत में हिंदुत्व के कार्ड की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। मध्य प्रदेश में हिंदुत्व का कार्ड खेलने में शिवराज सिंह चौहान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पीछे नहीं रहे। शिवराज सिंह चौहान उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश में भी बुलडोजर कार्रवाई करने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने राज्य के चार प्रसिद्ध धार्मिक स्थान के सौंदर्यीकरण और विस्तार पर सैकड़ो करोड रुपए खर्च कर डाले। मध्य प्रदेश में हिंदुत्व की जड़ें गहरी होने और शिवराज के हिंदुत्व कार्ड का जवाब देने के लिए कांग्रेस को भी सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेना पड़ा मगर कांग्रेस का यह हथियार भी बेदम साबित हुआ और भाजपा राज्य में बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही।

कमलनाथ पर इसलिए पड़े भारी

मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रचार रणनीति में भी काफी अंतर दिखा। जहां एक ओर शिवराज सिंह चौहान ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी थी वहीं दूसरी ओर कमलनाथ ओवर कॉन्फिडेंट नजर आए। कांग्रेस के ही कई लोगों का मानना है कि कमलनाथ पार्टी को सीईओ की तरह चलाते हैं।

चुनाव प्रचार के जोर पकड़ने के बावजूद उन्होंने प्रतिदिन सिर्फ दो चुनावी संभावनाओं को संबोधित किया जबकि दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के प्रचार के लिए कोई कसर नहीं बाकी छोड़ी। उन्होंने प्रतिदिन 8 से 10 रेलियों को संबोधित करते हुए भाजपा प्रत्याशियों की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने का प्रयास किया। इस कारण मध्य प्रदेश में भाजपा की चुनावी जीत में शिवराज की बड़ी भूमिका मानी जा रही है।

कमलनाथ: Photo- Social Media

अब शिवराज की अनदेखी करना मुश्किल

वैसे तो मध्य प्रदेश में सीएम पद के कई दावेदार माने जा रहे हैं मगर जिस तरह चुनावी जीत का श्रेय शिवराज सिंह चौहान को दिया जा रहा है, उसे देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए भी उनकी अनदेखी करना आसान नहीं होगा। ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि शायद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का रिस्क नहीं मोल लगी।

मध्य प्रदेश में अगर कोई बड़ा बदलाव होना भी होगा तो वह 2024 की सियासी जंग के बाद ही दिख सकता है। हालांकि अब सबकी निगाहें मध्य प्रदेश को लेकर शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर लगी हुई हैं।



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Shashi kant gautam

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