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Sanjay Raut: कौन हैं संजय राउत, पत्रकारिता से ईडी की गिरफ्तारी तक, जानें पूरा इतिहास
Sanjay Raut: शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। आइए जानते हैं संजय राउत के बारे में..............
Sanjay Raut: शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत (Shivsena Leader Sanjay Raut) को प्रवर्तन निदेशालय (Ed) ने मनी लांन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। उनकी गिरफ्तारी ने महाराष्ट्र की राजनीति को गरमा दिया है। राउत शिवसेना में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बाद नंबर दो की हैसियत रखते हैं। ईडी की कार्रवाई को लेकर राज्य के कई हिस्सों में शिवसेना के कार्यकर्ताओं (Shivsena Worker) ने विरोध-प्रदर्शन किया। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं की एक बैठक मातोश्री पर बुलाई है। ईडी के दफ्तर के बाहर सुरक्षा के तगड़े प्रबंध किए गए हैं।
उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के आंख और कान माने जाने वाले संजय राउत 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assenbly Election) के बाद से लगातार खबरों में हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना को बीजेपी से दूर और एनसीपी-कांग्रेस के करीब ले जाने में उन्होंने अहम योगदान दिया था। इसके बाद चाहे सामना हो या कोई पब्लिक प्लेस उनकी तरफ से हमेशा बीजेपी के लिए तीखे स्वर निकलते थे। तो आइए एक नजर महाराष्ट्र की सियासत के इस दिलचस्प किरदार के अबतक के सफर पर नजर डालते हैं।
संजय राउत का व्यक्तिगत जीवन
संजय राउत (Shivsena Leader Sanjay Raut) का जन्म 15 नवंबर 1961 को महाराष्ट्र के अलीबाग में हुआ था। उनके पिता राजारम राउत था। साल 1993 में उन्होंने वर्षा राउत से शादी की। दोनों के दो बच्चे हैं।
पत्रकारिता से करियर की शुरूआत
संजय राउत (Shivsena Leader Sanjay Raut) ने अपना करियर बतौर पत्रकार शुरू किया था। 80 के दशक में वह मुंबई के अच्छे क्राइम रिपोर्टर हुआ करते थे। उस दौरान वह लोकप्रभा नामक अखबार के लिए काम किया करते थे। कहते हैं कि राउत का उन दिनों अंडरवर्ल्ड में काफी सोर्स हुआ करता था। मुंबई में छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम के गतिविधियों पर अखबार के लिए वह खबर किया करते थे। साल 2020 में उन्होंने ये कहकर सनसनी मचा दी थी कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी (Former PM Indira Gandhi) अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलती थीं। इस पर काफी बवाल हुआ था। तब महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। कांग्रेस (Congress) के दवाब के बाद राउत ने अपना बयान वापस ले लिया था। उस दौरान उन्होंने कुछ पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया था कि चूंकि वह उस दौरान क्राइम रिपोर्टर थे, इसलिए उनके पास इस तरह की जानकारियां थी।
शिवसेना में एंट्री
संजय राउत (Shivsena Leader Sanjay Raut) की शिवसेना में एंट्री नेता के तौर पर नहीं बल्कि पत्रकार के तौर पर हुई थी। दरअसल 2 जुलाई 1992 को शिवसेना के मराठी मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक के लिए वैकेंसी निकाली थी। संजय राउत (Shivsena Leader Sanjay Raut) ने इसके लिए अप्लाई किया और बाला साहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने उन्हें सेलेक्ट कर लिया। कहा जाता है कि बाला साहेब राउत (Balasaheb Thackeray) की लेखनी से काफी प्रभावित थे और उन्हीं के कहने पर सामान का हिंदी वर्जन लॉन्च किया गया था, जिसके कार्यकारी संपादक संजय निरूपम को बनाया गया था। निरूपम वर्तमान में कांग्रेस में हैं। राउत के आने के बाद सामना की लोकप्रियता में काफी उछाल आया। सामना में छपे खबरों की शैली वैसी ही होती थी, जिस शैली का बाला साहेब अपने भाषणों के दौरान किया करते थे। ऐसे में लोग मानने लगे थे कि सामना में लिखा एक-एक शब्द बाला साहेब ठाकरे के शब्द ही हैं।
अखबार के साथ – साथ पार्टी की भी जिम्मेदारी
साल 1992 में बतौर पत्रकार शिवसेना से जुड़ने वाले संजय राउत धीर-धीरे पार्टी में बढ़ते चले गए। वह अखबार संभालने के साथ – साथ पार्टी की दैनिक गतिविधियों में भी अहम योगदान देने लगे थे। दरअसल ये वो दौर था, जब शिवसेना से कद्दावर नेताओं का पलायन भी शुरू हो चुका था। राउत ठाकरे परिवार की नजरों में अपनी छाप छोड़ चुके थे। साल 2004 में उन्हें पहली बार राज्यसभा में भेजा गया। इसके बाद से लगातार यह क्रम जारी है। वह राज्यसभा में शिवसेना के नेता भी हैं। इसके अलावा वह कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों का हिस्सा भी रह चुके हैं।
एमवीए सरकार के निर्माण में निभाई थी अहम भूमिका
छग्गन भुजबल, नारायण राणे और राज ठाकरे जैसे कद्दावर नेताओं के पलायन के बाद संजय राउत ठाकरे (Shivsena Leader Sanjay Raut) परिवार के सबसे भरोसेमंद सहयोगी बन चुके हैं। उन्हें पार्टी और परिवार का संदेशवाहक भी माना जाता है। राउत (Shivsena Leader Sanjay Raut) उन शिवसैनिकों में शुमार हैं, जिन्हें महाराष्ट्र में बीजेपी का उदय रास नहीं आया। साल 2014 में भले कुछ दिनों के मनमुटाव के बाद दोनों साथ आ गए हों लेकिन अंदर ही अंदर ठाकरे परिवार बीजेपी को महाराष्ट्र में नंबर वन मानने को तैयार नहीं था। साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने मौके को भुनाते हुए एनसीपी और कांग्रेस जैसे पारंपरिक विरोधी दलों के साथ जाकर सरकार बना ली। तीन दलों की इस सरकार के निर्माण में संजय राउत ने ठाकरे परिवार और एनसीपी सुप्रीमो के बीच पुल की तरह काम किया था। साल 2019 के बाद से ही राउत मीडिया में शिवसेना का सबसे बड़ा चेहरा बन चुके हैं। चाहे बीजेपी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलना हो या सहयोगी दलों के साथ मनमुटाव को दूर करने का काम शिवसेना की तरफ से इन कामों की जिम्मेदारी संजय राउत के कंधों पर ही थी।
संजय राउत की गिरफ्तारी
पात्रा चॉल लैंड स्कैम केस (Patra Chawl Land Scam Case) में करीब 1034 करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप है। इस केस में बिल्डर प्रवीण राउत की 9 करोड़ रुपए और संजय राउत की पत्नी वर्षा की 2 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त हो चुकी है। इस मामले में संजय राउत के खिलाफ मुंबई के वकोला पुलिस स्टेशन (Vakola Police Station in Mumbai) में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। ईडी की टीम रविवार सुबह सात बजे भांडुप स्थित पहुंची और नौ घंटे के छानबीन के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया।