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Shraddha Murder Case: श्रद्धा मर्डर केस सीबीआई के सुपुर्द करने की मांग, दिल्ली पुलिस पर लापरवाही का आरोप
Shraddha Murder Case: श्रद्धा हत्याकांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने की मांग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
Shraddha Murder Case: श्रद्धा हत्याकांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने की मांग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता जोशीनी तुली द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि उन्होंने 17 नवंबर को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष कार्यवाही देखने के बाद याचिका दायर की है, जिसमें दिल्ली पुलिस को 28 वर्षीय आफताब पूनावाला का नार्को विश्लेषण परीक्षण करने की अनुमति दी गई थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका में तुली ने कहा है कि उन्होंने 18 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय से मामले की संवेदनशील प्रकृति, जांच में बाधा, साक्ष्य और गवाहों से छेड़छाड़ के कारण सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।
याचिका के अनुसार, दिल्ली पुलिस द्वारा की गई जांच का सूक्ष्म और संवेदनशील विवरण अब तक मीडिया के माध्यम से जनता के सामने आया है। याचिका में कहा गया है कि किसी भी मामले में बरामदगी वाली जगहों और अदालती सुनवाई आदि के स्थान पर मीडिया और अन्य सार्वजनिक व्यक्तियों की उपस्थिति का मामले में सबूतों और गवाहों के साथ हस्तक्षेप है।
पीआईएल में कहा गया है कि - "…माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर नोएडा में दिनांक 7.06.2022 को 14 साल की लड़की से बलात्कार और हत्या जैसे संवेदनशील मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था। इसी तरह लखनऊ में एक बुजुर्ग दंपति की हत्या के केस को 7 साल के अंतराल के बाद सीबीआई द्वारा हल किया गया था। इसी तरह तपन कंडू हत्याकांड आदि की पहले सीबीआई / प्रतिवादी संख्या 3 द्वारा जांच की गई थी क्योंकि किए गए अपराध संवेदनशील प्रकृति के थे और जघन्य अपराध थे।"
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि अपराध के स्थान को दिल्ली पुलिस ने आज तक सील नहीं किया है। वहां लोगों और मीडिया कर्मियों का लगातार आना जाना बना हुआ है और वह दूषित हो गया है। इसमें आगे कहा गया है कि यह मामला दिल्ली पुलिस के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र से परे एक अंतरराज्यीय अपराध है क्योंकि उन्होंने मीडिया के सामने खुलासा किया है कि वे आफताब को आगे की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र सहित पांच अलग-अलग राज्यों में ले जाने वाले हैं।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि मामले में फोरेंसिक साक्ष्य को दिल्ली पुलिस द्वारा ठीक से संरक्षित नहीं किया गया है क्योंकि सभी कथित बरामदगी को महरौली पुलिस स्टेशन के भीतर, अपराध के कथित दृश्य यानी के घर के भीतर विभिन्न सार्वजनिक व्यक्तियों और मीडिया कर्मियों द्वारा छुआ और एक्सेस किया जा रहा है।