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Shraddha Murder Case: आज नहीं होगा आफताब का नार्को टेस्ट, कैसे पुलिस को नार्को से मिलेगी मदद, जानें सबकुछ
Shraddha Murder Case: 18 नवंबर को साकेत कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रोहिणी फोरेंसिक लैब को पांच दिनों के अंदर नार्को टेस्ट करने का निर्देश दिया था।
Shraddha Murder Case: श्रद्धा वॉलकर हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाल का नार्को टेस्ट सोमवार यानी आज भी नहीं हो सकेगा। फोरेंसिक साइंस लेब्रोरेटरी (FSL) के असिस्टेंट डायरेक्टर संजीव गुप्ता ने बताया कि आज केवल दिल्ली के अंबेडकर अस्पताल में आफताब का प्री एनालिसिस टेस्ट होगा। इसके जरिए उसके मानसिक और शारीरिक स्थिति के बारे में पता लगाया जाएगा, दोनों रूप से फिट पाए जाने के बाद ही उसका नार्को टेस्ट होगा।
दरअसल, 18 नवंबर को साकेत कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रोहिणी फोरेंसिक लैब को पांच दिनों के अंदर नार्को टेस्ट करने का निर्देश दिया था। इस हिसाब से आज चौथा दिन है। लैब के पास महज एक दिन का समय बचा है। संभवतः कल आफताब का नार्को टेस्ट हो सकता है। दिल्ली पुलिस विशेषज्ञों की मदद से 50 सवालों की सूची तैयार कर चुकी है। जिनमें मर्डर से पहले और बाद की घटनाओं को लेकर अहम प्रश्न शामिल हैं।
क्या होता है नार्को टेस्ट
नार्को ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है एनेस्थीसिया। इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति के शरीर में सोडियम पेंटोथल के इंजेक्शन दिए जाते हैं। यह इंडेक्शन सच बोलने वाली दवा के रूप में महशूर है। ये व्यक्ति की चेतना को काफी कम कर देता है। व्यक्ति को देखकर ऐसा लगता है कि वह आंख खोलकर सो रहा है। इस दौरान व्यक्ति बिना दिमाग लगाए चीजों को साफ-साफ बोलता है क्योंकि उस दौरान चीजों को तोड़ – मरोड़कर पेश करने की शक्ति दिमाग में नहीं रहती है। ऐसे में वह बेझिझक होकर उन सब बातों का भी जवाब दे देता है, जिनका जवाब उसके होशोहवास में रहने पर देने की संभावना न के बराबर होती है। इससे जांच एजेंसियों को वे जानकारियां भी मिल जाती हैं, जो सबूत नहीं होने के कारण नहीं मिल पाती हैं।
लापरवाही पर जा सकती है जान
नार्को टेस्ट काफी खतरनाक होता है। इसमें थोड़ी भी लापरवाही की गुंजाइश नहीं होती है। ड्रग का अधिक डोज संबंधित व्यक्ति की जान तक ले सकता है या उसे कोमा में भेज सकता है। यही वजह है कि अदालत के आदेश पर ही पुलिस नार्को टेस्ट कर सकती है। टेस्ट से पहले डॉक्टर्स देखते हैं कि संबंधित इसके लिए मेडिकली फिट है या नहीं। इसके बाद उसके शरीर के क्षमता के मुताबिक हिप्नोटिक ड्रग सोडियम पेंटोथल के इंजेक्शन तैयार किए जाते हैं। टेस्ट के दौरान डॉक्टर्स, विशेषज्ञ और पुलिस मौजूद होते हैं, जो हर जवाब, हरकत और आंकड़ों पर नजर रखते हैं। भारत में अभी तक सात हाई प्रोफाइल मामलों में जांच एजेंसियां गुनाहगारों को कठोर सजा दिलाने के लिए इस टेस्ट का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर चुकी हैं।
नार्को से दिल्ली पुलिस को है काफी उम्मीद
श्रद्धा मर्डर केस जितना देखने में सिंपल लगता है, मामला उतना ही अधिक पेचीदा है। कातिल आफताब अमीन पूनावाला के कबूलनामे के बावजूद दिल्ली पुलिस उसके खिलाफ ठोस सबूत जमा नहीं कर पाई, जो अदालत में उसकी रिहाई के सारे रास्तों को बंद कर सके। पुलिस को अभी तक श्रद्धा के अधिकतर बॉडीपर्ट्स, मर्डर वेपन और हत्या वाले दिन पहने कपड़े नहीं मिले हैं। पुलिस का कहना है कि आफताब एक शातिर किस्म का व्यक्ति है, जो पुलिस के सामने अपने बयान बदलते रहता है। उसकी पूरी कोशिश जांच की दिशा भटकाने की है ताकि अधिक से अधिक देरी हो सके, जिससे बचे – खुचे सबूत भी नष्ट हो जाएं। यही वजह है दिल्ली पुलिस नार्को टेस्ट काफी उम्मीदें लगाए बैठी है।