असर 2017: 14-18 उम्र के 25 फीसदी यूथ नहीं पढ सकते सरल पाठ

Rishi
Published on: 16 Jan 2018 4:22 PM GMT
असर 2017: 14-18 उम्र के 25 फीसदी यूथ नहीं पढ सकते सरल पाठ
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लखनऊ : कुछ तस्वीरें कभी नहीं बदलती, देश की बेसिक और माध्यमिक शिक्षा की तस्वीर ऐसी ही है। यहां अभी भी 14-18 आयु वर्ग के 25 फीसदी यूथ अपनी भाषा में एक सरल पाठ को धारा प्रवाह नहीं पढ़ सकते हैं। आधे से ज्यादा युवाओं को भाग का सरल सवाल करने में दिक्कत होती है। 14 आयु वर्ग के 47 फीसदी युवा अंग्रेजी वाक्य नहीं पढ सकते हैं।

बुनियादी गणित की क्षमता में असमर्थ 14 वर्ष के युवाओं का प्रतिशत, 18 साल के युवाओं के बराबर ही है। शिक्षा के स्तर की देशव्यापी पड़ताल करने वाली संस्था असर (एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन रिपोर्ट) की वर्ष 2017 की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। असर 2017: बियॉन्ड बेसिक्स का लोकार्पण मंगलवार को नई दिल्ली में किया गया।

44 फीसदी यूथ की मां कभी नहीं गई स्कूल

रिपोर्ट के मुताबिक 14—18 आयु वर्ग के लगभग 44 फीसदी युवा ऐसे हैं, जिनकी माता कभी स्कूल नही गईं। 25 फीसदी युवा ऐसे हैं जिनके पिता कभी स्कूल नहीं गए और 20 फीसदी युवा ऐसे हैं जिनकी माता—पिता दोनों कभी स्कूल नहीं गए हैं। यानि 20 प्रतिशत वह युवा हैं, जो अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं जो अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी कर रहे हैं। हालांकि स्कूलों में नामांकन के आंकड़ों में सुधार हुआ है। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 2011 में 18 वर्ष की आयु के 56 फीसदी युवा किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित नहीं थे। जनगणना 2001 में यह आंकड़ा 74 फीसदी था।

76 फीसदी युवा रूपयों की सही गिनती नहीं कर सके

असर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 76 फीसदी युवा रूपयों की सही गिनती नहीं कर पाए जो युवा बुनियादी गणित कर सकते हैं। उनमें यह प्रतिशत लगभग 90 फीसदी था। सिर्फ 56 फीसदी युवा किलोग्राम में सही वजन जोड़कर बता सकें।

58 फीसदी ही ओआरएस पैकेट पढकर समझ सकते हैं निर्देश

ओआरएस के पैकेट शहर और गांवों में आसानी से उपलब्ध हैं। इसका उपयोग दस्त की स्थिति में पानी की कमी को रोकने के लिए किया जाता है। इनके पैकेटों पर सरल और स्पष्ट निर्देश भी दिए जाते हैं। आठ वर्षों की प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने वाले सिर्फ 58 फीसदी युवा ही इन निर्देशों को पढकर समझ सकते हैं।

36 फीसदी युवा नहीं बता पाए देश की राजधानी का नाम, 14 फीसदी नहीं पहचानते देश का नक्शा

युवाओं में भूगोल और सामान्य ज्ञान की जानकारी भी काफी कम है। 36 फीसदी युवा देश की राजधानी का सही नाम नहीं बता सकते हैं। 21 फीसदी युवा अपने राज्य का सही नाम बताने में असमर्थ हैं। 58 फीसदी युवा देश के नक्शे में अपने राज्य का नक्शा नहीं दिखा सके और 14 फीसदी युवा अपने देश का मानचित्र हीं नहीं पहचानते हैं।

24 राज्यों के 25 हजार घरों तक पहुंचे दो हजार स्वयंसेवक

असर का सर्वेक्षण पहली बार 14 से 18 आयु वर्ग के बच्चों पर केंद्रित रहा। यह सर्वेक्षण देश के लगभग सभी राज्यों के एक या दो जिलों में किया गया। कुल मिलाकर 24 राज्यों के 28 जिलों में यह सर्वेक्षण किया गया। इसमें कुल 35 संस्थानों ने सहभागिता की, लगभग दो हजार स्वंयसेवक 1,641 गांवों के 25 हजार से अधिक घरों तक गए और 14—18 आयु वर्ग के 30 हजार से अधिक युवाओं का सर्वेक्षण किया।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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