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आज़ादी के बाद से जिसे भी मौका मिला उसने लूटा, घोटालों की है लम्बी लिस्ट

Rishi
Published on: 9 Dec 2016 5:34 AM IST
आज़ादी के बाद से जिसे भी मौका मिला उसने लूटा, घोटालों की है लम्बी लिस्ट
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नई दिल्ली : देश में नोट बंदी को लागू हुए 1 महिना हो चुका है। तमाम विपक्षी दल और नेता ये साबित करने में लग गए हैं की केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक सोची समझी साजिश के तहत घोटाला करने की मंशा से इसे अंजाम दिया है। उनके आरोप हैं की बीजेपी नेताओं ने अपने और अपने करीबियों का काला धन पहले से ही सफ़ेद कर लिया और आम आदमी को परेशानी में झोक दिया। इसमें कुछ पार्टियाँ और दल ऐसे भी हैं जिनके दामन पहले से ही दागदार हैं।

आज हम आप को बता रहे हैं कि कैसे हमारे नेताओं ने विकास और सहायता के नाम पर मिले पैसे को भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा दिया। घोटालों से जुड़ा पैसा इतना अधिक है कि यदि किसी योजना के अंतर्गत ये पैसा देश में लगा दिया जाये तो इतना काम होगा कि दुनिया देखेगी।

जीप खरीद (1948)

आजादी के ठीक बाद कांग्रेस सरकार ने एक लंदन की एक कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। उस समय यह सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल जीपें मिली सिर्फ 155 । घोटाले में नाम आया ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का। लेकिन 1955 में बिना कोई कारण बताए केस बंद कर दिया गया। इसके बाद मेनन नेहरु केबिनेट में भी शामिल हो गए।

साइकिल आयात (1951)

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेक्रेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली और जेल भी गए। रिश्वतखोरी के किसी बड़े मामले में ये पहली गिरफ़्तारी थी।

मुंध्रा मैस (1958)

हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 1.2 करोड़ रुपये से संबंधित मामला सामने आया। वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा और मुंध्रा को जेल जाना पड़ा।

तेजा ऋण

वर्ष 1960 में एक बिजनेसमैन धर्म तेजा ने शिपिंग कंपनी शुरू करने केलिए भारत सरकार से 22 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। लेकिन बाद में उसने ये रकम विदेश भेज दी। तेजा को यूरोप में गिरफ्तार किया गया और 6 साल की कैद हुई।

पटनायक मामला

वर्ष 1965 में उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। जनाब ने अपनी ही कंपनी कलिंग ट्यूब्स को सरकारी कांट्रेक्ट दिला दिया था।

मारुति घोटाला

मारुति कंपनी बनने से पहले घोटाला हुआ जिसमें पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का नाम आया। मामले में पेसेंजर कार बनाने का लाइसेंस देने के लिए संजय गांधी की मदद की गई थी।

कुओ ऑयल डील

वर्ष 1976 में तेल के गिरते दामों के मददेनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांगकांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें सरकार को 13 करोड़ का नुकसान हुआ। माना गया इस घोटाले में इंदिरा और संजय गांधी का हाथ था। देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए।

अंतुले ट्रस्ट

वर्ष 1981 में महाराष्ट्र में सीमेंट घोटाला हुआ। सीएम एआर अंतुले पर आरोप लगा कि वह जनता के हिस्से वाली सीमेंट, प्राइवेट बिल्डर्स को दे रहे हैं।

एचडीडब्लू दलाली

वर्ष 1987 जर्मनी की पनडुब्बी बनाने वाली कंपनी एचडीडब्लू को ब्लैक लिस्ट में डाला गया। आरोप था की कंपनी ने ठेके के लिए 20 करोड़ रुपये बतौर कमिशन दिए। वर्ष 2005 में केस बंद कर दिया गया। वर्ष 1981 में जर्मनी से 4 सबमरीन खरीदने के 465 करोड़ रु. इस मामले में 1987 तक सिर्फ 2 सबमरीन आयीं, रक्षा सौदे से जुड़े लोगों द्वारा लगभग 32 करोड़ रु. की कमीशनखोरी की बात सामने आयी।

बोफोर्स घोटाला

वर्ष 1987 में स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी सहित कई बेड़ नेता फंसे। मामला था कि 155 मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर की बोली में नेताओं ने करीब 64 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।

सिक्योरिटी स्कैम

वर्ष 1992 हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंको का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब 5000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।स्टाक मार्केट में हर्षद द्वारा किए गए घोटाले में लुटे बैंकों और निवेशकों की भरपाई के लिए सरकार ने 6625 करोड़ दिए, जिसका बोझ आम करदाताओं पर पड़ा।

इंडियन बैंक

वर्ष 1992 में ही बैंक से छोटे कॉरपोरेट और एक्सपोटर्स ने करीब 13000 करोड़ रुपये उधार लिए। ये धनराशि उन्होंने कभी नहीं लौटाई। उस समय बैंक के चेयरमैन एम. गोपालाकृष्णन थे।

चारा घोटाला

वर्ष 1996 में बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने पशु पालन विभाग के 950 करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।लालूप्रसाद के साथ कई नया बाद में जेल भी गए लेकिन तब तक लालू राजनीति में लम्बी पारी खेल चुके थे।

तहलका

इस ऑनलाइन न्यूज पॉर्टल ने स्टिंग ऑपरेशन के जारिए ऑर्मी ऑफिसर और राजनेताओं को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। यह बात सामने आई कि सरकार द्वारा की गई 15 डिफेंस डील में काफी घपलेबाजी हुई है और इजराइल से की जाने वाली मिसाइल डील भी इसमें से एक है।

स्टॉक मार्केट

स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में 1,15,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया। दिसंबर,2002 में इन्हें गिरफ्तार किया गया।

स्टांप पेपर स्कैम

यह करोड़ो रुपये के फर्जी स्टांप पेपर का घोटाला था। इस रैकट को चलाने वाला मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी था।

सत्यम घोटाला

वर्ष 2008 में देश की चौथी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक अध्यक्ष रामलिंगा राजू द्वारा 8000 करोड़ का घोटाला सामने आया। राजू ने माना कि पिछले सात वर्षों से उसने कंपनी के खातों में हेरा फेरी की।

मनी लांडरिंग

वर्ष 2009 में झारखण्ड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा को चार हजार करोड़ रुपये की मनी लांडरिंग का दोषी पाया गया। मधु कोड़ा की इस संपत्ति में हॉटल्स, तीन कंपनियां, कलकत्ता में प्रॉपर्टी, थाइलैंड में एक हॉटल और लाइबेरिया की कोयले की खान शामिल थी।

एयरबस घोटाला

120 करोड़ का घोटाला हुआ फ्रांस से बोइंग 757 की खरीद में। सौदा अभी भी अधर में, पैसा वापस नहीं आया।

दूरसंचार घोटाला

पूर्व मंत्री सुखराम ने 1200 करोड़ का घोटाला किया। उनसे वसूले जा सके सिर्फ 5.36 करोड़ । हाँ सुखराम को इस मामले में सजा का सामना करना पड़ा।

यूरिया घोटाला

तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव के करीबी नेशनल फर्टीलाइजर के प्रबंध निदेशक सी.एस.रामाकृष्णन ने यूरिया आयात के लिए 133 करोड़ रुपए दिए, जो कभी आया ही नहीं।

सी.आर.बी

चैन रूप भंसाली (सीआरबी) ने 1 लाख निवेशकों का लगभग 1 हजार 30 करोड़ रु. डुबाया और कोर्ट में अपील कर स्वयं अपनी पुर्नस्थापना के लिए सरकार से ही पैकेज की मांग भी कर दी।

केपी

हर्षद मेहता की ही तरह केतन पारेख ने बैंकों और स्टाक मार्केट के जरिए 3200 करोड़ रुपए का घोटाला किया।

इनके साथ ही ताज कोरिडोर स्कैंडल, २जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसाइटी घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम घोटाला, 2010 हाऊसिंग लोन घोटाला, बेलेकेरी पोर्ट घोटाला, झारखण्ड मेडिकल औजार घोटाला, राईस एक्सपोर्ट घोटाला, उड़ीसा माइन घोटाला, मेघालय जंगल घोटाला, इनके साथ और भी कई घोटाले हैं जिन्होंने समय-समय पर आम आदमी का ध्यान अपनी और मोड़ा।

इनमें से अधिकतर घोटाले उन सरकारों में हुए जिन्हें चलाने वाले आज विपक्ष में बैठे हैं। हम नोटबंदी से आम आदमी को हो रही परेशानी को जायज नहीं ठहरा रहे, लेकिन ये सवाल है, उन नेताओं से जो आज भी इनपर चुप्पी साधे हुए हैं।



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Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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