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RSS भी चाहती है किसानों-सरकार में समझौता, लंबा आंदोलन देशहित मेें नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किसान आंदोलन को जल्द से जल्द खत्म किए जाने की वकालत की है। सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी का मीडिया इंटरव्यू वायरल होने के साथ ही आरएसएस के कई पदाधिकारी भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं।

Chitra Singh
Published on: 23 Jan 2021 1:56 PM IST
RSS भी चाहती है किसानों-सरकार में समझौता, लंबा आंदोलन देशहित मेें नहीं
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अखिलेश तिवारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में लगभग दो महीने से जारी किसान आंदोलन को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी चिंतित है। संघ के सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा है कि सरकार और किसानों के बीच जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए। लंबे आंदोलन को देश व समाज हित के खिलाफ बताते हुए उन्होंने कहा कि हर आंदोलन का सुखांत होना आवश्यक है। किसान और सरकार दोनों ही पक्षों को मिलकर समन्वय बिंदु तलाशना चाहिए और किसी सर्वमान्य समझौते की राह निकालनी चाहिए।

भैया जी जोशी का मीडिया इंटरव्यू वायरल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किसान आंदोलन को जल्द से जल्द खत्म किए जाने की वकालत की है। सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी का मीडिया इंटरव्यू वायरल होने के साथ ही आरएसएस के कई पदाधिकारी भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं। आरएसएस की ओर से यह कोशिश की जा रही है कि आंदोलनकारी किसानों को खालिस्तानी न बताया जाए। सरकार्यवाह ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि सरकार ने कभी नहीं कहा कि किसान आंदोलनकारी खालिस्तानी हैं लेकिन यह जरूर है कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो नहीं चाहते हैं कि किसानों का सरकार के साथ समझौता हो। ऐसे तत्वों की पहचान होनी चाहिए जो विघटनकारी हैं और असंतोष को बढ़ावा दे रहे हैं।

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'लोकतंत्र में आंदोलन सभी का हक है'

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन सभी का हक है लेकिन लंबा आंदोलन देश व समाज के लिए अच्छा नहीं होता है। लोकतंत्र में हमेशा अलग-अलग दृष्टिकोण होते हैं और सभी संगठनों की अपनी अपेक्षाएं होती हैं। सामान्य तौर पर यह बेहद मुश्किल काम है कि लोकतंत्र में सभी लोगों को किसी एक राय के लिए तैयार किया जाए। इस वजह से अलग-अलग डिमांड सामने आती रहती है। जिन लोगों सरकार को लोगों की मांग पूरी करनी होती है। उनकी भी अपनी सीमाएं हैं। यह संभव नहीं है कि सभी की सारी दिन डिमांड को पूरा कर दिया जाए। लोकतंत्र ने दोनों पक्षों को यह अवसर प्रदान कर रखा है कि वह अपनी बात एक -दूसरे के समक्ष रखें।

Sarkaryavah Suresh Bhaiyaji Joshi

'सदैव तैयार रहना चाहिए'

कई बार देखा गया है कि दोनों ही पक्ष अपने स्थान पर सही होते हैं लेकिन प्रदर्शनकारियों को भी यह समझना चाहिए कि सरकार उनकी सभी मांग को पूरा नहीं कर सकती है। इसके बावजूद उन्हें संवाद बनाए रखना चाहिए और संवाद के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए । सरकार को भी यह सोचना चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा कितना दे सकती है। जो भी आंदोलन होते हैं उनको उनका सुखांत होना आवश्यक है। इसलिए सभी आंदोलनकारियों को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि उन्हें कहां तक आंदोलन करना है और सरकार को भी देखना चाहिए कि वह उनकी बात सुनकर कार्रवाई करें।

दोनों पक्ष आंदोलन को एक मुकाम पर लेकर जाएं

सरकार हमेशा कई सारे प्रावधान लेकर आती है। उसके पास सभी के लिए व्यवस्था करनी होती है इसलिए उसकी सीमाएं सीमित हैं जबकि मांगने वालों के पास मांगने का बड़ा आधार होता है। इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि दोनों पक्ष अपने आंदोलन को एक मुकाम पर लेकर जाएं जहां सहमत का बिंदु तलाशा जाए।

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लंबा आंदोलन लाभकारी नहीं

कोई भी आंदोलन जो लंबे समय तक चलता है वह लाभकारी नहीं होता है इससे किसी को भी आपत्ति नहीं होगी कि कोई आंदोलन किया जाए लेकिन एक समझौते की गुंजाइश हमेशा बनी रहनी चाहिए। एक आंदोलन केवल उन्हीं लोगों को प्रभावित नहीं करता है जो इससे जुड़े होते हैं बल्कि इसका पूरे समाज पर प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। किसी भी समाज के लिए यह अच्छा नहीं होगा कि कोई आंदोलन वहां बहुत लंबे समय तक चले। इसलिए एक बीच का स्थान यानी समझौते की जमीन के लिए गुंजाइश बनी रहनी चाहिए । दोनों तरफ से जब कभी भी कोई बातचीत होती है, बहस होती है और दोनों पक्ष किसी एक बात के लिए डट जाते हैं तो वह समझौते की कोई स्थिति नहीं है।

कानून से जुड़े मुद्दों पर बात करें किसान

सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि हम वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन आंदोलनकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि वह तभी कोई समझौता वार्ता करेंगे जबकि कानून को वापस ले लिया जाए। ऐसी स्थिति में कोई संवाद कैसे हो सकता है। मेरा मानना है कि किसानों को सरकार के साथ उन मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए जो कानून से जुड़े हैं।

Sarkaryavah Suresh Bhaiyaji Joshi

दोनों पक्षों में हो सकारात्मक पहल

ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है। ऐसे में दोनों पक्षों को सकारात्मक पहल करनी चाहिए। आंदोलनकारियों की सकारात्मक सोच होना अच्छी बात है। किसानों को खालिस्तानी बताए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने ऐसा कहा है लेकिन गवर्नमेंट ऐसा नहीं कह रही है लेकिन यह कहना चाहूंगा कि हठधर्मिता की वजह से बात बिगड़ रही है जो ताकतें इसके पीछे हैं उनकी जांच होनी चाहिए यह देखा जाना चाहिए कि क्या वह वाकई ऐसे तत्व हैं जो नहीं चाहते हैं कि विवाद का कोई हल निकले।

देश के कई हिस्सों में इन कानूनों को मिला रहा समर्थन

सरकार्यवाह से जब पूछा गया कि क्या वह मानते हैं कि किसानों में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को लेकर आक्रोश नहीं है। तो उन्होंने कहा कि किसानों में कितना आक्रोश है और वह क्या चाहते हैं, यह देखना सरकार का काम है। लेकिन यहां ध्यान रखना होगा कि देश के कई हिस्सों मसलन गुजरात, मध्यप्रदेश में किसान के कई समूह इन कानूनों का समर्थन भी कर रहे हैं तो इस आंदोलन के दोनों पहलू हैं। ऐसे में किसी एक पक्ष को सही नहीं ठहराया जा सकता है।

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