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Situs Inversus: कोरोना का असर या कुछ और? शिशुओं में सब अंग उलटी तरफ बन रहे

Situs Inversus: न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल में छपी एक संक्षिप्त रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के पहले सात महीनों में ‘साटस इनवर्सस’ स्थिति से पीड़ित भ्रूणों की दर सामान्य दरों की तुलना में चौगुनी हो गई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 4 Nov 2023 5:47 PM IST (Updated on: 4 Nov 2023 5:50 PM IST)
Situs Inversus: कोरोना का असर या कुछ और? शिशुओं में सब अंग उलटी तरफ बन रहे
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Situs Inversus: इंसानों या किसी भी जीव-जंतु के शरीर के भीतरी अंग जैसी कि ह्रदय, लीवर, किडनी, स्प्लीन, ब्लैडर वगैरह की एक जगह फिक्स्ड होती है। जिसे बाईं तरफ होना है तो वह वहीँ डेवलप होगा और जिसे दाहिनी तरफ होना है तो वह वहीँ बनता है। बहुत रेयर होता है कि अंग उलटी तरफ डेवलप हों। बहुत दुर्लभ जन्मजात स्थिति होती है जिसमें छाती और पेट के अंग अपनी सामान्य स्थिति की मिरर इमेज यानी उलटी तरफ व्यवस्थित होते हैं। इसे ‘’साइटस इनवर्सस’’ कहा जाता है। लेकिन बीते कुछ समय से चीन में उलटे अंगों वाले भ्रूणों के मामले चौगुने हो गए हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल में छपी एक संक्षिप्त रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के पहले सात महीनों में ‘साटस इनवर्सस’ स्थिति से पीड़ित भ्रूणों की दर सामान्य दरों की तुलना में चौगुनी हो गई है।

रिपोर्ट के लिए, शंघाई और चांग्शा शहरों के दो बड़े प्रसूति केंद्रों के डॉक्टरों ने जनवरी 2014 से जुलाई 2023 तक अपने केंद्रों के रिकॉर्ड को कम्पाइल किया तो पाया कि 2014 से 2022 तक, साइटस इनवर्सस मामलों की वार्षिक कुल संख्या आम तौर पर लगभग पांच थी। प्रति 10,000 गर्भवती महिलाओं में से छह अल्ट्रासाउंड करवाती हैं। 2023 में साइटस इनवर्सस की दर बढ़कर प्रति 10,000 अल्ट्रासाउंड स्क्रीनिंग में लगभग 24 मामले हो गई। महीने के हिसाब से 2023 मामलों को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने नोट किया कि साइटस इनवर्सस में वृद्धि अप्रैल में शुरू हुई और जून तक जारी रही। कुल मिलाकर, 2023 के जनवरी और जुलाई के बीच अल्ट्रासाउंड कराने वाली 23,746 गर्भवती लोगों में साइटस इनवर्सस के 56 मामले थे। स्थिति का निदान करने वाले अल्ट्रासाउंड आमतौर पर गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह के बीच किए जाते थे। लेखकों ने नोट किया कि डायग्नोस्टिक मानदंडों में कोई बदलाव नहीं हुआ है जो "आश्चर्यजनक वृद्धि" की वजह बता सके।

Photo: Social Media


कोरोना से जोड़ा जा रहा

कोई सबूत दिए बगैर डॉक्टरों का अनुमान है कि इसे कोरोना मामलों में वृद्धि से जोड़ा जा सकता है, जो 2022 के अंत में शुरू हुआ जब चीन ने अचानक अपनी जीरो कोरोना नीति हटा ली थी। शोध के लेखकों ने लिखा है कि कोरोना की बाद की लहर ने अंततः चीन की लगभग 82 प्रतिशत आबादी को संक्रमित कर दिया था। दिसंबर के अंत में कोरोना मामले चरम पर थे और लहर फरवरी की शुरुआत में फैल गई। कोरोना मामलों के चरम पर पहुंचने के लगभग चार महीने बाद, साइटस इनवर्सस में वृद्धि शुरू हुई। शोध लेखकों का अनुमान है कि वायरस सीधे तौर पर, गर्भाशय में भ्रूण को संक्रमित करके, या परोक्ष रूप से, मातृ सूजन प्रतिक्रियाओं के जरिये इस स्थिति को जन्म दे सकता है।

Photo: Social Media


अब सिर्फ अटकल ही है

लेकिन अभी कोरोना को इस स्थिति से जोड़ना मात्र अटकल ही है। रिपोर्ट में यह डेटा शामिल नहीं है कि जिन गर्भवती लोगों के भ्रूणों में दुर्लभ स्थिति का निदान किया गया था, उन्हें गर्भावस्था के दौरान भी कोरोना था कि नहीं और बिना साइटस इनवर्सस वाले गर्भधारण की तुलना में कोरोना संक्रमण की उनकी दर कैसी थी। इसमें आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों पर डेटा भी शामिल नहीं है जिन्हें साइटस इनवर्सस से जुड़ा हुआ माना जाता है। और, विशेष रूप से, भले ही साइटस इनवर्सस के मामले चार गुना हो गए, यह अभी भी समग्र रूप से बहुत दुर्लभ था, और कोरोना संक्रमण की अन्य लहरों में ऐसी कोई वृद्धि दर्ज नहीं की गई थी। लेखक स्वीकार करते हैं कि असामान्य स्पाइक के कारण के बारे में वर्तमान रिपोर्ट से कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। हालाँकि, वे यह समझने के लिए और अधिक शोध की मांग करते हैं कि इस वृद्धि के पीछे क्या कारण था और कोरोना की संभावित भूमिका क्या थी। अच्छी खबर यह है कि साइटस इनवर्सस वाले अधिकांश लोगों का जीवन काल सामान्य होता है।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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