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कहीं सपना ही न रह जाए स्मार्ट सिटी, लोगों की मांग पहले सुलझाई मूलभूत समस्याएं

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Published on: 18 Jan 2019 6:46 AM GMT
कहीं सपना ही न रह जाए स्मार्ट सिटी, लोगों की मांग पहले सुलझाई मूलभूत समस्याएं
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कहीं सपना ही न रह जाए स्मार्ट सिटी, लोगों की मांग पहले सुलझाई मूलभूत समस्याएं

रजनीश मिश्र

गाजीपुर । पिछले दिनों रेल राज्य मंत्री और गाजीपुर के सांसद मनोज सिन्हा ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गाजीपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की बात कही। मंत्री द्वारा शहर के लोगों को दिखाया गया यह सपना हकीकत में बदलेगा या यह सपना सपना मात्र ही रह जाएगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल यहां के लोगों का कहना है कि यदि यह शहर सच में स्मार्ट सिटी बनता है तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है, लेकिन यहां की मूलभूत समस्याओं को भी दूर करने पर विचार होना चाहिए। यदि गाजीपुर जिले की बात करें तो यहां पर तीन नगर पालिका परिषद और पांच नगर पंचायत है। गाजीपुर, जमानिया और मुहम्मदाबाद ( नगर पालिका परिषद) और नगर पंचायतें जंगीपुर, दिलदारनगर, बहादुरगंज, सैदपुर और सादात हैं। गाजीपुर नगरपालिका परिषद पर इस समय भाजपा का कब्जा है।

गाजीपुर की मौजूदा स्थिति

गाजीपुर नगरपालिका पारिषद की बात करें तो यहां की कुल जनसंख्या 1.21 हजार के करीब है। सरकारी आंकड़ों के मुातबिक 18 किमी के क्षेत्र में फैले गाजीपुर नगरपालिका का जनसंख्या घनत्व 60 किमी प्रति किलोमिटर है। वार्ड 13 और 27 सबसे अधिक जनसंख्या वाला वार्ड है। जबकि सबसे कम जनसंख्या वाला वार्ड 13 है। यहां 52 प्रतिशत पुरुष और 48 प्रतिशत महिलाएं हैं। यदि जातीय आधार पर जनसंख्या की बात करें तो गाजीपुर में 92 प्रतिशत सामान्य जाति, 7 प्रतिशत अनुसूचित जाति और एक प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यहां 18 हजार से अधिक घर हैं और हर परिवार में औसतन 6 लोग रहते हैं। यदि जनसंख्या वृद्धि की बात करे तो पिछले 10 सालों में 7.1 प्रतिशत की दर से जनसंख्या वृद्धि हुई है। जबकि 90 हजार से अधिक लोग साक्षर हैं। 28 प्रतिशत आबादी सीमांत कार्यों में लगी है। 44 प्रतिशत पुरुष और 10 महिलाएं कामकाजी हैं।

बढ़ाया जाएगा वार्ड

गाजीपुर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने के सवाल पर नगरपालिका अध्यक्ष सरिता अग्रवाल का कहना है कि केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की सोच सकारात्मक है। गाजीपुर को स्मार्ट सिटी बनाए जाना चाहिए क्योंकि पिछले साढ़े चार सालों में गाजीपुर इतना विकास हुआ है जो पिछले चालीस सालों में नहीं हुआ था। यहां वह सभी चीजें उपलब्ध हैं जो एक स्मार्ट सिटी के लिए जरूरी हैं। फिलहाल स्मार्ट सिटी बनाए जाने की घोषणा की जानकारी मुझे नहीं है। यदि ऐसा है तो सचमुच गाजीपुर को विकास के सुनहरे पंख लगेंगे, जिससे इस शहर और सीमावर्ती जिले का तेजी से विकास होगा। शहर के आसपास के कुछ क्षेत्रों को नगरपालिका में शामिल कर वार्डों की सख्या बढ़ाई जाएगी।

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जरुरत पड़ी तो बनेगा नगर निगम

गाजीपुर सदर की भाजपा विधायक संगीता बलवंत कहती हैं कि केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का बयान स्वागत योग्य है। उनकी इस घोषणा का सभी राजनीतिक दलों को भी स्वागत करना चाहिए। किसी भी शहर को स्मार्ट सिटी के नगर निगम सहित सभी मानकों को पूरा करने के सवाल पर वह कहती हैं कि जरूरत पड़ी तो गाजीपुर को नगर निगम बनाया जाएगा। शहर से सटे क्षेत्रों रौजा और गाजीपुर घाट सहित अन्य कई इलाकों को शामिल कर नगर निगम बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूरे प्रदेश का विकास हुआ है, लेकिन खास तौर पर केंद्रीय मंत्री और यहां के सांसद मनोज सिन्हा ने गाजीपुर का ऐतिहासिक विकास करवाया है। रेल नेटवर्क से गाजीपुर पूरे देश के मानचित्र पर आ चुका है। सड़क मार्ग भी मजबूत हुआ है। जल्द ही यह शहर हवाई और जल मार्ग से भी जुडऩे वाला है। साफ सफाई के मामले में भी गाजीपुर निखरा है अर्थात यह शहर स्मार्ट सिटी के सभी मानकों को पूरा करता है।

मुंह बाए खड़ी हैं समस्याएं, कैसे बनेगा स्मार्ट सिटी

केंद्रीय संचार मंत्री व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के स्मार्ट सिटी बनाए जाने की घोषणा को लेकर शहर के लोगों में भी दो मत हैं। शहर के अधिकांश लोग इस घोषणा से खुश हैं तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि शहर में सीवरेज-पानी, सड़क और आए दिन लगने वाले जाम की स्थित से लोग परेशान हैं। शहर के नाले गंगा में गिराए जा रहे हैं। कई वार्ड ऐसे हैं जहां आज तक सीवर लाइन नहीं पड़ी है। कई वार्डों की गलियां आज भी कच्ची हैं। नालियां बजबजा रहीं हैं सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। यहां तक कि कुछ वार्डों में वाटर सप्लाई की पाइपलाइन भी नहीं बिछी है। उद्योग-धंधे भी कम हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी बनाए जाने की घोषणा बेमानी है। वहीं कुछ लोगों का तर्क है कि गाजीपुर में मूलभूत सुविधओं की कमी नहीं है। स्मार्ट सिटी बनने से यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ेगा।

सपा ने चुनावी स्टंट बताया

सपा सरकार में मंत्री रहीं सादाब फातमा और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह कहते हैं कि यह सब चुनावी स्टंट है। सादाब फातमा कहती हैं कि अब 2019 का लोकसभा चुनाव सर पर है तो सिन्हा जी लोगों को गाजीपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के सपने दिखा रहे हैं। पौने पांच साल तक उन्हें गाजीपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की याद नहीं आई। यहां शहर के आधे से अधिक क्षेत्रों में सीवर व वाटर सप्लाई की लाइन नहीं बिछी है। साफ सफाई का बुरा हाल है। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, विधायक और सांसद को यहां के लोगों को मुकम्मल मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवानी चाहिए। हम भी चाहते हैं कि गाजीपुर स्मार्ट सिटी बने, लेकिन लोगों की समस्याओं को भी दूर करने पर ध्यान दिया जाए।

गाजीपुर का इतिहास

गंगा के किनारे बसे गाजीपुर को लहुरी काशी भी कहा जाता है। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी आता है क्योंकि बक्सर जाते समय विश्वामित्र भगवान श्री राम से गाजीपुर का परिचय करवाते हुए कहते हैं कि यह नगरी हमारे पिता महाराजा गाधी की नगरी गाधीपुरी है। मुगल काल में मसूदसालार गाजी के अधिकार क्षेत्र में आने के बाद यह इलाका गाजीपुर के नाम से जाना जाने लगा और अंग्रेजों के समय में यह नगरी घाजीपुर हो गई। यहां 1820 में अंग्रेजों ने अफीम कारखाना स्थापित किया था जो आज भी है। यहीं पर अंग्रेज गर्वनर जनरल लार्ड कार्निवालिस का मकबरा भी है। इसके अलावा ददरी घाट सहित कई घाट और मंदिर हैं। इस शहर को पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।

शहर बिजली, सड़क व पानी की कोई समस्या नहीं है। यदि ऐसा है तो उसे जल्द दूर कर लिया जाएगा। गाजीपुर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। यदि गाजीपुर स्मार्ट सिटी बनता है तो यह हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरे गाजीपुर वासियों के लिए गौरव की बात होगी।

सरिता अग्रवाल, नगरपालिका अध्यक्ष, गाजीपुर

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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